शुक्रवार, 13 मई 2016

फेक डिग्रियों के खेल में-


          पी एम नरेन्द्र मोदी की बीए,एमए की डिग्री के मामले पर डीयू के रजिस्ट्रार ने जिस तरह का बयान दिया है वह बताता है कि मोदीजी की डिग्रियां फेक हैं।रजिस्ट्रार का कहना है नाम और वर्ष की त्रुटियां सामान्य बात है।रजिस्ट्रार गलत कह रहे हैं,किसी भी छात्र के प्रमाणपत्र और अंकतालिका में ये त्रुटियां पकड़ी जाने पर आपराधिक मामला बनता है।वि.वि.संबंधित छात्र पर केस करता है या फिर उसे दाखिला नहीं देता।दूसरी बात नाम और वर्ष की त्रुटियों को तो प्रकारान्तर से रजिष्ट्रार ने मान लिया है,ऐसे में मोदीजी की डिग्रियां फेक है।डीयू के वीसी ने रजिस्ट्रार के बयान से अपने को पृथक रखा है,यानी डिग्री फेक हैं।असल में,  मोदीजी को अपनी डिग्रियों का मूल रूप दिखाना चाहिए।गुजरात वि वि और दिल्ली विवि के मौजूदा प्रशासन को इस बीच में उन्होंने शामिल क्यों किया है ? उनको डिग्री मिल चुकी है,मूल उनके पास है वही दिखाया जाना चाहिए।डुप्लीकेट का सवाल तब पैदा होता है जब मूल खो जाए,मूल खोया नहीं है,मूल उनके ही पास है,यदि खोया है तो उन्होंने पहले कभी डुप्लीकेट निकलवाया होगा वही दिखाएं। यह भी बताएं डुप्लीकेट कब बनवाया और क्यों बनवाया। 
आज जब केजरीवाल ने डिग्री पर सवाल खड़े किए हैं तो डुप्लीकेट इन विश्वविद्यालयों से निकलवाकर दिखाने का मतलब क्या है ? आम आदमी पार्टी ने इन दोनों विश्विद्यालयों से 18सवाल उनकी डिग्री के बारे में पूछे हैं जिनका जबाव मुख्य सूचना आयुक्त के आदेश के बावजूद इन दोनों विश्वविद्यालयों ने लिखित रूप में नहीं दिया है।मोदीजी की डिग्रियां असली हैं तो इन 18सवालों के जबाव देने से ये दोनों विश्वविद्यालय क्यों मना कर रहे हैं।इन सब स्थितियों को देखते हुए यही लगता है डिग्रियां फेक हैं।
जिन 18सवालों को आम आदमी पार्टी ने पूछा है वे सामान्य सवाल हैं उनसे देश की एकता-अखण्डता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कोई खतरा नहीं पहुँचेगा,वैसी अवस्था में उन सवालों के जबाव न देना गलत है और सूचना प्राप्ति अधिकार कानून का उल्लंघन है।यह राष्ट्रीय सूचना आयुक्त के आदेश की अवहेलना भी है,इस अर्थ में संविधान का अपमान है,कानून का अपमान है।

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