(अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा और उनकी पत्नी मिशेल ओबामा 26/11 के शहीदों को मुंबई के ताज होटल में श्रद्धांजलि भाषण देते हुए)
अमेरिका के राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा जब कल भारत पहुँचे तो उनके कई चेहरे नजर आए। इनमें पहला मानवीय चेहरा नजर आया है। ओबामा के मानवीय पहलू पर टीवी चैनलों ने खूब जोर दिया है। बराक ओबामा ने आते ही 26/11 के शहीदों को श्रद्धांजलि दी और जिस तरह का गंभीर भाषण दिया वह काबिले तारीफ़ है।
ओबामा किसी भी किस्म के उन्माद से रहित होकर 7 मिनट बोले उससे एक संकेत तो यही गया है कि आतंकवाद के खिलाफ उन्मादी भाषण काम नहीं आते बल्कि वे आग में घी का काम करते हैं। यह बात ओबामा पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के पराभव और हाल में सम्पन्न अमेरिकी चुनावों में अपने दल की पराजय से सीख चुके हैं।
ओबामा ने बड़े ही ठंड़े दिमाग से 26/11 के शहीदों की याद में उन्होंने जो कुछ कहा वह काफी मूल्यवान है और यह उन लोगों के लिए चेतावनी है जो भारत में आतंकवाद विरोधी मुहिम के नाम पर पाकविरोधी घृणा फैला रहे हैं। आतंकवाद पर ओबामा का ताजहोटल में दिया गया भाषण ठंड़ा और शानदार भाषण है। इस भाषण का पहला संदेश है आतंकवाद से लड़ो पाकिस्तान से नहीं। दूसरा संदेश है आतंकवाद से उन्माद फैलाकर,घृणा फैलाकर नहीं लड़ा जा सकता है। ठंड़े दिमाग से लड़ो।
अधिकांश टीवी चैनल वाले यह उम्मीद लगाए बैठे थे कि ओबामा जब 26/11 के बारे में बोलेंगे तो पाक का हवाला जरूर देंगे। उन्होंने 26/11 में पाक की भूमिका का कहीं कोई जिक्र नहीं किया। ऐसा करके ओबामा ने एकदम सही काम किया। वे जानते हैं कि आतंकवाद को उन्माद या घृणा फैलाकर नहीं पछाड़ सकते। हमारे टीवी चैनल 26/11 के बहाने और अन्य मौकों पर पाक विरोधी घृणा का प्रचार करते रहते हैं और कल भी अधिकांश टीवी चैनलों में यही भावना व्यक्त की गई कि ओबामा को कम से कम इस घटना में पाक की घृणित भूमिका की निंदा करनी चाहिए थी ।
यह सच है पाक 26/11 की घटना का आयोजक था और आज भी सीमापार से आतंकवादी गतिविधियों का संचालन पाक के प्रमुख संस्थान कर रहे हैं। समस्या यह है कि पाक के खिलाफ राय बनायी जाए या आतंकवाद के खिलाफ राय बनायी जाए। इसी संदर्भ में ओबामा ने जोर आतंकवाद के खिलाफ राय बनाने पर दिया है और ऐसा करके उन्होंने ठीक किया है।
ओबामा का यह कहना ही काफी है कि हम 26/11 की इमेजों को नहीं भूल सकते । आतंकी हमले के संदर्भ में ओबामा ने बड़े ही सकारात्मक मनोभाव का परिचय दिया है। उन्होंने आतंकियों को हत्यारे की संज्ञा दी है। उन्होंने मुंबई की जनता,होटल के स्टाफ,पुलिस जवानों की बहादुरी आदि की भूरि-भूरि प्रशंसा की और उन लोगों के परिवारीजनों से भी मिले जो इस हमले में मारे गए थे। ओबामा ने कहा “We'll never forget the awful images of 26/11, including the flames from this hotel that lit up the night sky. We'll never forget how the world, including the American people watched and grieved with all of India.”
