अमूमन पुरानी चीजें रस देती हैं। खासकर जब दो महान् विभूतियां मिल रही हों तो उसका विश्वव्यापी प्रभाव होता है। ऐसी ही एक मुलाकात 1931 में लंदन में महात्मा गांधी और चार्ली चैप्लिन के बीच हुई थी। गांधी को स्वदेशी और अहिंसक राष्ट्रवाद का महानायक माना जाता है। जबकि चार्ली चैप्लिन को मूक सिनेमा का महानायक माना जाता है। दोनों ही अहिंसा के पुजारी थे। दोनों को फासीवाद से सख्त नफरत थी।
चैप्लिन को गांधी का प्रेरणाभाव और प्रतिबद्धता अपील करती थी। वे गांधी को इच्छाशक्ति का लौहपुरुष मानते थे। गांधी की इस खूबी को चैप्लिन में भी देखा जा सकता है।
इन दोनों में इंसानियत के प्रति बेशुमार प्यार था। दोनों की मुस्कान में विश्व शांति और प्रेम का संदेश छिपा है।चार्ली धर्म नहीं मानता था जबकि गांधी धार्मिक प्रकृति के थे। चार्ली ने हास्य फिल्मी अभिनय के बहाने सारी दुनिया आनंद बिखेरा और जनता का दर्द अपने अंदर समेट लिया जबकि गांधी ने राजनीति में दरिद्रनारायण का दर्द अपने अंदर समाहित कर लिया।
दोनों की साझा खूबी थी कि वे अन्य के लिए सोचते थे,अन्य के लिए जीते थे,अन्य से ही संवाद भी करते थे। अन्य के जीवन के प्रति दोनों में अटूट आस्था थी। वे अन्य के 20वीं सदी के महानायक थे।
ब्लॉगर सोचें कि जब ये दोनों मिले होंगे तो क्या बातें हुई होंगी,आप अपनी कल्पना से अथवा तथ्यपरक जो कुछ भी जानते हैं जरुर लिखें। पेश है वह ऐतिहासिक फोटोग्राफ-
महामिलन
जवाब देंहटाएंउत्सुकता जगाती एक पोस्ट, अत्यंत रोचक संभावनाएँ।
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