मंगलवार, 26 जुलाई 2016

नामवर का कुँआ

       हम जानते हैं नामवरजी ने क्या लिखा है,हम यह भी जानते हैं उन्होंने जेएनयू में कितने ´महान´ कार्य किए थे। कोर्स बनाना ,पढ़ाना महान् कार्य नहीं है,यह रूटिन काम है, यह नौकरी के काम हैं। मौजूदा समय उनके अतीत को खंगालने का नहीं है।मेरी चिन्ता यह है कि नामवरजी के आरएसएस के साथ जाने को कैसे देखा जाय ॽउनके व्यक्तित्व को कैसे देखा जाय ॽ नामवरजी की खूबी है वे अपने को कभी आंतरिक गुणों की रोशनी में पेश नहीं करते।वे आंतरिक गुणों का प्रदर्शन नहीं करते।दिलचस्प बात यह भी यदि वे आंतरिक गुणों पर जोर देते तो उसकी पुष्टि करना असंभव है।

नामवरजी हमेशा ´लोकप्रियता के भावबोध´में रहते हैं।हर चीज ´लोकप्रियता´ को दिमाग में रखकर तय करते हैं।सरकारों के साथ जुड़े रहने का यही बड़ा कारण है,फलतः मीडिया से लेकर सरकारी संस्थानों तक उनके लिए सहज ही ´महान हो महान हो´की लोकप्रिय ध्वनियां गूंजने लगती हैं। इसका दूसरा आयाम यह है कि नामवरजी के कर्म पर कम उनकी लोकप्रियता पर ज्यादा बातें हैं।उनके कर्म में ´सारवान´तत्व नहीं होते,वे मात्र ´लोकप्रियता´ के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। उनके कर्म में सारवान तत्व के अभाव ने उनको ´कर्म के लिए कर्म´करने वाला, ´भाषण के लिए भाषण´देने वाला बना दिया है।

यदि कोई व्यक्ति बेहतरीन इंसान है तो उसके कर्म,जीवन और विचार में संगति होनी चाहिए।यह कैसे संभव है कि विचार कुछ हैं और एक्शन कुछ और हैं।सोच कहीं रहे हैं और जा कहीं और रहे हैं।यह नामवरजी की विशिष्ट शैली है। यही वजह है नामवरजी अपने नाम के साथ कोई बेहतर जीवन मूल्य विकसित नहीं कर पाए।नामवरजी को हम सब लोकप्रिय हिन्दी विद्वान-शिक्षक के रूप में जानते हैं।लेकिन उसके विचार और कर्म में कभी कोई साम्य नहीं रहा,इसलिए लोग उनको ´अवसरवादी´ तक कहते हैं।



जो लोग नामवरजी को ´महान´बनाने में लगे हैं,वे जरा गंभीरता से सोचें ´महान´क्या पल-पल में विचार बदलता है,मूल्यहीन होता है ॽक्या कभी नामवरजी ने श्रोताओं से भिन्न स्टैंड लिया ॽ वे हमेशा श्रोताओं की प्रकृति देखकर बोलते हैं।जबकि विशिष्ट या महान व्यक्ति कभी भी श्रोताओं की प्रकृति में ढलकर नहीं बोलता।बोलने की यह कला,पुरानी रीतिकालीन कला है।क्या नामवरजी ´श्रोता´और ´जनता´ में अंतर करके बोलते हैं ॽ उनके लिए श्रोता प्रमुख है,जनता गौण है।उनके लिए सत्ता प्रमुख है,जीवन मूल्य गौण हैं।उनके लिए लोकप्रियता प्रमुख है,प्रगतिशील विचारधारा गौण है।

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