शनिवार, 7 मई 2016

डिग्री का मायाजाल और हनुमानभाव


     जब हमने कह दिया तुम भगवान हो तो भगवान हो ! जब हमने कह दिया तुमसे ज्यादा कोई बलिष्ठ नहीं है,तो कोई नहीं है ! हमारे यानी भक्त के कहने का मूल्य है ! तुम तो जानते ही हो भगवान को भगवान खुद भगवान ने नहीं बनाया बल्कि भक्तों ने भगवान को भगवान बनाया है!तुम जान लो श्रीराम –श्रीराम न होते यदि भक्त हनुमान न होते ! हमने देखा है भगवान के पेशाब से चिराग जलता है,हमने महसूस किया भगवान के इशारे पर सारे मीडिया की आवाज बंद हो जाती है ! सारा मीडिया भगवान –भगवान करने लगता है ! यह भगवान का ही खेल है कि आरएसएस जैसा संगठन भेड़ बन गया है! भगवान के जब इतने खेल चल रहे हों तो ऐसी अवस्था में ये क्या डिग्री दिखाओ –डिग्री दिखाओ लगा रखा है !

डिग्री की जरूरत मूर्खों की पड़ती है !देवता और अक्लमंद डिग्री से नहीं पहचाने जाते ! तुम कम अक्ल हो, इसीलिए डिग्री-डिग्री चिल्ला रहे हो!भगवान तो भगवान हैं ,वे महाअक्ल हैं!वे कृपानिधान हैं! सर्वगुण सम्पन्न हैं! उनकी इच्छा के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता! वैंकेय्या नायडूजी आप उनसे भी महान् हैं! हमारे यहां हिन्दी साहित्य में कहावत है भक्त भगवान से बड़ा होता है ! भगवान और भक्त में भक्त ताकतवर होता है! नायडूजी आपकी भक्ति देखकर मेरा मन भक्त-भक्त हो गया है ! आपसे अंदर से ईर्ष्या भी हो रही है कि मैं आप जैसा भक्त क्यों नहीं बन पाया !

नायडूजी आपने सही कहा पीएम नरेन्द्र मोदी भगवान की देन हैं,स्वयं भगवान हैं!कमाल की खोज की है आपने ! सही कहा है किसी ने ,जो चीज भक्त को नजर आती है वह चीज भगवान में गैर-भक्तों को नजर नहीं आती ! नायडूजी आपकी जय हो!आपने हम सबकी आँखें खोल दीं! आप कितने महान् हैं कि आपने मोदी भगवान् की खोज कर ली !आप इसलिए भी महान् हैं क्योंकि आपने भगवान् को भगवान् बना दिया!

पत्थर की मूर्ति में भगवान् की जो प्राणप्रतिष्ठा करता है उसका लोग परम भक्त के रूप में प्रतिदिन स्मरण करते हैं! नायडूजी आपकी भक्ति देखकर इस समय ईश्वर के रीयल भक्त भी थर-थर काँपने लगे हैं,पश्चाताप की आग में जल रहे हैं कि अरे सामने भगवान खड़े थे,घर –घर में टीवी स्क्रीन में भगवान गीता पढ़ रहे थे,लेकिन हम अभागे उनको देख ही न पाए!नायडूजी रीयल भक्त दुखी हैं और पीड़ित भी हैं कि हमारे जैसे धर्मप्राण भारत में साक्षात भगवान पधारे और वे उनको पहचान नहीं पाए! नायडूजी आपने भारत की भक्तप्राण जनता की आँखें खोल दीं,आप धन्य हैं और हमें धिक्कार है !

नायडूजी आपकी भक्ति और दिव्यदृष्टि देखकर अरविन्द केजरीवाल पर गुस्सा आ रहा है,लगता है यह आदमी ठीक नहीं है,भक्त को नहीं पहचानता ! भगवान को नहीं पहचानता ! पता नहीं यह मोदी भगवान को छोड़कर काहे को रोज जय हनुमान –हनुमान करता रहता है !

जिस तरह हर गली में हनुमान घूमते रहते हैं वैसे ही यह भी घूमता रहता है,जिस तरह गली के छोरे किसी के पीछे पड़ जाते हैं तो झल्लाकर रख देते हैं,इसने भी गली के छोकरों की तरह मूर्खतापूर्ण सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं,कह रहा भगवान की डिग्री फेक है! पागल हो गए हो केजरीवाल ! लेकिन नहीं हमें उसकी बात पर गौर करना चाहिए।असल में केजरीवाल तो हनुमान भाव में रहता है! हनुमान भाव बेहद खतरनाक है यह रावण को मौत के मुँह तक पहुँचा चुका है,वह बहुत सारी डिग्रियों से युक्त पंडित था,लेकिन हनुमान भाव ने रावण की ,सत्ता,डिग्रियों और विद्वता को एक ही झटके में राख करके रख दिया था,सोने की लंका में आग लगा दी ।हनुमान भाव में निडरता और पूंछ बहुत महत्वपूर्ण है,लंका में आग लगाने के लिए हनुमान की निडरता और पूंछ ही महान् हैं!

हनुमान भाव के सामने महाबली ,महापंडित रावण का सारा कौशल बेकार गया! हनुमान भाव से राम भी प्रभावित थे।हनुमान भाव यानी आग लगाने वाला भाव,लंका जलाने वाला भाव!इस भाव के सामने सब कुछ नश्वर है,भगवान भी नश्वर है,विद्वान भी नश्वर है,राम की विजय में हनुमान भाव की कभी किसी ने उस तरह चर्चा नहीं की है,लेकिन आप तो जानते ही हैं हनुमान भाव महान है। हनुमान भाव का लक्ष्य है रावण का वध ! हनुमान भाव के लिए सत्य,तथ्य, तर्क-वितर्क महत्वपूर्ण नहीं है।हमने बार-बार देखा है भक्तभाव के जितने रूप हैं उनमें हनुमान भाव सबसे ताकतवर है।भगवान राम के भक्त काम नहीं आए,हनुमान भाव काम आया! तुम यादकरो हनुमान के पास क्या था ॽ सिर्फ हनुमान भाव था!हनुमान भाव यानी निडरता! केजरीवाल इसलिए सुंदर लगता है क्योंकि वह निडर है!भक्त कमजोर होता है क्योंकि वह निडर नहीं होता!तुम तो जानते हो लोकतंत्र की कुंजी उनके हाथ में है जो निडर हैं ! अब सोचो तुमको भक्त बनना है या निडर बनना है।निडर बनना है तो हनुमान भाव में जाओ,लंका में आग लगाओ !



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