केशर की,कलि की पिचकारीः
पात-पात की गात सँवारी।
राग-पराग-कपोल किये हैं,
लाल-गुलाल अमोल लिये हैं
तरू-तरू के तन खोल दिये हैं,
आरती जोत-उदोत उतारी-
गन्ध-पवन की धूप धवारी।
गाये खग-कुल-कण्ठ गीत शत,
संग मृदंग तरंग-तीर -हत
भजन-मनोरंजन-रत अविरत,
राग-राग को फलित किया री-
विकल -अंग कल गगन विहारी।
बहुत जबरदस्त
जवाब देंहटाएंहोली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ|
बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंआपको होली की अशेष शुभकामनाएं.....
होली की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंmanish jaiswal
bilaspur
chhattisgarh
होली की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंmanish jaiswal
bilaspur
chhattisgarh
निराला वाकई निराले हैं।
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