शनिवार, 9 जुलाई 2016

जाकिर नाईक के बहाने उठे सवाल-

आतंकियों की भाषा,विचार और फोटो के प्रचार से बचें,अपनी भाषा,अपने विचार को लोकतंत्र के आईने में पेश करें।आतंकियों -साम्प्रदायिक ताकतों की इन दिनों मिलीभगत चल रही है,वे एक-दूसरे के पूरक का काम कर रहे हैं।आरएसएस के अस्तित्व और विकास के लिए आतंकियों को हवा देना जरूरी है,यह बात संघ जानता है।मैं लगातार देख रहा हूँ हमारे अनेक मित्र आतंकी हाफिज सईद या अन्य किसी तथाकथित आतंकी का फेसबुक पर फोटो शेयर कर रहे हैं,मेरी वॉल पर भी आकर लगा रहे हैं,इससे बचें।आतंकविरोधी मुहिम को पुख्ता बनाने के लिए आतंकियों के चित्र न लगाएं।उनके चित्र और विचार संक्रामक रोग की तरह फैलते हैं।

आतंकियों के खिलाफ ,उनके मददगारों के खिलाफ आरएसएस और मोदी सरकार कुछ नहीं कर सकती,लेकिन चूहों को पकड़ने में सभी टीवी चैनलों और सीबीआई को लगा दिया है।आतंकी लोग चूहे नहीं हैं कम से कम इतना तो समझो।

अब फ़ैन हैं तो अंडरटेकिंग ले लो फ़ैन से! फ़ैन हैं तो शरीफ़ रहें! वरना गए बेटा जेल में! मैं बेहद ख़ुश हूँ मेरे फ़ैन नहीं हैं और जो फ़ैन हैं वे आतंकी नहीं हैं। कल्पना करो राम के विचारों से जो प्रेरित हैं वे बम चला रहे हैं। माओ के विचारों से प्रभावित बम चला रहे हैं। यानी राजनाथ सिंह का नया फ़ंडा है कि यदि कोई अपराधी पकड़ा जाए तो पता करो किसका फ़ैन है ! फिर पकड़ो उसे !!मारे गए गुलफाम !!

माफ़िया डॉन दाऊद इब्राहीम हिन्दी फ़िल्मी अभिनेताओं से बहुत प्रभावित हैं! क्या राजनाथ सिंह उन अभिनेताओं को पकड़ेंगे? यह कौन सा लॉजिक है कि दिग्विजय सिंह तो पापी लेकिन श्रीश्रीरविशंकर रविशंकर पुण्यात्मा!! राजनाथ सिंह जी जब की सीडी दिखा रहे हो टीवी पर ,उस समय आपका दल कहाँ सोया था? यह नई रणनीति बंद करो जिसमें नियोजित ढंग से मुसलमानों के खिलाफ ज़हरीला प्रचार किया जा रहा है।लगातार ऐसे मसले उठाए जा रहे हैं जिनके ज़रिए मुसलमानों के खिलाफ मीडिया में निरन्तर ज़हरीला प्रचार किया जा रहा है।यह ख़तरनाक दौर है जिसमें बिना कारण और तर्क के मीडिया फ़ायरिंग चल रही है।यह भारत को दिमागी तौर पर बाँटने की प्रक्रिया है और विद्वेष फैलाने वाली मुहिम है जिसको मोदी सरकार का संरक्षण हासिल है।

जाकिर नाईक इसी देश में रहता है राजनाथ सिंहजी कभी उसके भाषणों का आपने या आपके दल के नेताओं ने पहले कभी प्रतिवाद नहीं किया,अचानक आपको नाईक के बारे में यह कैसे लगा कि वह गलत बोल रहा था,इससे यह जाहिर होता है नाईक को लेकर आपको पहले कोई परेशानी नहीं थी,इस समय क्यों परेशानी है यह भी ठीक से नहीं मालूम,लेकिन एक सवाल तो उठता है कि जब भारत सरकार ने 2010 में शांति टीवी पर प्रतिबंध लगा दिया था तो उसका प्रसारण अवैध रूप से कैसे होता रहा,राजनाथ सिंहजी इसके लिए किसी जांच की जरूरत नहीं है सीधे तथ्य बताओ कि बैन के बाद भी यह चैनल कैसे चलता रहा और इसके पीछे कौन लोग थे।

