शुक्रवार, 9 जुलाई 2010

सोशल नेटवर्क की सामाजिकता का अंत

बहुत पहले कार्ल मार्क्स ने कहा था कि पूंजीपतिवर्ग ने अपने स्वार्थ के लिए सारी दुनिया में छापा मारा और समस्त पवित्र संबंधों को नष्ट कर दिया। जहां पर वह यह नहीं कर पाया वहां उन्हें बाजार का गुलाम बना दिया। ठीक यही बात सोशल नेटवर्क पर लागू होती है। कल तक सोशल नेटवर्क का आम यूजर मित्रता,भाईचारे आदि के विकास के लिए सोशल नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहा था लेकिन कुछ अर्से से सोशल नेटवर्क पर बाजार के मालिकों की गिद्धदृष्टि पड़ी है और अब उन्होंने सोशल नेटवर्क के विश्वास का अपने मुनाफों के विस्तार के लिए दुरूपयोग आरंभ कर दिया है। अब माल की बिक्री के लिए दोस्तों और अनुयायियों की बिक्री हो रही है।
    आमतौर पर सोशल नेटवर्क के यूजर और सदस्य एक-एक करके अपने दोस्त और अनुयायी बनाते हैं । वे प्रत्येक के साथ निजी तौर पर संपर्क बनाते हैं। बाद में अपने दोस्तों और अनुयायियों से संवाद करते हैं,बहस चलाते हैं। अपनी राय का आदान-प्रदान करते हैं। यह सिस्टम विश्वास और वफादारी पर टिका है। यही वह बिंदु है जहां पर बाजार की शक्तियां दाखिल होती हैं और अपने माल की बिक्री के लिए सोशल नेटवर्क पर अनंत संभावनाएं देख रही हैं।
    सोशल नेटवर्क पर भेड़चाल है कि जिस व्यक्ति या कंपनी के ज्यादा मित्र हैं लोग उसी के पास जा रहे हैं। जिसके पास ज्यादा मित्र वहीं पर माल के प्रचार और बिक्री की ज्यादा संभावनाएं हैं। सोशल नेटवर्क ने कुटीर उद्योग के रूप में वर्चुअल बाजार की मदद करनी शुरू कर दी है।
    चूंकि दोस्त एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं तो बाजार की शक्तियां दोस्तों के भरोसे को माल की बिक्री और प्रचार में रूपान्तरित करने में लगी हैं। ट्विटर ने तो अपने माल के फॉलोअर को कमीशन पर बेचना आरंभ कर दिया है। कहने का तात्पर्य यह है कि सोशल नेटवर्क साइट और सोशल नेटवर्क मार्केटियर के बीच में चूहे-बिल्ली का खेल आरंभ हो गया है। और अब यूजर नामक चूहे की खैर नहीं दिखती।
    अब सोशल मार्केटियर सीधे उन ग्रुपों के पास जा रहे हैं जिनके पास ठोस मित्र और अनुयायी हैं। ऐसे ट्विटरों और फेसबुकधारी यूजरों की सीधे खरीद की जा रही है। जब एक बार ट्विटर या सोशल नेटवर्क के इंचार्ज से सौदा पट जाता है तो फिर सीधे माल की मार्केटिंग संबंधित सोशल नेटवर्क के यूजरों के साथ बड़े ही विश्वास के साथ की जा सकती है।
     ट्विटरों से सामयिक अपडेट लेने और उसके अनुयायियों में माल की बिक्री और प्रचार के प्रयास तेज हो गए हैं। इसी तरह “word of mouth ’ नामक नेटवर्क है जिसमें संपर्क करते ही आपका माल हजारों-लाखों यूजरों के पास एक ही झटके में पहुँच जाता है। यह परंपरागत विज्ञापन से भिन्न है। हजारों ट्विटरों ने अपनी क्षमता और मित्र संख्या के आधार पर सेवा सूची जारी की हुई है। इसी को कहते हैं संपर्क-संवाद का व्यापार में रूपान्तरण।
    आने वाले समय में सोशल नेटवर्क पर संवाद कम से कम किया जाएगा लेकिन माल का प्रचार ज्यादा होगा और यह वर्चुअल संवाद और सामाजिक संबंधों की विदाई है। कुछ लोग यह भी कहते हैं कि सोशल नेटवर्ट मॉल की तरह हैं।
       फेसबुक,ट्विटर,आर्कुट आदि तरूणों के लिए बनायी गयी वर्चुअल दुकानें हैं। तरूणों के मॉल हैं। सोशल नेटवर्क का आरंभ व्यक्ति से व्यक्ति का संवाद बनाने के लिए हुआ था। यही लग रहा था कि आम आदमी में समाजीकरण बढ़ेगा लेकिन बहुत जल्दी ही इस माध्यम ने अपने को सामाजिक भूमिका से मुक्त करके व्यवसायिक दिशा में मोड़ दिया है। आप जैसे मॉल में जाते हैं,घूमते हैं,मित्र से मिलते हैं,तफरी करते हैं, दुकानों में बगैर खरीददारी किए चहलकदमी करके लौट आते हैं ठीक वैसै ही दृश्य सोशल नेटवर्क पर नजर आ रहा है। सोशल नेटवर्क वर्चुअल युग के खुदरा दुकानदार बनते जा रहे हैं।
       इन दिनों सोशल नेटवर्क पर संगीत की सबसे ज्यादा खुदरा बिक्री हो रही है। ट्विटर पर जो संगीत बेवसाइट जमकर धंधा कर रहे हैं वे हैं Blip.fm, FoxyTunes, Grooveshark, Hype Machine, imeem, Last.fm, Twisten.fm । आप इन पर जाइए और ताजा संगीत की सूचनाएं पाइए। आप कौन सा गाना सुनना चाहते हैं अपने ट्विटर पर जाइए नाम लिखिए और बैठे -बैठे सूचना और संगीत पाइए। आप उस संगीत कंपनी के पास भी जा सकते हैं ,उस संगीत को भी सुन सकते हैं,डाउनलोड कर सकते हैं जो किसी ट्विटर ने पोस्ट किया है। यह भी कर सकते हैं कि आप उन लोगों का पीछा करें जो संगीत पोस्ट करते हैं। यह समूची प्रक्रिया सोशल नेटवर्क की सामाजिक भूमिका की विदाई का संकेत है।




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