चीन में अभिव्यक्ति की आजादी के लिए किस तरह का कठिन संघर्ष चल रहा है इसे जानना हो तो जरा चीन के राष्ट्रपति हू जिन ताओ से पूछना चाहिए। ताओ के ब्लॉग को कम्युनिस्टों की सेंसर मशीन ने बंद कर दिया है। उल्लेखनीय है चीन के राष्ट्रपति का एक ब्लॉग था जिस पर वे नियमित लिख रहे थे, लेकिन इधर लंबे समय से यह ब्लॉग ही गायब है। राष्ट्रपति के ब्लॉग के अचानक गायब हो जाने पर कम्युनिस्ट पार्टी के ऑनलाइन अखबार ‘पीपुल्स डेली’ ने लिखा है - “This item cannot be found, the author may have erased it.” सवाल उठता है कि आखिरकार राष्ट्रपति को जो लोग सेंसर कर रहे हैं वे कौन हैं ? क्या यह पर्याप्त प्रमाण नहीं है कि चीन में सेंसरशिप और आत्मसेंसरशिप है। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि यह सब जानते हुए भी भारत में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के द्वारा चीन के बारे में मिथ्या प्रचार किया जा रहा है।
जगदीश्वर चतुर्वेदी। कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रोफेसर। पता- jcramram@gmail.com
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