भाजपा और आरएसएस गजब संगठन हैं ,इनको बंगलादेश के बम धमाके के बाद पता चला कि जाकिर नाईक कौन है ,कहां रहता है,क्या करता है,क्या बोलता है,संघियो ,कम से इतने अज्ञानी तो न बनो।सारी दुनिया जानती है कि यह शख्स क्या करता है,इतना ही खतरनाक है तो अब तक पकड़ा क्यों नहीं,दो साल से तो मोदीजी की सरकार है,ये भक्तचैनल भी गजब हैं,जानते हैं लेकिन कभी उसके बारे में खबर नहीं दिखाई,कभी दिग्विजयसिंह की खबर नहीं दिखाई,कम से कम मोदीजी को पहले ही यह सीडी भेज देते कि पकडवाओ इस नेता को,लेकिन सीडी क्यों पहले सामने नहीं आई ॽ बंगलादेश के आतंकी हमले के बाद ही सामने क्यों लायी गयी ॽ

अचानक देश में टीवी चैनलों पर नाईक -दिग्विजय सिंह की पुरानी सीडी इस तरह खबर दे रहे हैं गोया अभी पता चला हो ! नाईक मृतखबर है। धार्मिक विचार,आतंकी विचार मृतखबर हैं ! उनको खबर की तरह क्यों चला रहे हो ॽ वैसे ही खुलकर कहो कि मुसलमानों से नफरत करते हो,कौन रोक रहा है !

उल्लेखनीय है धार्मिक चैनलों में आए दिन विज्ञान विरोधी और क़ानून विरोधी बातें प्रवचनों और तकरीरों के ज़रिए प्रसारित होती रहती हैं लेकिन न्यूज चैनलों के लिए यह कोई न्यूज नहीं है।लगातार घटिया विज्ञापन , क़ानून भंजक विज्ञापन चलते रहते हैं यह भी कोई खबर नहीं है।

सवाल यह है न्यूज चैनल इस तरह की चीज़ों पर चुप क्यों रहते हैं? ज़ाकिर नाईक और दूसरे अनेक लोग घटिया , अलोकतांत्रिक और भड़काऊ बातें टीवी पर कहते रहते हैं लेकिन न्यूज चैनल इन पर कभी कुछ नहीं बोलते। ज़ाकिर नाईक की तकरीरें टीवी पर हुई हैं लेकिन कभी किसी चैनल ने उसे खबर नहीं बनाया ,आलोचना नहीं की। आज जब आरएसएस कह रहा है तो सारा मीडिया ज़ाकिर -ज़ाकिर कर रहा है। यहाँ तक कि आरएसएस के समाचारपत्रों में कभी उसको मुद्दा नहीं बनाया गया।क्या बात है यह चिताज्ञान इसी समय क्यों हुआ? दूसरी बात प्रमाण है तो ज़ाकिर को पकड़ो अदालत के हवाले करो , मीडिया ट्रायल चलाकर ज़हर क्यों फैला रहे हो, पकड़ने से किसने रोका है!

आतंकवाद कभी धर्म का सम्मान नहीं करता, बल्कि यह देखा गया है वह हर चीज़ का आतंक विस्तार के लिए इस्तेमाल करता है।इस क्रम में वह धार्मिक स्थानों को एक अवधि तक इस्तेमाल करता है बाद में उनको नष्ट करता है। अफ़ग़ानिस्तान,इराक़, सीरिया में हज़ारों मस्जिदें नष्ट करने में आतंकी संगठनों की भूमिका रही है। भारत में खालिस्तानियों ने पहले गुरुद्वारों का दुरूपयोग किया बाद में स्वर्णमंदिर को ही भ्रष्ट कर दिया और उसे अपना अड्डा बना लिया अंत में जो हुआ उसे सब जानते हैं।

यही हालत साम्प्रदायिक ताक़तों की है उनकी भगवान में कोई आस्था नहीं है, वे मंदिरों और भगवान के नाम का दुरूपयोग करते हैं लेकिन अंतत: वे वही काम करेंगे जो आतंकियों ने किया है, गए थे राममंदिर बनाने लेकिन किया एकदम उलटा बाबरी मस्जिद ही तोड़ दी।



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