गुरुवार, 13 मई 2010

देशप्रेम का पाखंडी चीनी राग



       चीनी जनता में कम्युनिस्ट शासकों के प्रति तेजी से असंतोष बढ़ रहा है। चीन के कॉमरेड साम्राज्यवादी अवधारणाओं के शिकार हो गए हैं। साम्राज्यवादी धारणा में देश प्रेम का अर्थ सरकार प्रेम है। कॉमरेडों का मानना है जो देशप्रेमी है उसे चीन की कम्युनिस्ट सरकार का भी प्रेमी होना चाहिए।जो देशभक्त है उसे पार्टीभक्त होना चाहिए।  देशप्रेम और देशभक्ति का यह संकुचित और विकृत मार्ग है।   
     यह मानना गलत है कि देशप्रेमी को सरकार के नेताओं और मंत्रियों का भी प्रेमी होना चाहिए। यह सोच भी गलत है कि जो व्यक्ति सरकार प्रेमी नहीं बह देशप्रेमी नहीं।
     भारत में भी ऐसे लोग है जो देशप्रेम का अर्थ हिन्दू प्रेम मानते हैं। वंश परंपरा प्रेम मानते हैं। पार्टी विशेष से प्रेम मानते हैं।देशप्रेम की ये सब विकृत मान्यताएं हैं।  
    चीन जैसी दशा पश्चिम बंगाल में भी है। यहां पर कम्युनिस्टों में एक बड़ा तबका है जो बांग्ला प्रेम को पार्टी प्रेम के साथ (माकपा प्रेम के साथ ) गड्डमड्ड करके देखता है। देशभक्ति को पार्टीभक्ति के साथ एकमेक करके देखता है।
     देश प्रेम का अर्थ संपदा प्रेम,पार्टी प्रेम,वंश परंपरा प्रेम  और नेता प्रेम नहीं है। देशप्रेम का अर्थ है देश की जनता,प्रकृति, पशु-पक्षी,नदी-तालाब,जल,वन-जंगल,पेड़-पौधे,पर्वत,शहरी और ग्रामीण आदि के प्रति प्रेम और इनके अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष। देशप्रेम वही हो सकता है जो अन्य को प्यार करता हो,अन्य के अधिकारों के प्रति समर्पित हो। देशप्रेम में अन्य के लिए त्याग और संघर्ष अनिवार्य चीजें हैं। हम कितने देशप्रेमी हैं यह इस बात से तय होगा कि अन्य के बारे में कितना सोचते हैं, अन्य के लिए कितनी जंग करते हैं।  
 




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