रविवार, 16 अगस्त 2015

राहुल गांधी की नई इमेज और नई राजनीति

    

           राहुल गांधी की नई इमेज परिवर्तनकामी है,खुली है, यह कांग्रेस के मूल स्वभाव से भिन्न है। कांग्रेस का मूल स्वभाव सत्ता अनुगामी और छिपानेवाला रहा है,जबकि राहुलगांधी सत्ता से मुठभेड़ कर रहे हैं,पार्टी को खेल रहे हैं। वे इस क्रम में दो काम कर रहे हैं,पहला यह कि वे कांग्रेस की नीतियों में परिवर्तन कर रहे हैं, पुरानी नीतियों से अपने को अलगा रहे हैं, उन पर क्रिटिकली बोल रहे हैं। इससे नई राजनीतिक अनुभूति अभिव्यंजित हो रही है।
कांग्रेस के शिखर नेतृत्व में यह प्रवृत्ति रही है कि वह नीतियों पर हमले कम करता रहा है लेकिन राहुल इस मामले में अपवाद हैं वे मनमोहन सिंह के जमाने में भी नीतिगत मसलों पर निर्णायक हस्तक्षेप करते थे और इन दिनों तो वे भिन्न तेवर में नजर आ रहे हैं। इस क्रम में समूची कांग्रेस की मनोदशा में परिवर्तन घटित हो रहा है। आज राहुल गांधी पहल करके जनता के मसलों को उठा रहे हैं,जनांदोलनों के बीच में जा रहे हैं। हाल ही में पूना फिल्म एवं टीवी संस्थान और पूर्व सैनिकों के आंदोलन स्थल पर राहुल गांधी का जाना शुभलक्षण है। राहुल गांधी पूना संस्थान के छात्रों के जुलूस के साथ राष्ट्रपति से मिलने गए, यह सामान्य घटना नहीं है। कांग्रेस ने कभी इस तरह के जनांदोलनों में, अन्य के द्वारा संचालित आंदोलन में शिरकत नहीं की है। मेरी जानकारी में राहुल गांधी से पहले कभी किसी कांग्रेसी शिखर नेता ने जनांदोलन के साथ खड़े होकर राष्ट्रपति को मांगपत्र पेश नहीं किया। यह नया फिनोमिना है और इसका स्वागत होना चाहिए।

राहुल गांधी के एक्शनों ने भाजपा-संघ परिवार के मीडिया नियंत्रण और सरकार नियंत्रण की चूलें हिलाकर रख दी हैं। यह बात साफ नजर आ रही है कि राहुल गांधी जो कह रहे हैं वैसा ही वे आचरण कर रहे हैं और उसी दिशा में राजनीतिक चक्र घूम भी रहा है। भूमि अधिग्रहण कानून को लेकर कांग्रेस ने जो कहा उसे तकरीबन करके दिखा दिया है, मोदी सरकार कई बार अध्यादेश निकालकर भी इस कानून को लागू नहीं कर पाई है। साथ ही भाजपा करप्ट है यह संदेश आम जनता में सम्प्रेषित करने में राहुल गांधी पूरी तरह सफल रहे हैं। इससे मोदी सरकार की साख में बट्टा लगा है,उनके भाषणों की लय टूटी है। चमक फीकी पड़ी है।

राहुल गांधी के नए रुप ने कांग्रेसी राजनीति को पारदर्शी, आक्रामक और सेल्फ क्रिटिकल बनाया है। बार बार हर कदम पर कांग्रेस को अपनी ही सरकार के नीतिगत फैसलों की आत्मालोचना भी करनी पड़ रही है। इससे कांग्रेस में नई संस्कृति बन रही है और इससे भाजपा-संघ बहुत परेशान हैं। यही वजह है कि वे हर मसले पर राहुल गांधी पर व्यक्तिगत हमले कर रहे हैं, अ-राजनीतिक कमेंटस कर रहे हैं। दूसरी बड़ी बात यह है कि राहुल के एक्शनों पर मीडिया से लेकर राजनीतिक दलों तक सकारात्मक राय बन रही है और इससे नए किस्म की कांग्रेस के जन्म की संभावनाएं पैदा हो रही हैं।






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