बुधवार, 28 दिसंबर 2016

हिन्दू धर्म महान!कालाधन महान !





पीएम नरेन्द्र मोदी की जनविरोधी इमेज क्रमशः बेनकाब हो रही है।लेकिन वे अभी भी मीडिया में बादशाह हैं!उनका जलवा देखने लायक है,हर चैनल उनके हर भाषण को लाइव टेलीकास्ट करता है,वे जब तक बोलें लाइव प्रसारण अबाधित चलता रहता है।यह सुविधा अभी किसी भी नेता के पास नहीं है।राहुल गांधी-केजरीवाल-ममता बनर्जी –सीताराम येचुरी इनका किसी का भी कवरेज मोदी के मुकाबले कहीं नहीं ठहरता।सं
चार के इस वैषम्य का लाभ मोदीजी को मिल रहा है ।
    आरएसएस और भाजपा के टीवी कवरेज का अधिकतर समय घेरा हुआ है।टीवी कवरेज ने ही मोदी का कद सामान्य से असामान्य बनाया है।जब तक टीवी कवरेज के अ-संतुलन को विपक्ष दुरूस्त नहीं करता,जमीनी हकीकत में कोई अंतर नहीं आएगा।यह सच है जमीनी स्तर पर जनता परेशान है और बड़े पैमाने पर गरीबों और मजदूरों को नोट नीति ने आर्थिक नुकसान पहुँचाया है।हम सब मध्यवर्ग के लोग इस नुकसान को देखने और सुनने को तैयार नहीं हैं,इसने मध्यवर्ग के मन में गरीबों और मजदूरों के प्रति बैठी नफरत और दूरी को एकबार फिर से उजागर कर दिया है,इससे वे लेखक और बुद्धिजीवी भी बेनकाब हुए हैं जो बातें जनता की करते हैं लेकिन संकट की इस अवस्था में उनको परेशान आदमी जनता नजर ही नहीं आ रहा !

इसके विपरीत उनको कालेधन ,मोदी की महानता,कांग्रेस के 70साल के दुष्कर्म और वाम की कमजोरियां ही याद आ रही हैं।जबकि हकीकत यह है नोट नीति के कारण आम जनता की परेशानियों को पहले हल करने पर ,उन समस्याओं को सामने लाने पर जोर होना चाहिए,लेकिन हम सब इधर-उधर भाग रहे हैं।

मोदीभक्त इस बात से भी परेशान हैं कि हमारे जैसे लोग अहर्निश मोदी के खिलाफ क्यों लिखते रहते हैं ॽअथवा विपक्ष मोदी के खिलाफ दुष्प्रचार क्यों कर रहा है ॽमोदीजी तो सही काम कर रहे हैं ॽआज समस्या यह नहीं है कि मोदीजी के खिलाफ कौन क्या बोल रहा है ,समस्या यह है नोट नीति के भंवर में से देश कैसे निकलेगा ॽ पहले ही इस भंवर में लाखों-करोड़ों लोगों की जिंदगी को पामाली की ओर ठेल दिया गया है।देश के हर नागरिक को नोट नीति ने परेशान किया है,कष्ट दिए हैं,ये ऐसे कष्ट हैं जो जनता को मिलने नहीं चाहिए लेकिन मिले हैं,जिनको कष्ट मिले हैं या जिनकी नौकरी चली गयी ये वे लोग हैं जिन्होंने कोई अपराध नहीं किया,टैक्सचोरी नहीं की,कालाबाजारी नहीं की,कालेधन को हाथ तक नहीं लगया,बेइंतहा ईमानदार थे फिर भी उनको तकलीफें उठानी पड़ रही हैं।

