शुक्रवार, 5 मार्च 2010

सेक्स उद्योग और सैन्य मिशन

     सारी दुनिया में सेक्स उद्योग में आई लंबी छलांग के दो सबसे प्रमुख कारण हैं पहला है युध्द और दूसरा है उन्नत सूचना एवं संचार तकनीकी। आज वेश्यावृत्ति और पोर्न दोनों का ही औद्योगिकीकरण हो चुका है। विश्व स्तर पर वेश्यालयों के कानूनी संरक्षण,वेश्यावृत्ति को कानूनी स्वीकृति दिलाने का आन्दोलन तेजी से चल रहा है इस मामले में सबसे आगे विकसित पूंजीवादी मुल्क हैं।

   विकसित पूंजीवादी मुल्कों में वेश्यावृत्ति पेशा है। वेश्याएं सरकार को टैक्स अदा करती हैं। सन् 2001 में जर्मनी में वेश्यावृत्ति को कानूनी मान्यता दे दी गयी। अब वेश्यावृत्ति वहां पर अनैतिक धंध नहीं रह गया है। बल्कि नैतिक और कानूनी तौर पर मान्यता प्राप्त धंधा है। वेश्याएं शरीर बेचने के बदले सरकार को टैक्स देती हैं। अब वेश्याओं को पुलिस परेशान नहीं करती।प्रति वेश्या प्रतिमाह 180 डॉलर टैक्स देना होता है।
    
     एक अनुमान के अनुसार वेश्यावृत्ति के धंधे में प्रतिवर्ष 40 लाख नयी लड़कियां और दस लाख बच्चे आ रहे हैं। वेश्यावृत्ति वस्तुत: गुलामी है। इसका लक्ष्य है शारीरिक और कामुक शोषण, इस शोषण का अर्थ है कामुक उत्तेजना,कामुक शांति और वित्तीय लाभ।नयी विश्व व्यवस्था ने कानूनों एवं नियमों में ढिलाई एवं परिवर्तन का जो दबाव पैदा किया है उसके कारण सेक्स और पोर्न संबंधी कानूनों में भी बदलावा आया है। सेक्स और पोर्न संबंधी कानून ज्यादा उदार बने हैं,इसके कारण सेक्स उद्योग और पोर्न उद्योग के प्रति अलगाव और अनैतिक भाव नष्ट हुआ है।

    अब पोर्न और सेक्स उद्योग सम्मानित उद्योग हैं। इस उद्योग में काम करने वाले समाज में आज सम्मानित हैं। पोर्न एवं सेक्स उद्योग की वैधता के कारण स्त्री और बच्चों का शारीरिक शोषण और भी बढ़ा है। हमारे समाज में जो लोग भूमंडलीकरण के अमानवीय चरित्र की उपेक्षा करके उसकी अंधी हिमायत में लगे हैं उन्हें फिलीपीन्स के अनुभवों से सबक हासिल करना चाहिए।

      फिलीपींस में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष,विश्व बैंक आदि के इशारों पर स्त्रीमुक्ति का जो रास्ता अख्तियार किया गया वह वह स्त्री को आत्मनिर्भर नागरिक नहीं बनाता ,बल्कि सेक्स बाजार में ठेलता है।लेबर एक्सपोर्ट के नाम पर साठ और सत्तर के दशक में बड़े पैमाने पर फिलीपीनी औरतों का निर्यात किया गया।सत्तर के दशक में मध्य-पूर्व में निर्माण उद्योग के लिए मर्दो का निर्यात किया गया। सत्तर और अस्सी के शक में फिलीपींस के बाहर काम करने वाली अधिकांश औरतें ही थीं। वियनाम युध्द के बाद वेश्यावृत्ति का विश्वबाजार तेजी से विकसित होता है।

    अमेरिका,ब्रिटेन,फ्रांस आदि देशों की सेनाओं ने जिन देशों में हस्तक्षेप किया,जिन इलाकों में अपने सैनिक अड़डे बनाए उनके आसपास के देशों में वेश्यावृत्ति तेजी से फैली। यही स्थिति संयुक्त राष्ट्र संघ के नेतृत्व में चलने वाले शांति मिशन अभियानों की है। शांति मिशन अभियानों में शामिल सैनिकों को औरतों और बच्चों की तस्करी करते रंगे हाथों पकड़ा गया है। सोमालिया,मोगादिसु,साइप्रस,कम्बोडिया, सर्बियाबोसनियाकोसोवो आदि इलाकों में शांति सैनिक औरतों की तस्करी करते पकड़े गए हैं।

    कम्बोडिया में 1992-93 के शांतिमिशन के समय वेश्यावृत्ति कई गुना बढ़ गयी।25 फीसदी से ज्यादा सैनिक एचआईवी पॉजिटिव होकर लौटे। सोमालिया में फ्रेंच सैनिकों ने वेश्यावृत्ति में कई गुना इजाफा कर दिया।

    सन् 2002 में संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा इटली के शहर तूरिन में '' प्रोस्टयूशन ,सेक्स ट्रेफिकिंग एण्ड पीसकीपिंग'' शीर्षक से अंतर्राष्ट्रीय सेमीनार आयोजित किया गया। जिसमें यह तथ्य सामने आया कि शांति मिशन के कार्य जब चरम पर होते हैं तब ही वेश्यावृत्ति और अन्य देशों के लिए औरतों कह बिक्री अचानक बढ़ जाती है।यह स्थिति निकोशिया, फामुगुस्ता, बुडापेस्ट, कोसोवो, डिली-डारविन, नोमपेन्ह-बैंकाक, होंडुररास, अल-सल्वाडोर, ग्वाटेमाला,सोमालिया  आदि देशों में देखी गयी है।

