मंगलवार, 4 मई 2010

यूरोप में बुद्धिजीवियों का महान प्रतिवाद



         इस्राइल को यहूदी बुद्धिजीवियों के अब तक के सबसे बड़े प्रतिवाद का सामना करना पड़ रहा है। यूरोपीय यहूदी बुद्धिजीवियों के द्वारा जारी अपील पर अब तक 4150 बुद्धिजीवी हस्ताक्षर कर चुके हैं। यूरोप के यहूदी बुद्धिजीवी आमतौर पर शांत रहते हैं और इस्राइलपंथी बुद्धिजीवी सहज ही अपनी राय नहीं बदलते। वे अपने विचारों के प्रति पक्के आस्थावान होते हैं। फिलीस्तीन जनता पर इन दिनों जिस तरह का जुल्मोसितम इस्राइल कर रहा है उस पर किसी भी मनुष्य को इस्राइल से घृणा होने लगेगी। इस्राइल नयी योजना के तहत समूची फिलीस्तीन आबादी को भूख और अभाव से तड़पा तड़पाकर जान से मार देना चाहता है यही वजह है कि उसने गाजा की नाकेबंदी की हुई है और वहां पर किसी भी किस्म की मानवीय सहायता सामग्री ,दवा आदि की सप्लाई तक रोक दी है। बिजली बंद है।पीने के पानी के स्रोत नष्ट कर दिए हैं। साधारण नागरिक अकथनीय तकलीफें उठा रहे हैं। यही वह वास्तविकता है जिसने यूरोपीय बुद्धिजीवियों के दिलों को बेचैन कर दिया है और अब समूचे यूरोप में बौद्धिक प्रतिवाद की आंधी चल निकली है। यूरोप के बुद्धिजीवी सक्रिय हो उठे हैं।
      उल्लेखनीय है रविवार को यूरोप के 3 हजार यहूदी बुद्धिजीवियों ने यूरोपीय संसद को एकपत्र लिखकर अपील की थी कि वैस्ट बैंक और पूर्वी यरुसलम में इस्राइल द्वारा अवैध कॉलोनियों के निर्माण कार्य को तुरंत रोका जाना चाहिए। इस इलाके में शांति स्थापित की जानी चाहिए। इस पत्र पर दस्तखत करने वाले ऐसे भी यहूदी बुद्धिजीवी हैं जो कल तक इस्राइल की प्रत्येक नीति का समर्थन करते थे । इन लोगों में इस्राइल अनेक बड़े बुद्धिजीवी हैं जिनके इस्राइल के राजनेताओं खासकर सीमोन के दोस्त हैं। 
     
        यहूदी बुद्धिजीवियों ने लिखा है कि अब उनके सामने कोई विकल्प नहीं बचा है और वे मजबूरी में यह पत्र लिख रहे हैं। बुद्धिजीवियों ने लिखा है इस्राइल नहीं जानता कि वह किस जमाने में है। वह यह भी नहीं महसूस करता है कि उसका सारी दुनिया से संबंध कट गया है। यूरोप के यहूदी बुद्धिजीवियों ने लिखा है कि इस्राइल को विवेक से काम लेना चाहिए। इन बुद्धिजीवियों ने यह भी कहा है कि इस्राइल सरकार का फिलीस्तीन में पुनर्वास बस्तियां बसाना और उसे सुनियोजित अंध समर्थन खतरनाक कदम है। इस बयान पर जिन लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं उनमें फ्रेंच दार्शनिक बर्नार्ड हेनरी लेवी और एलिन फिनकिलकुर्त्त जैसे महान बुद्धिजीवी भी शामिल हैं। ये वे लोग हैं जो इस्राइल के पक्के समर्थक रहे हैं। इसके अलावा इस पत्र पर वामपंथी महान बुद्धिजीवी डेनियल कोन्ह बेंडिट ,जो 1960 के फ्रांस के छात्र आंदोलन के नेता थे, के भी हस्ताक्षर हैं। इन दिनों वह यूरोपीय संसद में ग्रीन पार्टी के नेता हैं। 
      इन बुद्धिजीवियों ने सोमवार को ब्रूसेल्स में यूरोपीय संसद में अपनी राय व्यक्त करने का फैसला लिया है। इस पत्र में इन बुद्धिजीवियों ने अपने को यूरोपीय देशों के नागरिक के नाते पेश किया है। वे इसके बहाने अपने-अपने देश की सामाजिक जिंदगी को व्यक्त करना चाहते हैं। इन बुद्धिजीवियों ने लिखा है कि इस्राइल सरकार की नीति का सुनियोजित समर्थन खतरनाक है और यह इस्राइल राज्य के किसी सच्चे मकसद को पूरा नहीं करता। इस पत्र में कहा गया है कि इस्राइल को वैस्ट बैंक और पूर्वी यरुसलम में पुनर्वास बस्तियों का निर्माण तुरंत बंद करना चाहिए। पत्र में यह भी कहा गया है कि फिलीस्तीनियों की जमीन पर कब्जा और पुनर्वास बस्तियां बसाने का काम नैतिक और राजनैतिक तौर पर गलत है।
     हिन्दी के ब्लॉगर बंधु यूरोपीय यहूदी बुद्धिजीवियों के द्वारा लिखे इस पत्र और इस पर लिखी बुद्धिजीवियों की टिप्पणियों को http://www.jcall.eu पर जाकर पढ़ सकते हैं। अब तक इस पत्र पर यूरोप के 4150 बुद्धिजीवी हस्ताक्षर कर चुके हैं।
( दोनों पेंटिंग फिलीस्तीन के कलाकारों ने गाजा की नाकेबंदी के प्रतिवाद में बनाई हैं)










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