रविवार, 20 मार्च 2011

केशर की कलि की पिचकारी-निराला


केशर की,कलि की पिचकारीः
पात-पात की गात सँवारी।

राग-पराग-कपोल किये हैं,
लाल-गुलाल अमोल लिये हैं
तरू-तरू के तन खोल दिये हैं,
आरती जोत-उदोत उतारी-
गन्ध-पवन की धूप धवारी।

गाये खग-कुल-कण्ठ गीत शत,
संग मृदंग तरंग-तीर -हत
भजन-मनोरंजन-रत अविरत,
राग-राग को फलित किया री-
विकल -अंग कल गगन विहारी।






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