   आज स्थिति यह है कि भूमंडलीय विचारकों के दबाव के कारण भूमंडलीय आतंकवाद,जनसंहारक अस्त्र, सर्वसत्तावादी या आततायी राज्य, शक्ति संतुलन, भूमंडलीकरण आदि विषयों पर चतरफा काम हो रहा है।ये विषय सर्वोच्च प्राथमिकता की कोटि में हैं। किन्तु ' सेक्स ट्रेफिकिंग ' सर्वोच्च वरीयता की सूची के बाहर है। उसे 'वूमेन्स स्टैडीज', 'थर्ड वर्ल्ड डवलपमेंट', 'एरिया स्टैडीज' आदि क्षेत्रों के हवाले करके हाशिए पर फेंक दिया गया है। जबकि इसे वरीयता क्रम में ऊपर रहना चाहिए। इस तरह से 'सेक्स ट्रेफिकिंग' से बौध्दिकों का अलगाव बढ़ा है। वे इसे एक विच्छिन्न विषय या घटना मात्र समझते हैं। विकासमूलक अर्थव्यवस्था की समस्या के रूप में देखते हैं।

     सवाल उठता है कि क्या इस तरह हाशिए पर रखकर इस समस्या का सही अध्ययन संभव है ? इस विषय पर जो मूल्यांकन मिलते हैं उनमें सेक्स ट्रेफिकिंग के विवरण ज्यादा होते हैं। इस तरह के मूल्यांकनों में मूलत: निम्न बातों पर जोर रहता है,जैसे, ग्राहक मनोरंजन के लिए औरतों का शोषण कर रहे हैं। दलाल मुनाफे के लिए शोषण कर रहे हैं। जो औरतें बेची जा रही हैं वे उत्पीडित हैं। इस तरह मूल्यांकन इस समस्या के समाधान की रणनीति बनाने में मदद नहीं करते।इनसे समाधान की कोई बुनियादी रणनीति नहीं निकलती।
         
     जहां वेश्यावृत्ति वैध है वहां सरकार धन कमाती है,किन्तु जहां अवैध है वहां भ्रष्ट अधिकारी और अपराधी गिरोह चांदी काटते हैं।वेश्यावृत्ति के कारोबार में व्यापार का मुनाफा इस बात पर निर्भर करता है कि नयी औरतों का फ्लो कितना है। नयी औरतें कितनी आ रही हैं।विदेशी औरते कितनी आ रही हैं।दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के महिला संगठनों की 1991 में एक काँफ्रेंस हुई जिसमें अनुमान लगाया गया कि सत्तर के बाद से सारी दुनिया में तीन करोड़ औरतें बेची गयी हैं।जापान से सालाना एक लाख औरतें जहाजों में भरकर लाकर सेक्स उद्योग के हाथ बेची जाती हैं। ये औरतें 'वार' और वेश्यालयों में काम करती हैं।र्मा ,नेपाल,थाईलैण्ड, बांग्लादेश,भारत और पाकिस्तान से सालाना तीन लाख से ज्यादा औरतें बिक्री होती हैं।
           
   सन् 1960 और 1970 के दशक में आईएमएफ और विश्वबैंक ने पर्यटन पर ज्यादा जोर दिया। प्राकृतिक संसाधनों के दोहन पर जोर दिया।होटल और रिसोर्ट बनाने को प्राथमिकता दी।जिससे विदेशी पूंजी को आकर्षित किया जा सके।इस पर्यटन का एक आकर्षक हिस्सा सेक्स पैकेज हुआ करता था।जिसमें हवाईभाड़ा,होटल का भाड़ा,औरत या मर्द जो भी चाहिए,उसका भाड़ा,कार आदि का खर्चा शामिल हुआ करता था।वियतनाम युद्ध के कारण अकेले सैगोन में पांच लाख वेश्याएं थीं।जबकि युद्ध के पहले सैगोन की कुल आबादी ही पांच लाख की थी।

    वियतनाम युद्ध के कारण फिलीपींस,कोरिया,कम्बोडिया,थाईलैण्ड आदि देशों में वेश्यावृत्ति कई गुना बढ़ गयी।इसी तरह ओकीनावा में अमेरिकी सैन्य अड्डा बनने के बाद नए किस्म के विश्राम और आनंद के केन्द्रों का व्यापक पैमाने पर आसपास के इलाकों में निर्माण कियागया। इन सभी देशों में वेश्यावृत्ति को वैध बनाने के लिए कानून पास किए गएंसत्तर के दशक में मनीला और बैंकाक वेश्यावृत्ति के दो बड़े केन्द्र बनकार उभरे।उसके बाद नेपाल का विकास हुआ।इन तीन केन्द्रों ने सेक्स पर्यटन को तेजी से बढ़ावा दिया।सिर्फ  सेक्स पर्यटन के कारण ही इन केन्द्रों  की अरबों डालर की सालाना आय थी।मसलन् थाईलैण्ड में प्रतिवर्ष 50 लाख पर्यटक आते हैं।इनमें 75 फीसदी पुरूष होते हैं। सेक्स उद्योग के नए क्षेत्रों में कर मुक्त इलाके,औद्योगिक क्षेत्र ,पूंजी विकास केन्द्र औरतों क बिक्री के बड़े केन्द्र के रूप में उभरकर सामने आए हैं।
     

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