सोमवार, 10 अगस्त 2015

संविधान पर हमला है हर हर महादेव का नारा


हिन्दुत्व का नायक कल गया में हर-हर महादेव का नारा लगा रहा था। चुनाव में हर- हर महादेव का नारा नया फिनोमिना है। यह साम्प्रदायिक राजनीति के आनेवाले मंसूबों की खतरनाक सूचना भी है।

जो व्यक्ति चुनावी मंच से संविधान की रक्षा की शपथ तोड़े,चुनाव आरंभ होने के पहले ही साम्प्रदायिक नारेबाजी करे,संविधान की प्रचलित परंपराओं को सीधे विसर्जित कर दे और साथ में राज्यवासियों के बारे में ‘बीमारु राज्य’ कहकर घृणा का प्रचार करे ऐसे व्यक्ति की यदि बिहार में सरकार आ जाए तो बिहार का समूचा धर्मनिरपेक्ष तानाबाना टूटने में ज्यादा देर नहीं लगेगी। हिन्दुत्ववादियों की चुनावी सभा में हर-हर महादेव का नारा स्वतःस्फूर्त्त नारा नहीं है। यह पहलीबार हुआ है कि एक राष्ट्रीयदल ने वोटों के स्वार्थ के चलते खुल्लम-खुल्ला साम्प्रदायिक कार्ड चला है। राजनीति में हर- हर महादेव का नारा घिनौना और विभाजनकारी नारा है। यह राजनीति और धर्म को मिलाने की घटिया कोशिश है। इसकी हर स्तर पर निंदा होनी चाहिए।

गया में हिन्दुत्व के फिल्मी हीरो ने जब मंच से यह नारा दिया गया तो हिन्दुस्तान के बारे में देश के बाहर यही संदेश गया कि भारत हिन्दुत्व की ओर जा रहा है। हर हर महादेव का नारा लगाना संविधान का अपमान है और धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रुप में भारत की सरेआम हत्या है ।

हिन्दुत्व का नायक जब कल गया में बोल रहा था तो लग रहा था कोई हिन्दी की फार्मूला फिल्म का नायक बोल रहा है। राजनीतिक सभा के मंच को फिल्मी सिनेमा का मंच बनाना और फिल्मी नायकों की तरह बोलना,राजनीति के नए रुप की ओर सोचने को विवश कर रहा है। लगता है यही है हिन्दुत्व के नायक की पूरी स्क्रिप्ट मुंबईया फार्मूला फिल्म लेखक ने लिखी हो। फिल्मी स्क्रिप्ट में जिस तरह राजनीतिक गरिमा का ख्याल नहीं रखा जाता,जो मन में आए नायक भाषण देता है, ठीक वैसा ही हाल कल की गया सभा में हिन्दुत्व के नायक का था।

उत्तेजना,घृणा,हीनताबोध,धिक्कारभावना और हर-हर महादेव ये सारी चीजें मिलाकर नायक का भाषण तैयार किया गया था। हर -हर महादेव का नारा वस्तुतः राष्ट्र की धर्मनिरपेक्ष पहचान पर खुला हमला है। यह असामान्य अपराध है। यह अपराध जो भी करेगा उसे सार्वजनिक तौर पर जलील किया जाना चाहिए,कानून की नजरों में उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।इससे भी बड़ी कार्रवाई यह है कि इस तरह की हरकतों के बारे में सार्वजनिक तौर पर बहस चलाई जानी चाहिए।

हर –हर महादेव का राजनीतिक मंचों से नारा वे ही लोग लगाते हैं जो जनता को धर्म के नाम पर गोलबंद करना चाहते हैं।बिहार में हिन्दुत्ववादी ताकतें बहुसंख्यकवाद का कार्ड खेलकर थोक के हिसाब से वोट बटोरना चाहती हैं। ये लोग बिहार की आम जनता के पिछड़ेपन को उत्तेजना फैलाने के लिए इस्तेमाल करने का मन बना चुके हैं। किसी भी राज्य के पिछड़ेपन को यदि राजनीतिक उत्तेजना फैलाने के लिहाज से उठाया जा रहा है तो समझ लो इस तरह तत्वों की विकास में कोई दिलचस्पी नहीं है। उनकी दिलचस्पी तो उत्तेजना में है। बिहार के आने वाले चुनाव में सामाजिक उत्तेजना और हर-हर महादेव के सम्मिश्रण से जो हिन्दुत्ववादी प्रचार तैयार हो रहा है उसके व्यापक राजनीतिक परिणाम होंगे। बिहार के चुनाव में व्यापक स्तर पर धार्मिक और जाति ध्रुवीकरण पैदा करने की कोशिश की जाएगी । राजनीति के सबसे निचले स्तर से हिन्दुत्व के नायक ने प्रचार का आरंभ किया है ऐसे में भविष्य में राजनीति का और भी ह्रासशील रुप सामने आने की संभावना है। हिन्दुत्व के नायक की पूरी कोशिश होगी बिहार में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण हो जिससे हिन्दू राष्ट्र के सपने का सामाजिक आधार तैयार किया जाय।





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