जो लोग ओबामा में उन्माद की तलाश कर रहे हैं उन्हें पहले दिन के भाषण से निराशा हाथ लगी है। क्योंकि उनकी इस यात्रा में अमेरिका के बड़े हित दांव पर लगे हैं ,बड़े हितसाधन करने के लिए उन्मादी भाषण मदद नहीं करते। ठंड़े भाषण मदद करते हैं।
ओबामा की इस यात्रा का लक्ष्य है अमेरिका के व्यापारिक-सैन्य हितों का विस्तार करना। देखना यह है कि ओबामा की पब्लिक रिलेशन की यह पद्धति कितनी प्रभावी सिद्ध होती है।
ओबामा के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि वे भारत से क्या लेकर जाते हैं। पहलीबार कोई अमेरिका राष्ट्रपति भारत से कुछ मांगने आया है,ओबामा ने बड़ी साफगोई के साथ अपने देश के संकट का जिक्र कर दिया है ,उन्हें भारत से व्यापार करना है और वे चाहते हैं कि अमेरिकी युवाओं को नौकरियां मिलें। भारत में कभी किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने युवाओं के लिए नौकरियां नहीं मांगी हैं,ओबामा ने कल भारत की जितनी प्रशंसा की है उतनी प्रशंसा भी किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने नहीं की हैं।
ओबामा की इस साफगोई और मानवीय भावनाओं के पीछे सुरक्षा,संप्रभुता और मातहत बनाने का बड़ा खेल चल रहा है। ओबामा का सामने मानवीय चेहरा मुझे निजी तौर पर अच्छा लग रहा है लेकिन उसके सैन्य और संप्रभुता संबंधी निहितार्थ खतरनाक लग रहे हैं। देखना है कहीं ओबामा की मानवीय इमेज की ओट में भारत की संप्रभुता को नष्ट करने का शैतानी खेल तो नहीं चल रहा ? क्योंकि कल ही ‘टाइम्स नाउ’ चैनल ने एक बड़ा ही सनसनीखेज दस्तावेज जारी किया है जिसमें बताया गया है कि अमेरिका के द्वारा भारत को सैन्य और तकनीकी रूप में मातहत बनाने की साजिशें चल रही हैं।
पेंटागन और भारत के रक्षा मंत्रालय के बीच में ‘इंटर ऑपरेविलिटी एग्रीमेंट’ नांमक समझौते पर अंदर ही अंदर वार्ताएं चल रही हैं। अगर यह समझौता हो जाता है तो भारत के लिए बड़ा अहितकारी होगा। चैनल के अनुसार भारत को इस सैन्य समझौते के तहत पेंटागन का मातहत बनाने की कोशिशें की जा रही हैं। चैनल ने यहां तक कहा कि य़ह एक और पाकिस्तान बनाने की योजना है।
इस दस्तावेज का सनसनीखेज खुलासा ओबामा की यात्रा के पहले दिन करके चैनल ने उस खेल की ओर संकेत किया है जो ओबामा की इस यात्रा की आड़ में चल रहा है। देखना होगा कि ओबामा भारत से जाते हैं तो क्या लेकर जाते हैं और क्या देकर जाते हैं।
संभावनाएं यही हैं कि ओबामा इस यात्रा से अमेरिका में अपनी खोई हुई साख को बचाना चाहते हैं। वे अमेरिकी जनमानस को यह सदेश देना चाहते हैं कि मैं भारत से अमेरिका के आम नागरिकों के लिए बहुत कुछ लेकर आया हूँ। ओबामा के पहले दिन के कार्यक्रमों पर ‘टाइम्स नाउ’ चैनल की संदेह दृष्टि लगी थी। वहीं अन्य चैनलों जैसे एनडीटीवी ,सीएनएन-आईबीएन आदि ने इस यात्रा के पहले दिन के कवरेज में अमेरिकी सरकार के जनसंपर्क चैनल की तरह काम करते हुए ओबामा की व्यापार और मानवीयता की भावना को खूब उभारा है।
सुंदर रिपोर्ट और सधी हुई टिप्पणी।
जवाब देंहटाएंओबामा की ठगी से संतुष्ट नहीं और आपकी इस रिपोर्ट में ओबामा के पक्षपात से भी।
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