उसका रहना
रोज़ सुबह उठकर पाते हो उसको तुम घर में
इससे यह मत मान लो वह हरदम मौजूद रहेगी
बेटे से
टूट रहा है यह घर जो तेरे वास्ते बनाया था
जहाँ कहीं हो आ जाओ...
नहीं यह मत लिखो लिखो जहाँ हो वहीं अपने को टूटने से बचाओ
हम एक दिन इस घर से दूर दुनिया के कोने में कहीं
बाहें फैलाकर मिल जाएँगे
भ्रम निवारण
तुम क्या समझते हो कि
हर लड़की जो मुझे देखकर
मुस्कुराती है मेरी पहचानी है
नहीं,वह तो सिर्फ
अपनी दुनिया में मस्त रहती है
ग़रीबी
"हम गरीबी हटाने चले
और उस समाज में जहाँ आज भी दरिद्र होना दीनता नहीं
भारतीयता की पहचान है,दासता विरोध है दमन का प्रतिकार है
हम ग़रीबी हटाने चले
हम यानी ग़रीबों से नफ़रत हिकारत परहेज़ करनेवाले
हम गरीबी हटाते हैं तो ग़रीब का आत्म सम्मान लिया करते हैं
इसलिए मैं तो इस तरह ग़रीबी हटाने की नीति के विरूद्ध हूं
क्योंकि वही तो कभी-कभी अपने सम्मान की अकेली
रचना रह जाती है
ख़तरा
एक चिटका हुआ पुल है
एक रिसता हुआ बाँध है
ज़मीन के नीचे बढ़ता हुआ पानी है
ख़तरे में राम ख़तरे में राजधानी है
पहले खुदा के यहाँ देर थी अँधेर न था
अब खुदा के यहाँ अंधेर है और उसमें देर नहीं
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें