हिन्दी में इनदिनों नामवर सिंह का स्थान लेने की जंग चल रही है। लंबे समय से लोग कोशिश कर रहे हैं कि उनको साहित्य में वह स्थान मिले जो नामवर को मिला है। मुश्किल यह है कि वह जगह कोई ले नहीं सकता।लेकिन इस चक्कर में इलाके -दर -इलाके नामवरसिंह के क्लोनरूप में लोकल क्लोन नामवरों की बाढ़ आ गयी है। गुरूवर नामवरजी इन क्लोन नामवरों से बेहद परेशान हैं। लोक प्रचलन में क्लोन नामवरों के नाम देखें-टॉलीगंज के नामवर,जेएनयू के नामवर,बॉलीवुड के नामवर,सागरवाले नामवर,जोधपुरवाले नामवर,डीयू के नामवर आदि। मजेदार बात है इन सभी क्लोनरूपों को नामवर सिंह हंसकर विनोदी नामवर कहते हैं।
क्लोन नामवर ने गुरूवर नामवरजी से पूछा कि आप किसके लिए लिखते हैं ,बोले मैं अदृश्य पाठक के लिए लिखता हूँ,फिर पूछा आप किसके लिए बोलते हैं,कहा दृश्य जनता के लिए।
क्लोन नामवरों में से एक ने कहा हम तो छात्रों के लिए लिखते हैं,नामवरजी ने कहा कि यह लेखन नहीं गैसपेपर राईटिंग हुई। दूसरे क्लोन ने नामवरजी से कहा मैंतो सर, जब बोलता हूँ पाठ्यक्रम केन्द्रित होकर ही बोलता हूँ,नामवरजी ने कहा मूर्ख यह क्लास नोट्स तैयार कराने की स्कूल मास्टरी है।
तीसरा क्लोननामवर बोला हमने तो सारा जीवन इसी तरह पढ़ाया है ,इस पर नामवरजी बोले इसीलिए तो क्लोन हो, नामवर नहीं हो।
नामवर सिंह हमेशा हंसकर और अनौपचारिक ढ़ंग से बात करते हैं,बार बार व्यंग्य भी करते हैं। लेकिन क्लोननामवर हमेशा गंभीर रहते हैं। इस पर नामवरजी ने चुटकी ली और कहा कि बुरा हो परवर्ती पूंजीवाद का जिसने क्लोन सभ्यता को जन्मदिया है,मैंने कहा इसमें बुरा क्या है क्लोननामवर तो ज्ञान गंभीर हैं,नामवरजी ने कहा ये ज्ञानराक्षस हैं.
नामवर सिंह और क्लोन नामवरों की 4साल पहले एकबार दिल्ली में मुलाकात हुई ,क्लोन नामवरों के कहा हम आप पर कुछ करना चाहते हैं। नामवरजी बोले आपलोग मेरे ऊपर कुछ न करें तो अच्छा है।
संयोग से ये बंदा भी वहां था, मैंने कहा ये लोग कुछ करना चाहते हैं तो कुछ करने दीजिए,बोले ,मैं इन क्लोनों के नकलीपन से आजि़ज़ आ चुका हूँ। तपाक से उनमें से एक क्लोन बोला मैं तो आपके आशीर्वाद से ही पैरों पर खड़ा हूँ। नामवरजी ने कहा नहीं भाई ,आप अपने दम पर पैरों पर खड़े हैं। दूसरा क्लोन बोला हम ही तो दूसरी परंपरा बनाते हैं। नामवरजी ने कहा अरे भाई, दूसरी परंपरा क्लोन परंपरा नहीं है। इसके बाद सब ठहाकर मारकर हंस पड़े।
नामवरसिंह और क्लोन नामवरों के बीच कलकत्ते में एकबार मुलाकात हुई थी,संभवतःराहुल सांकृत्यायन शताब्दी समारोह का मौका था। भारतीय भाषा परिषद में लोग टिके थे ,उनका ही कार्यक्रम था। वहां पर क्लोन नामवर भी मौजूद थे। मैंने मजाक में कहा आपका जैसा बनने की बड़ी इच्छा है इन क्लोन नामवरों में। वे बोले-मेरी जैसी मेधा कहां से लाएंगे ?मैं मुस्करा रहा था,लेकिन पटनावाले क्लोननामवर झेल नहीं पाए, बोले हमने आपसे कम काम नहीं किया है। गुरूवर बोले क्लोन अहर्निश काम करते हैं। वे आदमी थोड़े ही हैं।भीष्मसाहनी ठहाकर मारकर हंसे ।
क्लोन नामवरों की अनुभूतियां देखें- टालीगंज नामवर कहते हैं गोष्ठी में जाएंगे तो अध्यक्षता कराओगे तब ही जाएंगे, एक भक्त ने पूछा ऐसा क्यों तो बोले देखते नहीं हो नामवरजी को वो कहीं जाते हैं बिना अध्यक्षता के ?
डीयू नामवर के नक्शे ही कुछ और हैं जमीन पर पैर नहीं पड़ते ,उनके एक भक्त ने पूछा, सर, आपके जमीन पर पैर क्यों पड़ रहे ? बोले देखो ,नामवरजी को देखो, उनसे सीखो, हमने तो उनसे ही सीखा है।दिल्ली के पंडारा रोड वाले नामवर तो सब समय नामवरमय ही रहते हैं,हर बात के बीच में कोई न कोई नामवर स्मृति कहजाते हैं।
भोपालवाले नामवर मिले थे मैंने पूछा कैसे हैं बोले मैं नामवरजी की तरह ही ठीकठाक हूँ।
हे भगवान यह क्या हो रहा है !!
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