शनिवार, 12 मार्च 2011

विकीलीक और अमेरिकी साम्राज्यवाद-2-


     शीतयुद्धोत्तर विचारधारात्मक संघर्ष को विकीलीक ने चरमोत्कर्ष पर पहुँचा दिया है। मजेदार बात यह है कि संचार क्रांति के साथ समाजवाद का अंत आरंभ हुआ था और विकीलीक ने संचार क्रांति के अवसान की घोषणा के साथ अमेरिकी जनतंत्र के मुखौटे को नोंच डाला है। नव्य उदार लोकतंत्र में निहित अधिनायकवादी राजनीति को उजागर किया है। उसका विलोम रचा है। यही वजह है कि विकीलीक के एक्सपोजर के साथ आज रूस के प्रधानमंत्री ब्लादीमीर पुतिन खड़े हैं। रूस का प्रधानमंत्री अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की हिमायत कर रहा है और ओबामा प्रशासन ने विकीलीक के खिलाफ कड़े कदम उठाने आरंभ कर दिए हैं। अमेरिका में इंटरनेट को नियंत्रित करने के नए उपायों पर विचार चल रहा है जिससे नेट स्वतंत्रता पर बंदिशें थोपी जा सकें।
    समाजवाद को ध्वस्त करने के लिए मीडिया और इंटरनेट से सभी बंदिशें हटाने की मांग की गई थी लेकिन अब बुर्जुआ लोकतंत्र के रौरव नरक के उदघाटन को रोकने के लिए तरह-तरह की बंदिशें लगायी जा रही हैं। विकीलीक ने बुर्जुआ लोकतंत्र और खासकर अमेरिकी लोकतंत्र की जो शक्ल सामने पेश की है वह इतनी कलुषित है कि माफिया गिरोह भी अपने को शर्मिंदा महसूस कर रहे होंगे। खासकर राजनयिकों की भाषा,संवाद और वास्तव जीवन में उनका सार्वजनिक व्यवहार किस तरह पाखंडपूर्ण ,हिंसक,बर्बर होता है यह बात बड़ी ही खूबसूरती के साथ एक्सपोज हुई है।
     उल्लेखनीय है सन् 2006 में विकीलीक ने जब चीन को एक्सपोज करना आरंभ किया था तो पश्चिम का मीडिया और नेतागण उसे सिर पर बिठाए घूम रहे थे। लेकिन ज्योंही विकीलीक ने अमेरिकी बर्बरता, असभ्यता, स्वतंत्रताहरण,दूसरे देशों की आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप आदि का खुलासा आरंभ किया है चारों ओर मीडिया से लेकर सरकारों तक तहलका मच गया है और अब अमेरिकी साम्राज्यवादी खेमे में एक ही आवाज है असांजे को पकड़ो, मार डालो,वह आतंकी है,जेल में डालो,इंटरनेट पर अबाध स्वतंत्रता पर पाबंदी लगाओ।
      विकीलीक के एक्सपोजर ने एक बात और सिद्ध की है कि प्रौपेगैण्डा में शीतयुद्ध बरकरार है। शीतयुद्धीय प्रौपेगैण्डा की विशेषता थी सफेद झूठ बोलना। अमेरिकी साम्राज्यवाद ने इराक,अफगानिस्तान,ईरान आदि को लेकर निरंतर सफेद झूठ बोला है। यह बात विकीलीक के खुलासे से सामने आयी है। यह बात भी पुष्ट हुई है कि इराक में अमेरिका ने सैन्य हस्तक्षेप के जो बहाने बताए थे वे सब गलत थे। मैनस्ट्रीम मीडिया लगातार यह आभास दे रहा है कि वह सच बोलता है और उसकी नजर सिर्फ खबर पर होती है,खबर की वस्तुगत प्रस्तुति पर होती है। ये सारी दलीलें गलत साबित हुई हैं। खासकर इराक और अफगानिस्तान के बारे में जो कुछ कारपोरेट मीडिया के द्वारा जो बताया जाता रहा है वह गलत साबित किया है विकीलीक ने।
    ग्लोबल मैनस्ट्रीम मीडिया की विशेषता है कि वह शस्त्र उद्योग के इशारों पर चलता रहा है। शस्त्र उद्योग जो कहता है वही बात ये लोग छापते हैं। इसी तरह भारत में मैनस्ट्रीम मीडिया मूलतः वही कवरेज देता है जो यहां के कारपोरेट घरानों के हित में होता है। इसके लिए वे सत्य प्रस्तुति का पाखंड करते हैं। इसके लिए वे कुछ यहां की कुछ वहां कीपद्धति का इस्तेमाल करते खबरे देते हैं। कभी भाजपा के खिलाफ तो कभी कांग्रेस के खिलाफ,कभी इस कारपोरेट घराने के बारे में तो कभी उस घराने के बारे में,थोड़ी इसकी-थोड़ी उसकी, थोडी घृणा इसके बारे में तो थोड़ा भय उसके बारे में,यही वह बुनियादी मीडिया नीति है जिसके तहत प्रौपेगैण्डा सामग्री परोसी जा रही है।
