रविवार, 26 जून 2016

मोदी का भयाक्रांत लोकतंत्र

                मोदी के सत्तारूढ होने के बाद "लोकतंत्र" का "भयाक्रांत लोकतंत्र " में रूपान्तरण करने की कोशिशें हो रही हैं।इस खतरे को गंभीरता से लेने की जरूरत है।मोदीजी चाहते हैं लोकतंत्र,लेकिन साथ में यह भी चाहते हैं कि लोग भयभीत होकर रहें।हमें "भयाक्रांत लोकतंत्र" के समूचे तानेबाने को तोड़ना होगा और "वास्तव लोकतंत्र" स्थापित करने की दिशा में बढ़ना होगा।

सच यह है दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अकेले इस पहलू की ओर विभिन्न बयानों के जरिए ध्यान खींच रहे हैं लेकिन विपक्ष उसे गंभीरता से नहीं ले रहा है।"भयाक्रांत लोकतंत्र " बहुत ही भयानक अवस्था है इसकी परिकल्पना संविधान में भी नहीं है,यह फासीवाद की हरकतों और लक्षणों से भिन्न है।

मोदीजी का "भयाक्रांत लोकतंत्र" वस्तुतःसत्ता को दलीय आधार पर देखता है। सत्ता को दल के आधार पर देखना,संसद में बहुमत के आधार पर देखना,उसके आधार पर सत्ता , संसाधनों और नीतियों का डंडे के बल पर अमल कराना मुख्य विशेषता है।आम जनता के आधार पर सत्ता को न देखना,इसकी मुख्य विशेषता है। जबकि सत्ता का आधार है आम जनता,लेकिन मोदीजी के सत्ता में आने के बाद से सत्ता का समूचा खेल बदल गया है। वे रीयल लोकतंत्र के मानकों,मूल्यों और मान्यताओं पर निरंतर हमले कर रहे हैं। वे आम जनता के जीवन में मच रही तबाही की अनदेखी कर रहे हैं और बार बार अपनी निजी उपलब्धियां गिना रहे हैं,मीडिया का व्यापक तौर पर इसके लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।मीडिया में वे खबरें एकसिरे से नदारत हैं जो आम जनता के कष्टों से जुड़ी हों।सारा मीडिया "भयाक्रांत लोकतंत्र " की चपेट में है।वे कोई भी मसला उठाते हैं तो उन्मादी ढ़ंग से उठाते हैं।मसलन् ,देश योग करे यह भी उन्मादी ढ़ंग से संप्रेषित करते हैं।

लोकतंत्र में उन्माद कैंसर है।"भयाक्रांत लोकतंत्र" का उन्मादी प्रचार सबसे प्रभावशाली हथियार है।मोदीजी के राष्ट्रीय क्षितिज पर आने के बाद कोई भी नीति सामान्य रूप में लागू नहीं हुई है।वहीं दूसरी ओर आम जनता के पहले से अर्जित हकों,कार्यक्रमों आदि पर सुनियोजित हमले हो रहे हैं और उनको बंद किया जा रहा है। "भयाक्रांत लोकतंत्र" का मुख्य लक्ष्य हैं गरीब,आदिवासी,किसान और शिक्षित समाज,अपने अब तक के नीतिगत आदेशों के जरिए इन वर्गों को आतंकित करने में वे व्यस्त हैं।



मोदीजी के "भयाक्रांत लोकतंत्र" की राजनीति व्यक्तिकेन्द्रित है।मोदीजी ने पंडित नेहरू ,सोनिया आदि व्यक्तियों के खिलाफ घृणा प्रचार करते हुए अपना राजनीतिक स्पेस बनाया और समूचे प्रचार और सत्ता तंत्र को मोदीकेन्द्रित बनाकर रख दिया है।इस मॉडल में पक्ष-विपक्ष और प्रचार में व्यक्ति ही मुख्य है।मसलन्,पटेल मुख्य हैं,उनकी राजनीति गौण है।यह निकृष्ट किस्म का व्यक्तिवाद है जो व्यक्ति को उसकी राजनीति से अलग रखकर देखता है।यह नेताकेन्द्रित राजनीति का सबसे घटिया मॉडल है।इस मॉडल में नेता ही महान है और नेता ही अधम है।भयाक्रांत लोकतंत्र अपने लिए जन समर्थन जुटाने के लिए आमतौर पर अविवेकवादी औजारों का प्रयोग करता है।



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