रविवार, 14 मार्च 2010

चीन में बच्चों का रौरव नरक

एक जमाना था समाजवाद में बच्चों की पूरी देखभाल राज्य करता था इन दिनों ऐसा नहीं है। इन दिनों चीन ने कारपोरेट पूंजीवाद की ओर जो छलांग लगाई है उसने चीनी आबादी के एक हिस्से को गरीबी में ठेल दिया है। गरीबी और भुखमरी का ही आलम यह है कि 5-6 साल के लाखों बच्चे चीन की सड़कों पर अखबार बेच रहे हैं। यह फोटो हमें चीनी ब्लॉग पर मिले हैं।   







2 टिप्‍पणियां:

  1. चीन कभी भी वैल्फ़ेयर स्टेट नहीं रहा. वहां, जनता को 'जो जहां है वहीं रहे' के आधार पर नियंत्रित किया जाता रहा है. सरकार की भूमिका स्रोतों का दोहन कर देश को सामरिक रूप से मज़बूत करने भर की रही है.

    आज, फ़र्क़ बस इतना है कि शहरीकरण के विस्फोट के चलते लोग शहरों की ओर काम-धंधे की तलाश में आ रहे हैं, ऐसे में बच्चों की बेक़द्री होना आम बात है यही हाल औरतों का है.

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