सोमवार, 3 मई 2010

मूलभूत बुनियादी अधिकार है इंटरनेट


           इंटरनेट को ‘स्वतंत्रता की तकनीक’ मानने वालों एक बड़ा समूह है। इसमें वे लोग आते हैं जो आजकल नेट के यूजर हैं। नेट के यूजरों में यह मान्यता बढ़ती जा रही है कि इंटरनेट का कनेक्शन पाना मूलभूत बुनियादी अधिकार है। विश्व स्तर पर किए गए सर्वे में यह पाया गया कि 5 वयस्कों में से 4 वयस्क यह मानते हैं कि इंटरनेट मूलभूत बुनियादी अधिकार है और प्रत्येक व्यक्ति को इंटरनेट सेवाएं मुहैय्या कारायी जानी चाहिए इस सर्वे में ब्लॉगरों पर ज्यादा ध्यान दिया गया थ यहसर्वे बीबीसी ने कराया था। 
        बीबीसी के द्वारा सत्ताइस हजार लोगों में किए गए इस सर्वे में पांच में से चार लोगों ने इंटरनेट को फंड़ामेंटल राइट यानी मूलभूत बुनियादी अधिकार की कोटि में रखा। इंटरनेट उपभोक्ताओं ने इंटरनेट को सकारात्मक नजरिए से देखा और इसे संमस्त जनता के बुनियादी मूलभूत अधिकारों में शामिल करने के पक्ष में राय दी। सर्वे किए गए अठहत्तर प्रतिशत लोगों ने कहा इंटरनेट उनके बीच में व्यापक स्वतंत्रता लेकर आया है। दस में से नौ लोगों का मानना है कि इंटरनेट सीखने की सबसे उम्दा उपकरण है। जबकि सैंतालीस प्रतिशत लोगों का मानना है कि वे जिन चीजों की सूचनाएं पाना चाहते हैं। वे उन्हें नेट पर मिल जाती हैं। बत्तीस प्रतिशत लोगों के लिए इंटरनेट संपर्क का माध्यम है। जबकि मात्र बारह प्रतिशत के लिए मनोरंजन और अन्य किस्म की गतिविधियों का स्रोत है।
     इंटरनेट निजी राय जाहिर करने का सुरक्षित स्थान है या नहीं इस सवाल पर यूजरों में पूरी तरह विभाजन देखा गया। अड़तालीस प्रतिशत की राय थी निजी राय को व्यक्त करने का सुरक्षित माध्यम है। जबकि उनचास प्रतिशत का मानना था कि निजी राय व्यक्त करने का सुरक्षित माध्यम नहीं है।
      सर्वे में अमेरिकी नागरिकों का मानना था कि उन्हें इंटरनेट ने व्यापक पैमाने पर स्वतंत्रता दी है। सारी दुनिया में अठहत्तर प्रतिशत लोग इस राय से सहमत पाए गए जबकि अमेरिका में पचासी प्रतिशत का मानना था कि इंटरनेट ने व्यापक स्वतंत्रता दी है। पचपन प्रतिशत अमेरिकी मानते हैं कि वे जो मन में आता है वह नेट पर बोल सकते हैं इसकी तुलना में 48 प्रतिशत लोग मानते हैं कि जो इच्छितभाव से बोल सकते हैं।
        नेट पर धोखाधड़ी को 32 प्रतिशत, हिंसक और नग्न कांटेंट को 27 प्रतिशत, प्राइवेसी की समस्या से 20 प्रतिशत लोग परेशान थे। ज्यादातर इंटरनेट यूजरों का मानना था कि इंटरनेट का नियमन सरकार को करना चाहिए। जबकि 53 प्रतिशत का मानना था कि इंटरनेट के नियमन से सरकार को अलग रखा जाना चाहिए।
        एक अन्य सर्वे में जिसे अमेरिका के फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन ने जारी किया है ,उसके अनुसार अमेरिका के दो-तिहाई वयस्कों के पास घर पर हाइस्पीड इंटरनेट कनेक्शन है। बाकी एक-तिहाई के पास घर में ब्रॉडबैण्ड कनेक्शन नहीं है। अमेरिका के 93 मिलियन यूजर में इंटरनेट यूजरों में सामाजिक-आर्थिक -जैसे शिक्षा,उम्र,आमदनी आदि- आधार पर गहरा विभाजन पाया गया है।
       कमीशन का मानना है कि साधारण नागरिक को पूरी तरह सूचना संपन्न होना जाहिए। सूचना संपन्न समाज में दोयम दर्जे के नागरिक की कोई जगह नहीं है। अमेरिकी नागरिक नयी सार्वजनिक नीति और तकनीक में निवेश किए बिना विश्वस्तर पर प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते।
     सूचना का मुक्तप्रवाह बनाए रखना इन दोनों सर्वेक्षणों का केन्द्रीय लक्ष्य है। इस सर्वे से यह भी पता चला है कि अमेरिका में अभी तक 100 प्रतिशत आबादी के पास ब्रॉडबैंड नहीं पहुँचा है।

3 टिप्‍पणियां:

  1. बिल्कुल होनी चाहिए.... आज कल के सूचना युग में इन्टरनेट बहुत बडा माध्यम है । बिल्कुल सही लिखा आपनें...

    सही आदमी तक बात पहुंचे बस तब फ़िर बात बनें..

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  2. अमेरिका में तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है इसलिये वहां के नागरिकों के लिये तो इंटरनेट मूलभूत बुनियादी अधिकार है.

    मुसीबत बेचारे चीन जैसे वाममार्गी देशों और इस्लामिक कट्टरता ग्रस्त देशों की है जहां के नागरिक इस बुनियादी अधिकार से महरूम हैं.

    क्या कभी चीन और इस्लामिक फंडामेन्टलिस्ट देशों के ऊपर कोई सर्वे वगैरह हुआ है? यदि हो तो कृपया उसके बारे में बताईयेगा

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  3. घरघुसुआजी, मेरे ब्लॉग पर पुराने पोस्ट पढ़ें,चीन पर काफी लिखा है। ताजा जानकारियां हैं।

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