(गाजा की नाकेबंदी के खिलाफ फिलीस्तीन चित्रकार मुसावअबूसल का बनाया चित्र)
कुछ समय पहले एक सर्वे हुआ था जिसमें फिलीस्तीन और इस्राइली दोनों ही देशों की जनता ने फिलीस्तीन समस्या के समाधान के रुप में दो राष्ट्र के सिद्धान्त पर अपनी राय व्यक्त की थी। कुछ लोगों ने फिलीस्तीन-इस्राइल कनफेडरेशन का सुझाव दिया था।
यह सर्वे हेरी एस ट्रूमैन रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर दि एडवांसमेंट ऑफ पीस ,हेब्रू विश्वविद्यालय ,यरुसलम ,और पैलेस्टाइनसेंटर फॉर पॉलिसी एंड सर्वे रिसर्च ने मिलकर किया था। इस सर्वे को फोर्ड फाउंडेशन का मदद से किया गया। यह सर्वे दो देशों की जनता में किया गया।
सर्वे के परिणाम बताते हैं कि इस्राइलियों में 71 प्रतिशत और फिलीस्तीनियों में 57 प्रतिशत लोग दो राष्ट्र के सिद्धान्त का समर्थन करते हैं। वे चाहते हैं कि फिलीस्तीन और इस्राइल दोनों राष्ट्र पास-पास बना दिए जाएं।
दो राष्ट्र के समाधान के अलावा और क्या समाधान हो सकता है,इसके बारे में भी सर्वे किया था जिस पर 24 प्रतिशत इस्राइलियों और 29 प्रतिशत फिलीस्तीनियों का मानना है कि वैस्ट बैंक और गाजा को इस्राइल का हिस्सा बना दिया जाए और इन इलाकों में रहने वाले फिलीस्तीनियों को इस्राइलियों के बराबर समान अधिकार दे दिए जाएं।
तीसरा समाधान यह है कि दो राष्ट्र,दो देशों की जनता को मिलाकर महासंघ बना दिया जाए। इस समाधान को 30 प्रतिशत इस्राइली और 26 प्रतिशत फिलीस्तीनियों का समर्थन प्राप्त है।
दो राष्ट्र के समाधान को लेकर ज्यादा प्रचार किया जा रहा है,इस पर कई और सर्वे भी उपरोक्त संस्थाओं ने कराए हैं। इसमें यह पाया गया कि दो राष्ट्र के समाधान को इन देशों की जनता को समझाना बेहद मुश्किल है। 38 प्रतिशत इस्राइली और 42 प्रतिशत फिलीस्तीनियों का मानना है कि दो राष्ट्र के समाधान को लागू करना बेहद कठिन काम है। यह सर्वे वैस्ट बैंक,यरुसलम में 1270 लोगों और गाजा के लोगों में 127 लोगों के सेंपिल पर आधारित है।
उल्लेखनीय है कि विश्व जनमत में दो राष्ट्र के समाधान पर ज्यादा से ज्यादा राय बन रही है और यह माना जा रहा है कि सन् 1967 के जून माह से पहले की अवस्था को आधार बनाकर दो राष्ट्रों का निर्माण कर दिया जाए और उसी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इनकी राष्ट्रीय सीमा भी बना दिया जाए। इसमें जरुरी हो तो छोटे परिवर्तन किए जा सकते हैं।
दो राष्ट्र का समाधान नया समाधान नहीं है बल्कि यह समाधान 70 के दशक में ही पेश किया जा चुका था लेकिन उस समय अमेरिका ने इसे नहीं माना। मध्यपूर्व और अमेरिकी विदेशनीति के विशेषज्ञ नॉम चोम्स्की ने लिखा है कि दो राष्ट्र के सिद्धान्त को मध्यपूर्व के अरब राष्ट्रों और इस्लामिक देशों के संगठन का भी समर्थन हासिल था,इस संगठन में ईरान भी शामिल है। यहां तक कि हमास ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया था।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 1976 में पहलीबार दो राष्ट्र का समाधान पेश किया गया था। यह प्रस्ताव अरब राष्ट्रों ने पेश किया था,सुरक्षा परिषद के इस अधिवेशन का इस्राइल ने बहिष्कार किया था। अमेरिका ने सुरक्षा परिषद में इस प्रस्ताव के खिलाफ वोट दिया था। अमेरिका ने यही हरकत 1980 में भी की और इसी नीति पर वह अब तक संयुक्त राष्ट्र संघ में चलता रहा है। दो राष्ट्र के समाधान का अमेरिका-इस्राइल हमेशा विरोध करते रहे हैं। जबकि फिलीस्तीन के दोनों प्रधान संगठनों फतह और हमास ने दो राष्ट्र के समाधान का हमेशा समर्थन किया है।
अमेरिका-इस्रायल या फिलिस्तीन जाकर क्यों नहीं समझाते आप उन्हें! बढ़िया रहेगा, हो सकता है शांति का नोबेल आपको मिल जाये...
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