सोमवार, 2 फ़रवरी 2015

मोदी का सपनों का पुल

         नेता वही अपील करता है जो सपनों का पुल बनाए। सपनों के पुल पर सरपट दौड़े। इसबार नेता के सपनों में झोंपड़ी को जगह मिली है। जबसे झोंपड़ी को जगह मिली है, झोंपड़ीवालों को नींद नहीं आ रही। वे पक्केघर के सपने से बेचैन हैं ! डरे हैं! वे हजम नहीं कर पा रहे हैं कि उन्होंने ऐसा कौन सा पुण्यकार्य किया है जो झोंपड़ी को सभी नेता पक्के मकान में तब्दील करने में लगे हैं ! रामलाल कल कड़कड़दूमा से मोदीजी की मीटिंग से लौटा तो सारी रात सो नहीं पाया ! वह डरा हुआ था । उसे इस सपने से ही दहशत हो रही थी कि उसे घर बैठे पक्का घर मिल जाएगा! वह परेशान था कि कोई भी नेता उसकी पगार बढ़ाने की बात क्यों नहीं कर रहा ? महंगाई कम करने की बात क्यों नहीं कर रहा ? झोंपड़ी में रहनेवाले विगत दो महिने से बहुत परेशान हैं। वे सपनों के कारण सो नहीं पा रहे हैं ! 

दिल्ली के झोंपड़ीवालों ने इतने सपने पहले कभी नहीं देखे। वे पहले गुण्डों के सपने देखते थे,पुलिसवाले के सपने देखते थे, कभी –कभी फिल्मी सपने देखते थे।लेकिन घर का सपना कभी नहीं देखते थे। मजेदार बात यह है कि गुण्डे-पुलिस के सपने से उनको मुक्ति आज तक नहीं मिली । वे अपनी मजूरी के बढ़ने का सपना देखते थे लेकिन आजतक बढ़ी नहीं है,जितना कमाते हैं सब खर्च हो जाता है। वे सोच नहीं पा रहे हैं कि कमरतोड़ मेहनत करने बावजूद वे एक भी पैसा बचा क्यों नहीं पाते ? वे सोच रहे हैं कोई नेता उनको पैसे की बचत का सपना क्यों नहीं दिखाता ?

कल नरेन्द्र मोदी जब कडकडडूमा में बोल रहे थे तो सपनों का पुल बना रहे थे, सवाल यह है वे सपनों का पुल क्यों बना रहे थे ? वे तो 9 महिने से दिल्ली के प्रशासन को देख रहे हैं, वे तो बिना विधानसभा चुनाव जीते ही दिल्ली के लिए सब कुछ कर सकते हैं, उनके पास सारे अधिकार हैं,उनको किसने रोका सपनों को साकार करने से ? वे दिल्ली के ज्ञात-अज्ञात को जानते हैं वे अब दिल्ली की हर फाइल के मालिक हैं।

मोदी और उनके दल के नेता कहते रहे हैं शीला दीक्षित भ्रष्ट थीं ,सोनिया भ्रष्ट थीं लेकिन उन्होंने अभी तक कोई जांच आयोग क्यों नहीं बिठाया ? हमारे नेतागण दूसरे नेता को हेय दिखाने के लिए जमकर भ्रष्टाचार-भ्रष्टाचार का हंगामा करते हैं, लेकिन कभी कार्रवाई नहीं करते,स्थिति यह है कि किरन बेदी कल तक भाजपा को भ्रष्ट दल मानती थीं आज उसी दल का अंग हैं। कहने का अर्थ है दिल्ली में भ्रष्टाचार पहले की तुलना में और भी पुख्ता हुआ है। सपनों के पुल पर भ्रष्टाचार सवार होकर आएगा तो यही होगा !

सपने की खूबी है कि वह हर चीज को अपने रंग में रंग लेता है। ठोस को भी वायवीय बना देता है। उसकी अज्ञात सोपानों की अबाधित यात्रा में रुचि होती है। सपनों के रंग मनुष्य को हमेशा अपील करते हैं। दिल्ली में भी सपना जगा है कि अब दिल्ली में झोंपड़ी नहीं रहेंगी, उसकी जगह पक्के घर होंगे ! दिल्ली में झोपड़ी गायब हो जाएगी यह सोचकर मन खुश है। एक सवाल उठता है कि क्या गुजरात में झोंपड़ी वाले नहीं हैं ? क्या सभी झोंपड़ीवालों को मोदीजी ने अपने शासन में पक्के मकान दिए ? जी नहीं, मोदी जब गुजरात में अपार बहुमत देने के बावजूद झोंपडीवालों के लिए पक्के मकान नहीं बना पाए तो दिल्ली में तो वे एकदम नहीं बनाएंगे ।



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