( विश्वविख्यात श्रेष्ठततम ब्लॉगर हन हन)
हन हन के ब्लॉग पर इस समय घमासान मचा है। इस नौजवान ने अपने विचारों की गरमी से चीन के शासकों की नींद उड़ा दी है। हन हन को चीन में सबसे ज्यादा पढ़ा जा रहा है। सारी कम्युनिस्ट पार्टी और उसका साइबरतंत्र त्रस्त है और किसी भी तरह हन के ब्लॉग पर जाने वालों को रोक नहीं पा रहा है, हनहन ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के समूचे प्रचारतंत्र को छकाया हुआ है।
हन पेशे से कार रेस ड्राइवर है और पॉप उपन्यासकार है। साथ ही चीन का सबसे जनप्रिय ब्लॉगर है। चीनी साइबर जासूस उसे त्रस्त करने की फिराक में हैं,युवा लड़कियां उस पर फिदा हैं। चीन की पुलिस हनहन को परेशान कर रही है। उसकी पत्रिका को पहले पुलिस ने जब्त किया और बाद में छोड़ दिया। हनहन के ब्लॉग पर आए दिन चीन कम्युनिस्ट साइबर हैकरों के हमले होते रहते हैं और उसके ब्लॉग की पोस्ट को यह कहकर हटा दिया जाता है कि इसमें आपत्तिजनक बातें लिखी हैं।
अपने एक निबंध में हनहन ने लिखा है कि हमारी चीनी सरकार चाहती है कि चीन महान् सांस्कृतिक राष्ट्र बने लेकिन हमारे नेता असभ्य हैं। हनहन ने लिखा है कि चीजें यदि इसी तरह चलती रहीं तो कुछ दिनों के बाद हमारा देश चाय और पाण्ड़ाज के लिए जाना जाएगा।
हनहन ने ब्लॉगिंग 2006 से आरंभ की है और लगातार चीनी नेताओं और नीतियों पर तीखा लिखा है। उसके ब्लॉग की शक्ति का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि उसके ब्लॉग पर 30 करोड़ हिट हुए हैं। सारी दुनिया में किसी भी ब्लॉग पर इतने हिट नहीं हुए हैं। शंघाई में अपने ऑफिस में बैठकर एक साक्षात्कार में हनहन ने कहा कि कम्युनिस्ट पार्टी के नेता अप्रासंगिक हैं और मूर्खतापूर्ण बातें करते रहते हैं। कम्युनिस्ट नेताओं की तथाकथित महानता को छोटा बनाते हुए हन ने कहा -
“The only thing they have in common with young people is that like us, they too have girlfriends in their 20s, although theirs are on the side.”
हनहन की मेधा और जनप्रियता का अंदाजा इससे ही लगा सकते हैं कि वह जब मात्र 19 साल का था तो उसका पहला उपन्यास छपा था और उसे व्यापक प्रसिद्धि मिली थी। हनहन असल में चीन में देंग के द्वारा आरंभ किए गए आर्थिक उदारीकरण के दौर की पैदाइश है। हनहन के ब्लॉग लेखन में तीखा हास्य-व्यंग्य होता है और इसके जरिए वह भ्रष्टाचार ,गलत नीतियों और सरकारी सेंसरशिप,दैनन्दिन जीवन के अन्याय का जमकर विरोध करता रहता है । हन के व्यंग्य का एक नमूना देखें- अपनी ताजा पोस्ट में हन ने लिखा है कि पुनर्निर्माण के प्रकल्पों के लिए आम चीनी नागरिकों को जबर्दस्ती हिंसा के जरिए बेदखल किया जा रहा है, हन ने सुझाव दिया है कि चीन सरकार को जेल के रुप में सरकारी घर बनाने चाहिए। इसका दोहरा लाभ होगा,पहला, यह कि किराएदार घर पर अपना मालिकाना दावा नहीं कर सकते और जो दावा करें उन्हें सीधे ताले में उनके घरों में बंद कर दिया जाए।
हन बहुत सुंदर गायक भी है और चीन के राष्ट्रीय नववर्ष के पर्व पर चीनी उसका सरकारी टीवी चैनल से शानदार प्रसारण भी आया जिसे 40 करोड़ लोगों ने देखा। हन की 14 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। हन से लोग पूछते हैं कि अगर तुम्हारा ब्लॉग बंद कर दिया जाएगा तब क्या करोगे तो हन हंसकर कहता है कि ड्राइवरी करुँगा।
हन हाईस्कूव ड्रॉप आउट है। आज वह चीन का सबसे जनप्रिय लेखक है। उसका पहला उपन्यास “Triple Door’’ की 20 लाख प्रतियां बिकीं। यह उपन्यास परिवार और स्कूल का बच्चों पर किस तरह का दबाब होता है ,उस पर लिखा गया है। चीन में विगत 20 साल में यह सबसे ज्यादा बिकने वाला उपन्यास है।
हन ने अपने उपन्यासों के जरिए प्रतिवादी चरित्रों की सृष्टि करके चीनी प्रशासन और कम्युनिस्ट नेताओं की नींद हराम कर दी है। अब उसका ब्लॉग चीनी कम्युनिस्टों को बरबाद करने में लगा है। हन एक ग्रामीण कस्बे से आया है । किसान का प्रतिवादी स्वर उसकी शक्ति बन गया है। उसके पिता स्थानीय स्तर पर कम्युनिस्ट पार्टी के अखबार के संपादक थे। माँ सामाजिक कार्यकर्त्ता हैं। उसका घर साहित्य का मंदिर है। साहित्य उसे विरासत में मिला है। उसके लेखन के प्रतिवादी स्वर के कारण पिता को असुविधा होने लगी तो उसने पिता को रिटायरमेंट लेने के लिए कहा और पिता मान गए और अब वह पिता की मदद करता है और पिता उसके लेखन से बेहद खुश हैं। हन कम्युनिस्ट पार्टी का सदस्य नहीं है।
दिलचस्प और ज्ञानवर्द्धक जानकारी।
जवाब देंहटाएंदीपक भारतदीप
blog ka koi link bhi de dete ....
जवाब देंहटाएंबावला बसंतजी, न्यूयार्क टाइम्स में प्रकाशित खबर के आधार पर यह खबर लिखी गयी है।
जवाब देंहटाएंहिन्दी ब्लॉगरों के लिए प्रेरणास्पद जानकारी, धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंजानकर खुशी हुई कि चीन में रहरि भी हन हन कम्युनिस्ट पार्टी का सदस्य नहीं है
बावला बसंतजी,hanhan blog टाइप करतेही गूगल सर्च में मिल जाएगा। पता है- blog.sina.com.cn/twocold -
जवाब देंहटाएंdhanyavaad
जवाब देंहटाएंकमाल है चीन में रहकर भी इतनी हिम्मत से ब्लॉगिंग।
जवाब देंहटाएंमामला इतना ही सीधा होता तब तो कोई बात नहीं थी. हन हन हन हनाकर रहेगा/नहीं रहेगा. इस तरह की चीज़ें दुनिया में होती/दिखती/ छुपती /चमकती रहती हैं जिसका कोई असली सन्दर्भ नहीं बनता. ब्लॉगरों को एक स्पेस मिलता है लेकिन बस गुबार निकालने तक ही बात रहती है. असली बात यहाँ से तय नहीं होता. वैसे यह पढने में फन्तासी का आनन्द देती है.
जवाब देंहटाएंHi,
जवाब देंहटाएंJust Checked out one Time You Will Like It Really !!
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जवाब देंहटाएंअधिक जानकारी मिल जायेगी यहाँ