गुरुवार, 21 जुलाई 2016

हिन्दू समाज शर्मनाक समाज


                हमारा हिन्दू समाज शर्मनाक समाज है जिसमें औरतों , दलितों और मुसलमानों को सरेआम शिक्षित लोग मीडिया से लेकर फेसबुक तक अपमानित करने वाली भाषा का इस्तेमाल करते रहते हैं।इससे पता चलता है कि शिक्षितों के अंदर हमने किस तरह के असभ्य मनुष्य का निर्माण किया है।

हम कितने संस्कृतिहीन "हिन्दू "हैं कि जिन हाथों से दुर्गापूजा करते हैं उन्हीं हाथों से स्त्री को घर में आकर मारते हैं।जिस मुख से दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं उसी मुख से मादर ...बहिन ...बोलने में एक क्षण का विलम्ब नहीं करते। यहाँ तक कि औरतों को भी गालियों से अपमानित करते रहते हैं। औरतों को दी जाने वाली सबसे बर्बर गाली रंडी है जिसे विभिन्न भाषायी पदबंधों में सजाकर देते हैं। स्त्री के विभिन्न अंग -प्रत्यंगों को लेकर गालियाँ हिन्दुओं की संस्कृति और जनप्रिय भाषा का अभिन्न हिस्सा रही हैं,और आज भी हैं! इन सब पर संसद से लेकर सड़क तक कभी हल्ला नहीं सुना गया लेकिन आज मायावती ने संसद में दयाशंकर का मामला उठाकर शानदार काम किया है।उन्होंने कम से कम औरत के मान -सम्मान की रक्षा की है।ये वे हिन्दू हैं जो औरत को नागिन कहते हैं! डायन कहते हैं! हम उनके नजरिए पर कभी बात ही नहीं करते! हम फिर भी कहते हैं हिन्दूधर्म महान है! शर्म आनी चाहिए हिन्दू होने पर जिसमें औरत के नाम से सबसे घटिया भाषा का इस्तेमाल करते हुए हर पुलिस वाला और हर लठैत औरत के नाम पर आए दिन माँ- बहिन की करता रहता है।

औरत को कलंकित करना हिन्दू परंपरा का अभिन्न हिस्सा रहा है। औरत को हिन्दुओं ने अंत में औरत नहीं रहने दिया बल्कि गाली में तब्दील करके रख दिया है। यह हिन्दूधर्म का सबसे बर्बर रूप है।हमने आज तक एक भी पुलिस वाले को माँ की गाली देने के लिए नौकरी से नहीं निकाला! हम महान हिन्दू हैं! हम गर्वित हैं हमारे यहाँ औरत अब एक गाली है! औरत को जिस हिन्दू के गाली बनाया होगा वह जरूर कोई तपस्वी रहा होगा!

वह अकेला संगठन नहीं है जिसकी ज़ुबान से बार- बार वेश्या या रंडी शब्द निकलता है। वे हर औरत में वेश्या के अलावा और कोई चीज़ नहीं देखते, इसे कहते हिन्दुत्ववादी दृष्टि ! वह उनके लिए पहले भी भोग्या थी,आज भी भोग्या है। यह वह दृष्टि है जो बार-बार विभिन्न व्यक्तियों के श्रीमुख से निकलती रहती है। जेएनयू को कलंकित करने के लिए संघ समर्थक शिक्षकों ने जेएनयू पर महान जाँच रिपोर्ट जारी की जिसमें जेएनयू की छात्राओं का नामकरण वही किया जो दयाशंकर कह रहे हैं, और वह राजस्थान का बदनाम विधायक याद करें, रवीश कुमार से लेकर बरखादत्त तक को किसी न किसी रूप में "रंडी" पदबंध से कलंकित किया गया।असल में यह संघ की प्रतिगामी विचारधारा की स्वाभाविक अभिव्यक्ति है।इनके लिए औरत तो भ्रष्ट होती है।औरतों को कलंकित करने के लिए हिन्दू ग्रंथों में किस तरह की उपमाएँ प्रचलित हैं ज़रा उनको याद करें फिर संघ के नेताओं के स्त्री विरोधी बयानों की परीक्षा करें!

जिस समाज में औरत को रांड और रंडी कहने का चलन हो वह हिन्दू समाज गर्व की नहीं शर्म की चीज है।दूसरी बात यह मोदीजी ! गालियां जब इतनी ही बुरी हैं तो आपने दयाशंकर के खिलाफ एफआईआऱ दर्ज कराने का भाजपा को आदेश क्यों नहीं दिया ? दयाशंकर के बोलने के तत्काल बाद पहले ही एक्शन क्यों नहीं लिया ? कमाल है !आप भी दयाशंकर से डरते हैं !आपको भी एक्शन लेने के लिए मायावती के सहारे की जरूरत पड़ी!मायावती प्रतिवाद नहीं करतीं तो आप क्या दयाशंकर के खिलाफ एक्शन लेते ? हम जानते हैं आपको गालियां प्रिय हैं,हर हिन्दू को गालियां प्रिय हैं,वे उनको मंत्रों की तरह पवित्र मानते हैं।

संघी हिन्दुत्व के निशाने पर तीन समुदाय रहे हैं ,पहला, मुसलमान, दूसरा दलित,तीसरा औरत। इन तीनों समुदायों के खिलाफ हिन्दुत्ववादी संगठन लंबे समय से मुहिम चलाते रहे हैं। इस समय गो आंदोलन और कश्मीर जंग के नाम पर दलितों और मुसलमानों के खिलाफ संगठित हमले किए जा रहे हैं। यह बेहद गंभीर संकट की अवस्था है , देश में दलित और अल्पसंख्यक बटुक संघ के हमलों के शिकार बन रहे हैं।

आरएसएस का गऊ आंदोलन किस तरह गरीब विरोधी और दलित विरोधी है यह गुजरात में दलितों के प्रतिवाद आंदोलन ने एक्सपोज कर दिया है।यह आंदोलन सिर्फ गुजरात तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि पूरे देश में फैलेगा,मोदी सरकार को तुरंत घोषणा करनी चाहिए कि आरएसएस के लोग गऊ के नाम पर आम जनता को सताना बंद करें। एक ओर गऊ को उद्योग की तरह हिन्दू इस्तेमाल कर रहे हैं और दूसरी ओर गरीबों पर हमले कर रहे हैं,असल में गऊरक्षा का सवाल भाजपाईयों की कमाई और बहुराष्ट्रीय मांस उद्योग के हितों की रक्षा से जुड़ा है,यह दलित,गरीब और विकास विरोधी है।



असल में , मोदीजी के विकास का डीजल खत्म हो गया है,अब भाजपा राष्ट्रवाद के नाम पर देश में मुहिम चलाएगी। चरित्र हनन की मुहिम चलाएगी।राष्ट्रवाद के आने का अर्थ है विकास का अंत और तनावों के सिलसिले की शुरूआत।सावधान मित्रो,राष्ट्रवाद देश के लिए जहर है,प्रेमचन्द और रवीन्द्रनाथ टैगोर तक ने राष्ट्रवाद को देश के लिए नुकसानदेह माना था लेकिन मोदीजी,भाजपा और आरएसएस अब उसी विनाशकारी प्रचार के लिए निकलने की तैयार कर रहे हैं,हम सबकी जिम्मेदारी है कि राष्ट्रवाद की आड़ में आ रहे इस फासीवादी प्रचार अभियान को बेनकाब करें।

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