सोमवार, 10 मई 2010

याहू ने ईमेल के प्रसंग में नेट यूजर की प्राईवेसी का मुकदमा जीता

           याहू कंपनी ने एक महत्वपूर्ण मुकदमे  में कोलोराडो फेडरल सरकार को एक कानूनी जंग में हरा दिया है। यह मुकदमा यूजरों खासकर ईमेल करने वालों की प्राइवेसी की रक्षा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण था। भारत के ईमेल यूजरों के लिए भी इसकी महत्ता है। 
      कोलोराडो का सरकारी वकील तर्क दे रहा था कि छह महिने से ज्यादा पुराने ईमेल ,ई सामग्री के दायरे में नहीं आते। अतः संबंधित व्यक्ति के छह महिने पुराने ईमेल दे देने चाहिए। सरकार को एक केस के सिलसिले में किसी व्यक्ति के छह महिने पुराने ईमेल की जरुरत थी और वह यह ईमेल बगैर किसी ई कानून और प्राईवेसी कानून का पालन किए बगैर हासिल करना चाहती थी।   
       अमेरिका में किसी के ईमेल हासिल करने के लिए संवैधानिक वारंट की जरुरत होती है। याहू का तर्क था कि सरकारी वकील बगैर संवैधानिक वारंट के ईमेल हासिल करना चाहता है जो कानूनन गलत है।
      सरकारी वकील का कहना था कि 1986 का कानून अमेरिका की सरकार को यह अधिकार देता है कि सरकार को अगर जरुरत है तो किसी व्यक्ति के ईमेल वह नेट सर्विस प्रदाता कंपनी से हासिल कर सकती है। यदि वह ईमेल छह महिने और उससे ज्यादा पुराना है तो बगैर कारणवारंट के प्राप्त कर सकती है। बाद में सरकारी वकील अपनी राय से पीछे हट गया और कहा कि छह महिने से कम अवधि के ईमेल प्राप्त कर सकते हैं लेकिन वे ईमेल स्वयं ईमेल करने वाले को ही अदालत में पढ़ने होंगे।  
     याहू के पक्ष का गूगल,माइक्रोसॉफ्ट तथा अनेक स्वयंसेवी नेट संस्थाओं ने समर्थन किया था। उल्लेखनीय है अमेरिका में सारे सारी दुनिया के ईमेल नेट कंपनियों के द्वारा स्टोर किए जाते हैं।
    अमेरिका में सरकार के पास किसी भी व्यक्ति के ईमेल प्राप्त करने का हक है चाहे वह व्यक्ति शक के घेरे के बाहर हो। सिर्फ सरकार को यह बताना होगा कि ईमेल का किसी आपराधिक मामले में जरुरी इस्तेमाल हो सकता है।
    झंझट तब आरंभ हुआ जब कोलोराडो के मजिस्ट्रेट ने आदेश दिया है कि छह महिने के जो ईमेल यूजर के पास हैं और डाउनलोड हो सकते हों वे पेश किए जाएं। याहू ने मजिस्ट्रेट के आदेश को मानने से इंकार किया और कहा कि सन् 1986 के स्टोर्ड कम्युनिकेशन एक्ट के अनुसार सरकार को ईमेल हासिल करने के लिए कारण बताना होगा और संवैधानिक वारंट हासिल करना होगा उसके बाद ही ईमेल दिए जा सकते हैं। सारी बहस के बाद सरकार और याहू इस बात पर एकमत हो गए कि 180 दिन के अंदर के बगैर खुले या खुले ईमेल हासिल करने के लिए अदालत को कारण बताना होगा। ऐसी स्थिति में बिना वारंट के भी ईमेल दिए जा सकते हैं।    




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