सोमवार, 15 मार्च 2010

ब्लॉगरों के मानवाधिकारों पर बढ़ते हमले

(अमेरिका की विदेश सचिव हिलेरी क्लिंटन)
     
   अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की  अग्रणी चौकी है ब्लॉगिंग। आज अभिव्यक्ति की आजादी का कोई भी पैमाना प्रेस के पैराडाइम के आधार पर नहीं बल्कि इंटरनेट स्वतंत्रता के आधार पर तय होगा।
   सारी दुनिया में नेट की स्वतंत्रता पर तरह-तरह के  हमले हो रहे हैं। अमेरिकी विदेश सचिव हिलेरी क्लिंटन की राय में नेट पर सरकारें भी हमलावर रुख अक्तियार कर चुकी हैं।
    सूचना की उन्नत तकनीक का सबके उपयोग के लिए निर्माण किया गया था लेकिन अब धीरे-धीरे इस तकनीक के दुरुपयोग के मामले भी रोशनी में आने लगे हैं। आज विभिन्न देशों की सरकारें नेट का दमन के लिए इस्तेमाल कर रही हैं।  इंटरनेट पर विभिन्न किस्म की सेसरशिप लागू की जा रही है। ब्लॉगरों पर हमले बढ़े हैं। चीन,ट्यूनीशिया,ताइवान,वियतनाम आदि देशों में ब्लॉगरों पर दमन चक्र चल रहा है।
   हाल ही में यह देखा गया कि वियतनाम में नेट पर सोशल नेटवर्किंग साइट हठात गायब हो गयी, चीन में साइबर पुलिस सोशल नेटवर्किंग साइट पर कड़ी निगरानी रखे हुए है।प्रतिवादियों की धरपकड़ हो रही है। मिस्र में 30 ब्लॉगरों को जेल की हवा खिला दी गयी। अमेरिका में भी इंटरनेट की चौकसी चल रही हैं। अहर्निश निगरानी के लिए नया कानून लागू करने के लिए एक अलग से विभाग ही काम कर रहा है। गूगल के मालिक भी परेशान हैं कि उनके सर्च इंजन पर 26 देशों में प्रतिबंध लगा दिया गया है।
    भारत में इस दिशा में प्रयास तेज हो गए हैं। भारत सरकार के द्वारा जिस राष्ट्रीय पहचान प्रत्र के निर्माण का काम चल रहा है,इस पहचान प्रत्र का प्रधान लक्ष्य है भारत के नागरिकों की साइबर निगरानी रखना। स्थिति की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले साल ईसाइ धर्म का प्रचार करने के कारण सऊदी अरब में एक ब्लॉगर को एक महिने की सजा भुगतनी पड़ी।
     यही हाल चीन और वियतनाम का है ये दोनों देश धार्मिक सूचनाओं के प्रसार को भी इंटरनेट पर सेंसर कर रहे हैं। धार्मिक संचार को बाधित करना जघन्यतम अपराध है। उल्लेखनीय है कि धर्म हमेशा से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का बड़ा स्रोत रहा है। साथ ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बाधित करने के लिए फंड़ामेंटलिस्ट ताकतें इसका दुरुपयोग भी करती रही हैं।
    संचार की तकनीक की खूबी है कि वह धार्मिक प्रार्थना और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे का विस्तार करती है। संचार के नए तकनीकी रुपों ने धर्म को विस्तार दिया है क्योंकि धर्म को मानव सभ्यता का प्राचीनतम संचार रुप माना जाता है।
     संचार की संकेत व्यवस्था से लेकर अक्षर के आगमन तक, कलम से लेकर कंम्प्यूटर तक,प्रेस से लेकर इंटरनेट तक संचार के तकनीकी रुपों की एक ही कहानी है संचार तकनीक महान है वह जीवन का सर्वस्व है।
   संचार तकनीक मात्र तकनीक या उपकरण नहीं है बल्कि स्वयं में नियामक भौतिक शक्ति है। संचार तकनीक संचालक की संचालक है,इसके नियंत्रण के अब तक जितने भी प्रयास हुए है वे सभी निरर्थक साबित हुए हैं। संचार तकनीक को महज अभिव्यक्ति के उपकरण के रुप में नहीं देखना चाहिए। संचार तकनीक जीवन की प्राणवायु है। इंटरनेट के युग में अभिव्यक्ति,धार्मिक उपासना,संपर्क, परेशानी से मुक्ति,राष्ट्रीय संप्रभुता और कानूनों का सम्मान, साइबर बंदिशें,साइबर चोरी और हमलों से रक्षा को नेट स्वतंत्रता का आधार बनाया जा सकता है।  






1 टिप्पणी:

विशिष्ट पोस्ट

मेरा बचपन- माँ के दुख और हम

         माँ के सुख से ज्यादा मूल्यवान हैं माँ के दुख।मैंने अपनी आँखों से उन दुखों को देखा है,दुखों में उसे तिल-तिलकर गलते हुए देखा है।वे क...