बुधवार, 3 नवंबर 2010

बराक ओबामा से कबीर की भेंट


  अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत आ रहे हैं,उनका पूरा शाही तामझाम आ रहा है। यहां उनका व्यस्त कार्यक्रम रहेगा। वे सबसे मिलेंगे। सांसदों से मिलेंगे,व्यापारियों से मिलेंगे, महात्मा गांधी से भी मिलेंगे। घाट ,होटल,जलसे और समारोहों में व्यस्त रहेगे। कबीर को जब पता चला कि ओबामा भारत आ रहे हैं और उनसे मिलने की कोई व्यवस्था केन्द्र सरकार ने नहीं की है तो वे ओबामा से मिलने सीधे अमेरिका पहुँच गए। वहां जो हुआ उसे सआदत हसन मंटो की आंखों से पढ़ लीजिए।
  ‘‘ सफ़आरा (पंक्तिबद्ध) फ़ौजों के सामने जरनैल ने तक़रीर करते हुए कहाः ‘‘ अनाज कम है,कोई परवाह नहीं... फ़स्लें तबाह हो गई हैं,कोई फ़िक्र नहीं... हमारे सिपाही दुश्मन से भूखे ही लड़ेंगे।’’
    दो लाख फ़ौजियों ने ‘जिंदाबाद,जिंदाबाद ’ के नारे लगाने शुरू कर दिए।
   कबीर चिल्ला-चिल्ला कर रोने लगा।
   जरनैल को बहुत गुस्सा आया-वह पुकार उठाः ‘ऐ शख़्स ,बता सकता है,तू क्यों रोता है ?’’
कबीर ने रोनी आवाज़ में कहाः ‘ ऐ मेरे बहादुर जरनैल,भूख से कौन लड़ेगा ?’’
दो लाख फ़ौजियों ने ‘कबीर मुर्दाबाद’ के नारे लगाने शुरू कर दिए।’’



          

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