    विकीलीक के एक्सपोजर ने यह भी धारणा पुष्ट की है कि अमेरिका सीधे हमलावर होकर युद्ध आयोजित करता रहा है। नए दौर में मुख्यधारा के मीडिया का काम सत्य का अनुसंधान करना नहीं है बल्कि सरकार जो कहे,उसका अनुपालन करना है। सरकार जो कहती है उसके बारे में मीडिया सवाल नहीं उठाता। विकीलीक के एक्सपोजर ने यह तथ्य भी उजागर किया है कि बहुराष्ट्रीय मीडिया अमेरिकी विदेश और गृह नीति का अंधानुकरण करता रहा है।
     अमेरिकी मीडिया की खासतौर पर विशेषता रही है  वह अमेरिकी साम्राज्य विस्तार के लक्ष्यों को प्राथमिकता देता है। वे देश जो अमेरिका की आलोचना करते हैं मीडिया में उन्हें शत्रु या गैर भरोसेमंद मुल्क के रूप में चित्रित किया जाता है। बहुराष्ट्रीय मीडिया में निगमों का नियंत्रण इतना ताकतवर है कि कोई भी व्यक्ति सामान्य सी प्रतिक्रिया भी शस्त्र उद्योग के खिलाफ नहीं बोलता यदि कोई बोलता है तो उसे प्रकाशित नहीं किया जाता। मीडिया में चीजों को सारहीन और सीमित दायरे में रखकर देखने की बाढ़ आ गयी है। पहले यह बीमारी चंद अखबारों तक सीमित थी,किंतु आज यह मैनस्ट्रीम मीडिया की साझा विशेषता है।
   जूलियन असांजे और दो औरतें-
        विकीलीक के संस्थापक जूलियन असांजे जमानत पर रिहा होकर ब्रिटेन में अपने दोस्त के घर आ गए हैं। लेकिन उन दो औरतों का रहस्य अभी भी पूरी तरह खुला नहीं है। आखिरकार वे दो औरतें कौन थीं ?  उन्होंने असांजे के साथ शारीरिक संबंध क्यों बनाए ? पुलिस को शिकायत क्यों की ? पहली बात तो यह असांजे के साथ कोई स्वतःस्फूर्त्त मुठभेड़ में हुआ प्यार नहीं था। ‘गार्दियन’ (17 दिसम्बर,2010) के अनुसार स्वीडन के सरकारी दस्तावेज बताते हैं असांजे पर इन दोनों औरतों के आरोपों के आधार पर स्वीडन में केस दर्ज है और उसके मुतल्लिक अनेक नए तथ्य भी सामने आए हैं। उल्लेखनीय है असांजे 11अगस्त 2010 को स्टॉकहोम गया था और वहां 10 दिन रूका था। इन 10 दिनों में उसका इन दोनों औरतों के साथ संबंध बना। इनमें से एक औरत ने ,जिसका नाम ‘ए’ है ,उसने पुलिस को बताया कि उसने असांजे की स्वीडन यात्रा की व्यवस्था की थी और उसने ही यह ठीक किया था कि असांजे उसके फ्लैट में रहे क्योंकि वह उस दौरान कुछ दिनों को बाहर जाएगी और फिर जल्दी 13 अगस्त को लौट आएगी। इस महिला के विवरण और ब्यौरे का असांजे ने खंडन किया है।
    असांजे ने स्वीडन की पुलिस को बताया है कि ‘‘he began stroking her leg as they drank tea, before he pulled off her clothes and snapped a necklace that she was wearing. According to her statement she "tried to put on some articles of clothing as it was going too quickly and uncomfortably but Assange ripped them off again". Miss A told police that she didn't want to go any further "but that it was too late to stop Assange as she had gone along with it so far", and so she allowed him to undress her.’’
