रविवार, 29 नवंबर 2015

आम्बेडकर ने दूसरी शादी क्यों की ?




भारत के संविधान की कच्ची रुपरेखा तैयार करने के बाद बाबासाहब भीमराव आम्बेडकर की तबियत अचानक खराब हो गयी,वे लंबे समय से विश्राम की जरुरत महसूस कर रहे थे लेकिन उनको विश्राम नहीं मिल रहा था।उस समय इलाज के लिए वे बम्बई आए।बुढ़ापे में अपनी देखभाल करने के लिए उनको साथी चाहिए था।जिस अस्पताल में वे इलाज के लिए गए वहां पर कुमारी शारदा कबीर नाम की  महिला काम कर रही थी। उनका व्यवहार और बातचीत आम्बेडकर को पसंद आए और उन्होंने आपसी सहमति से शादी का फैसला ले लिया।

आम्बेडकर को अगस्त1947 से उनको नींद आनी बंद हो गयी थी।एक पत्र में उन्होने लिखा कि उनको 15दिनों से नींद नहीं आ रही।उन पर किसी औषधि का असर नहीं हो रहा। उसी पीड़ा के दौरान उन्होंने सहयोगी के रुप में शारदा कबीर से दूसरी शादी का निर्णय लिय़ा था। अपने मित्र कमलाकांत और भाऊराव गायकवाड को पत्र लिखकर अपने फैसले से अवगत कराया।भाऊराव गायकवाड़ को लिखे पत्र में उन्होंने लिखा “पहली पत्नी के निधन के उपरान्त पुनःविवाह न करने का मैंने निर्णय किया था। किन्तु अब दूसरा विवाह करने का मैंने निर्णय किया है।जो सुगृहिणी होकर वैद्यकशास्त्र में प्रवीण है,ऐसी पत्नी की मुझे जरुरत है।दलित समाज में ऐसी स्त्री मिलना असंभव होने से मैंने सारस्वत महिला को चुना है।” आम्बेडकर के इस फैसले से उनका एक मित्र परेशान था और उसने उनके बेटे यशवन्त और शारदा कबीर में झगड़ा लगाने की काफी कोशिश की। इस झगड़े के आगे बढ़ने के पहले ही आम्बेडकर ने 15अप्रैल1948 को विवाह करने का फैसला किया।उस समय उन्होंने बेटे को 80हजार रुपये कीमत का एक मकान और नकद 30हजार रुपये दिए।जिससे वह आराम से जीवनयापन कर सके।आम्बेडकर ने जब दूसरा विवाह किया तो वे दो दिन पहले ही 56साल पूरे करके 57वें वर्ष में दाखिल हुए थे.विवाह के उपलक्ष में दोपहर को प्रीतिभोज भी दिया गया।यह शादी दिल्ली के हार्डिज एवेन्यू स्थित उनके निवास पर सम्पन्न हुई।

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