( प्रसिद्ध जर्मन समाजशास्त्री जे.हेबरमास)
गार्जियन ने लिखा कि क्या 80 साल का फ्रेकफुर्ट स्कूल का मनीषी ‘ट्विट’ पर आया था ? अथवा कोई twitter.com/jhabermas के नाम से हेबरमास का इस्तेमाल कर रहा है ? अथवा philosophy blogos के लोग उन्माद पैदा करने के लिए हेबरमास के नाम की प्रामाणिकता जानने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं ? कुछ लोग कह रहे हैं कि हेबरमास ने Political Communication in Media Society: Does Democracy Still Enjoy an Epistemic Dimension? नामक जो निबंध लिखा था उसमें से ही निकालकर ये ‘ट्विट’ लिखा है। सवाल उठा है आखिरकार कट एंड पेस्ट हेबरमास क्यों करने जाएंगे ?
जोनाथन स्ट्रे नामक एक ब्लॉगर ने वास्तव हेबरमास के साथ संपर्क किया और उनसे फूछा कि क्या आप ‘ट्विटर’ पर गए थे तो उन्होंने साफ इंकार किया और कहा कि कोई मेरे नाम का कोई दुरुपयोग कर रहा है। ‘ट्विटर’ के संवाद में जिस तरह हेबरमास ने मना किया है कि वे ‘ट्विटर’ पर नहीं जाते और कोई अन्य उनके नाम का दुरुपयोग कर रहा है वैसे ही दुनिया के और भी बड़े ज्ञानी लोगों के नाम का पाखंडी ‘ट्विटर’ इस्तेमाल कर रहे हैं। यही स्थिति नेट सामग्री में भी हो सकती है ?
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