गार्दियन ने लिखा है श्रीमती ‘ए’ के बयान के अनुसार ‘‘According to the statement, Miss A then realised he was trying to have unprotected sex with her. She told police that she had tried a number of times to reach for a condom but Assange had stopped her by holding her arms and pinning her legs. The statement records Miss A describing how Assange then released her arms and agreed to use a condom, but she told the police that at some stage Assange had "done something" with the condom that resulted in it becoming ripped, and ejaculated without withdrawing.’’
    इस पर असांजे ने बाद में पुलिस के सामने कबूला कि उसने इस महिला के साथ सेक्स किया था लेकिन कंडोम को उसने नहीं फाडा और वह नहीं जानता कि सेक्स करते हुए कंडोम फट गया था। असांजे ने कहा  वह लगातार श्रीमती ‘ए’ के बिस्तर पर बाद के दिनों में सोता रहा ।लेकिन उसने कंडोम फट जाने वाली घटना का कभी जिक्र तक नहीं किया। 14 अगस्त को असांजे ने इस महिला के द्वारा आयोजित एक सेमीनार में भाषण दिया। इसी सेमीनार में दूसरी औरत को भी पहली औरत ने भाग लेने के लिए बुलाया था। बाद में इन दोनों महिलाओं और विकीलीक के कुछ सदस्यों के साथ असांजे ने लंच किया। उसके बाद असांजे दूसरी औरत ( नाम डब्ल्यू) के साथ घूमने निकल गए और उन स्थानों पर गए जहां वह काम करती थी। बाद में उसके साथ सिनेमा देखा। सिनेमा से लौटते समय उस महिला ने असांजे को चूमा और असांजे ने उसके कपड़ों में अंदर हाथ दे दिया। उसी शाम को सुश्री ‘ए’ ने एक पार्टी रखी जिसमें उसने अपनी एक सहेली मोनिका को बताया कि उसने असांजे के साथ बगैर कंडोम के सेक्स किया था ।
    एक अन्य मित्र ने पुलिस को बताया कि सुश्री ‘ए’ उससे कहा था ‘‘she had had "the worst sex ever" with Assange: "Not only had it been the world's worst screw, it had also been violent."असांजे के मित्रों का मानना है सुश्री ‘ए’ ने सारे समय असांजे को पार्टी में रहने दिया,बाद में उसे अपने फ्लैट में रहने दिया, मिस ‘ए’ का मानना है असांजे ने कंडोम को किसी मकसद से फाड़ा था। उस घटना के बाद उसने असांजे के साथ कभी सेक्स नहीं किया क्योंकि वह हदें पार कर चुका था, जबकि वह उसके घर पर ही रह रहा था।
विकीलीक के एक्सपोजर और जूलियन असांजे के खिलाफ दो औरतों के मुकदमे ने एक साथ दो चीजों को गड्डमड्ड कर दिया है। हमारे सूचना पाने के अधिकार और बलात्कार ये दो चीजें एक साथ गड्डमड्ड हो गयी हैं। असांजे ने दो औरतों के साथ जो भी किया उस पर पर्दादारी और उसकी हिमायत नहीं की जा सकती। उसे यह कहकर भी नहीं टाला जा सकता कि इन दो औरतों में एक औरत सीआईए की एजेंट रही है और क्यूबा विरोधी सीआईए की मुहिम का हिस्सा रही है। असांजे ने कानूनन कामुक अपराध किया है। इसलिए असांजे के विकीलीक एक्सपोजर और कामुक अपराध में अंतर करके चलने की जरूरत है।
असांजे के दल में फूट-
