सुनने में अटपटा लगता है लेकिन वास्तविकता है कि जेएनयू के सांस्कृतिक वातावरण में जातिवाद का विष आ गया है। जेएनयू लंबे समय तक जातिवाद के जहर से मुक्त था। लेकिन आज ऐसा नहीं है। मैं लंबे समय वहां पढ़ा हूँ और एक भावनात्मक लगाव भी महसूस करता हूँ,जेएनयू के बारे में पुराने और नए दोस्तों से पूछता रहता हूँ। इस क्रम में मेरे कानों में एक छात्र की यह पीड़ा भी आई है कि जेएनयू में जातिवाद घुस आया है। विद्यार्थियों में एक अच्छा-खासा तबका तैयार हो गया है तो जातिवादी मनोदशा में जी रहा है।
जेएनयू के शानदार सांस्कृतिक वातावरण में पैदा हुए जातिवाद के खिलाफ व्यापक सार्वजनिक बहस चलाई जानी चाहिए। जेएनयू के छात्र सक्षम हैं और देश-विदेश की समस्याओं पर चर्चाएं करते रहते हैं। उन्हें इस प्रश्न पर विचार करना चाहिए कि भारत का सबसे शानदार विश्वविद्यालय अचानक जातिवाद की चपेट में कैसे आ गया है ?
क्या जेएनयू में पैदा हो रही जातिवादी चेतना का वहां के पाठ्यक्रमों में आए बदलाव से कोई संबंध है ? क्या
जेएनयू में पैदा हो रही जातिचेतना का कैरियरपंथी रुझान से संबंध है ?
क्या जेएनयू में दाखिला नीति के बदल जाने के साथ इसका संबंध है ?
क्या जेएनयू में पठन-पाठन के गिरते स्तर के साथ इसका संबंध है ?
क्या जेएनयू का विचारधारात्मक रक्षाकवच कमजोर हो गया है ? यही विचारधारात्मक रक्षा कवच था जिससे टकराकर देश में व्याप्त जातिवाद टूट जाता था ।
जेएनयू में बढ़ रही जातिवादी चेतना के पीछे क्या कैंपस में बढ़ रही अराजनीति की राजनीति का हाथ है ? क्या अतिवामपंथी राजनीति की आड़ में जातिवादी गोलबंदी तो नहीं चल रही ?
संभवतः आम लोगों को यह बात सीधे समझ में न आए लेकिन यह एक वास्तविकता है परंपरागत वाम राजनीति को कैंपस में अपदस्थ करने के नाम पर गैर परंपरागत तथाकथित वाम राजनीति का जब से कैंपस में पदार्पण हुआ है। जातिवादी चेतना में इजाफा हुआ है।
गैर परंपरागत वाम का बिहार से लेकर आंध्र तक जितना जुझारू तेवर है, क्रांतिकारीभाव है उसकी ओट में माओवाद प्रभावित इलाकों में जातिवादी वैमनस्य और घृणा व्यापक रुप में फैली हुई है।
माओवादी संगठनों से लेकर आइसा जैसे संगठनों की विचारधारात्मक परिणतियों के बारे में खासकर जातिवादी फिनोमिना के साथ उसकी अन्तर्क्रियाओं के बारे में गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। आप भी बताएं क्या सोचते हैं ?
जगदीश्वर चतुर्वेदी। कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रोफेसर। पता- jcramram@gmail.com
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