कौन री,रँगी छबि येरी ?
फूल -सी देह,-द्युति सारी,
हल्की तूल-सी सँवारी,
रेणुओं -मली सुकुमारी,
कौन री, रँगी छबि वारी ?
मुसका दी,आभा ला दी,
उर-उर में गूँज उठा दी,
फिर रही लाज की मारी,
मौन री रँगी छबि प्यारी।
( यह कविता इंदौर से प्रकाशित मासिक पत्रिका 'वीणा' के जून 1935 अंक में 'होली' शीर्षक से छपी थी)
बहुत सुन्दर रंगारंग होली प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं
रंगों की चलाई है हमने पिचकारी
जवाब देंहटाएंरहे ने कोई झोली खाली
हमने हर झोली रंगने की
आज है कसम खाली
होली की रंग भरी शुभकामनाएँ