     विकीलीक के संस्थापकों में से एक डेनियल डॉमसिट बर्ग ने कुछ ही अर्सा पहले विकीलीक को तोड़ा है। उन्होंने विकीलीक के विकल्प के रूप में ओपेन लीक नामक वेबसाइट बनाने की घोषणा की है। डेनियल का विकीलीक संस्था में असांजे के बाद दूसरा स्थान था और वे भी ऑइकॉन थे विकीलीक के। डेनियल डॉमसिट बर्ग ने एक साक्षात्कार में कहा है कि आरंभ में विकीलीक के अनुभव की खोजी पत्रकारिता के लिहाज से खूब सराहना की गई। आरंभ में विकीलीक ने छद्म नामों के जरिए एक्सपोजर किए बाद में असली नामों से एक्सपोजर किए।
    बर्ग ने कहा कि 2006 में जब इस प्लेटफॉर्म को आरंभ किया गया था तो इसका लक्ष्य था बुद्धिमान लोगों को सूचनाएं देना। ये सूचनाएं ठोस तथ्यों पर आधारित होती थीं और इनके आधार पर बुद्धिमत्तापूर्ण निर्णय लेने में मदद मिल सकती है। लेकिन कुछ समय के बाद समस्याएं आने लगीं। खासकर अफगान युद्ध के बारे में दस्तावेज लीक होने के साथ विकीलीक में अंदर विवाद उठ खड़ा हुआ।
     अफगान युद्ध का उदघाटन करने के साथ ही विकीलीफ ने अपनी लक्ष्मणरेखा का उल्लंघन कर दिया। इस रहस्योदघाटन के बाद जिम्मेदारियों और पारदर्शिता के सवालों पर आंतरिक बहस हुई। लेकिन सच यह है हम उतने पारदर्शी नहीं थे। बर्ग ने कहा है  आंतरिक आलोचना और विवादास्पद बातों पर हम ध्यान देने को तैयार नहीं थे।खासकर जो अमेरिका की ओर से सवाल उठाए जा रहे थे उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा था।  धीरे धीरे जूलियन असांजे ने आंतरिक आलोचना सुनना बंद कर दिया था और सारी शक्तियां अपने हाथों में एकत्रित कर ली थीं।
     बर्ग के अनुसार अफगान युद्ध के दस्तावेज और वीडियो का उद्घाटन आंतरिक विवादों को सबके सामने ले आया। अमेरिका के आपचे  हेलीकॉप्टर ने कैसे 12 अफगान नागरिकों की हत्या की ,इसके अलावा बगदाद में 2007 के हमले में रायटर के दो पत्रकार भी मारे गए थे उसका वीडियो विकीलीक ने जारी किया था और विवाद चरम पर पहुँच गया था।  इसके साथ अफगानिस्तान के हजारों दस्तावेज भी जारी किए और इस पर हम सबके बीच में विवाद उठ खड़ा हुआ।
    उल्लेखनीय है बर्ग को दुनिया में हैंकिंग का सरगना माना जाता है और वह विश्वप्रसिद्ध जर्मन स्थित हैंकिंग ग्रुप से आए हैं और विकीलीक की स्थापना में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। बर्ग की आलोचनाओं ने असांजे के साथ संबंधों को खट्टा बना दिया और असांजे ने बर्ग को गैर वफादार घोषित करते हुए विकीलीक से सस्पेंड कर दिया। बर्ग ने असांजे के सामने यह प्रस्ताव रखा था कि उसके ऊपर कामुक दुर्व्यवहार के जो आरोप स्वीडन में लगाए गए हैं उन आरोपों को विकीलीक से अलग रखा जाए और इन आरोपों पर सार्वजनिक हंगामा करने की बजाय शांति से अकेले में ले-देकर मामले को हल कर लिया जाए जिसे असांजे ने नहीं माना और इन दोनों में विवाद हुआ और असांजे ने बर्ग को विकीलीक से निकाल दिया।(क्रमशः)

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