गुरुवार, 21 जुलाई 2016

राजनाथ सिंह की वाचिक हिंसा

      कल संसद में गुजरात में दलितों के प्रतिवाद के विरोध में गृहमंत्री राजनाथ सिंह का भाषण सुनकर लगा कि हमारे देश में इस तरह का संवेदनहीन गृहमंत्री होगा यह तो कभी सोचा ही नहीं था,सत्ता में रहने का तकाजा है कि मोदी एंड कंपनी के लोग विनम्रता से सामाजिक जीवन में घट रही गलतियों को बिना हील-हुज्जत के मानें और विनम्रता के साथ कार्रवाई का आश्वासन दें ,लेकिन वे ऐसा नहीं कर रहे ,उलटे दलितों पर हो रहे हमलों की प्रच्छन्नतः हिमायत कर रहे हैं, राजनाथ कह रहे थे कि पहले भी अत्याचार हुए हैं आंकड़े देखो,गुजरात में कम हो रहे हैं।शर्म आनी चाहिए इस तरह के वाक्य मुंह से कैसे निकलते हैं !

वर्तमान के अपराधों को वैध ठहराने के लिए हर शैतान अतीत का सहारा लेता है,आरएसएस का यही पैंतरा है।चूँकि पहले यह हुआ था इसलिए आज यह हो रहा है।यह आपराधिक भाषा है राजनाथ सिंह ! दूसरी बात यह आँकड़े बिकिनी की तरह होते हैं,वे अपने आप नहीं बोलते,उनको जैसे बोलने को कहोगे वे वैसा ही बोलेंगे।

राजनाथ सिंह जी! यथार्थ देखो खुलेआम आरएसएस के लोग विभिन्न क्षेत्रों में दलितों और औरतों को निशाना बनाते रहे हैं।

राजनाथजी! सच ताक़तवर होता है , आँकड़े बेजान होते हैं, सच बेजान नहीं होता। आँकड़ों के ज़रिए न तो बहस जीत सकते हो और नहीं दलितविरोधी बटुकसंघ को बचा सकते हो!



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