मैं कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हूँ , आज तक मेरे विश्वविद्यालय की एसबीआई ब्रांच मुझे नियमानुसार एक भी बार 24 हजार रूपये नहीं दे पाई है,मैं कईबार जाकर लौट आया,जितनीबार गया काउंटर पर यही कहा गया 24 हजार नहीं मिलेंगे,मैंने प्रतिवाद में पांच हजार ,सात हजार लेने से इंकार किया,मैं हर महिने 30हजार रूपया आयकर देता हूं,मेरे पास कोई कालाधन नहीं है,भाड़े के घर में रहता हूँ,कार नहीं है,सामान्य मध्यवर्गीय जिन्दगी जीता हूँ।लिखने-पढ़ने की आदत है।इसके बावजूद यदि मैं अपना पैसा बैंक से नहीं निकाल सकता तो आप कल्पना करें आम आदमी को कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा होगा,मैं नौकरी करता हूँ,लेकिन पैसा नहीं है,वे लोग जिनकी नौकरी चली गयी ,वे कैसे गुजारा करेंगे ॽयह सामान्य सच है कि भयानक सच है,यदि इस सच को देखकर आपको बेचैनी नहीं होती तो मैं यही कहूँगा आपकी नागरिकचेतना मर गयी है।आपका नागरिक व्यक्तित्व खत्म होगया है,आप गुलाम हैं और गुलामी को आप मौज में गुजारें, गुलामी में आपको कोई बेचैनी नहीं होगी।

आज यह बेमानी है कि मोदी फासिस्ट हैं या अति-राष्ट्रवादी हैं,घृणा के प्रचारक हैं या सौजन्य के प्रतीक हैं,मोदीजी सभ्य हैं या असभ्य हैं ! क्योंकि आपने गुलामी को अपनी आदत,संस्कार बना लिया है।आपका हिन्दूमन आपको कभी नागरिक की तरह सोचने नहीं देता,अन्य के कष्टों को देखकर मन में कभी प्रतिवाद करने की इच्छा नहीं होती,आपके पास बुद्धि है,डिग्री है,शोहरत है,पद है,सुविधा है,मोदीभक्ति का तमगा है,तुम कार में चलते हो,कार्ड से पेमेंट देते हो,बैंक से लेकर बिग बाजार तक तुमको कहीं पर भी दो हजार रूपये मिल जाते हैं और तुम खुश हो,क्योंकि तुम सुरक्षित जीवन जी रहे हो ! ध्यान रहे गुलाम को भी यही सब चाहिए,गुलाम मानसिकता अन्य को देख नहीं पाती !

मैंने जब हिन्दूमन से नोट नीति को जोड़ा तो अनेक हिन्दुओं को कष्ट हुआ,मैं साफ कह दूँ ,मैं हिन्दूमन,हिन्दू संस्कार,हिन्दू आदतें आदि को मानसिक गुलामी की जंजीरें मानता हूँ।मोदीजी बड़े ही कौशल के साथ इन जंजीरों का अपने पक्ष में दुरूपयोग कर रहे हैं,वे नोट नीति की आड़ में,तथाकथित कालेधन और बेनामी संपत्ति के खिलाफ चलाई जा रही मुहिम की आड़ में हिन्दुओं को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं। वे फासिस्ट हैं या नहीं यह महत्वपूर्ण नहीं है महत्वपूर्ण है उनका जनविरोधी चेहरा जो नोट नीति की आड़ में छिपा हुआ है।

अब तक जितने लोगों के यहां छापे पड़े हैं ये वे लोग हैं जिनको आयकर वाले पहले से जानते थे,इनमें कोई भी नया आदमी नहीं है।कालेधन का न मिलना,नए कालेधन के मालिक का मिलना ,लेकिन कालेधन का धुंआधार प्रचार करते रहना,सिर्फ हिन्दू मन से ही संभव है,धार्मिक मन भगवान की जितनी सेवा करता है भगवान के विपरीत उतना ही आचरण करता है।दिलचस्प बात है अब तक पकड़े गए कालेधन के मालिक अधिकांश हिन्दू हैं!सवाल यह है जैन मतावलम्बी कालेधन वाले कितने अमीर पकड़े गए ॽ जबकि धंधे में जैनियों का वर्चस्व है।



उल्लेखनीय है धर्म के प्रसार के साथ पाप का प्रसार तेजी से होता है।जितना धर्म रहेगा पाप उससे ज्यादा रहेगा।धर्म की महत्ता तब तक है जब तक समाज में पाप और दुष्कर्मों का साम्राज्य बना रहे,जिन समाजों में पाप और दुष्कर्म नहीं हैं वहां धर्म भी नहीं है।धर्म का उद्घोष पाप की सत्ता-महत्ता का जयघोष है,इसी तरह कालेधन के खिलाफ मोदीजी का जयघोष इस बात का संकेत है कालाधन महान है,अजेय है।

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