दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने दो दिन पहले एक दिन की हड़ताल की। बतर्ज दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (DUTA ) यह हड़ताल सेमिस्टर प्रणाली और उच्च संचार तकनीक वाली बायोमेट्रीक अंगूठा छाप अनिवार्य हाजिरी प्रणाली लागू किए जाने के खिलाफ थी। DUTA ने अपनी इन मांगों के बारे में लंबी जंग का एलान भी किया है।
DUTA ने जो मसला उठाया है वह गंभीर है। विश्वविद्यालय प्रशासन के अपने क्या तर्क हैं अभी तक साफ नहीं है। लेकिन इन दोनों नियमों को अंशतः प्रशासन लागू कर चुका। कर्मचारियों में बायोमेट्रिक अंगूठा छाप हाजिरी प्रणाली लागू हो चुकी है। कर्मचारियों ने इसका विरोध नहीं किया। इसी तरह एमए में सेमिस्टर प्रणाली लागू हो चुकी है। एमफिल् में भी अधिकांश विभाग सेमिस्टर प्रणाली लागू कर चुके हैं। कहीं पर भी विभागों ने प्रतिवाद नही किया। अब अचानक शिक्षक और कर्मचारी संगठन संघर्ष के मैदान में कूद पड़े हैं। दबाव की राजनीति के द्वारा सारे मसले को गैर अकादमिक रास्ते से पंक्चर करने की कोशिश की जा रही है।
इस प्रसंग में पश्चिम बंगाल का अनुभव DUTA की मदद कर सकता है। पहली बात यह कि शिक्षक सुनिश्चित समय पर आएं और जाएं , इसे पांच साल पहले प.बंगाल ने लागू किया गया। उसी अनुभव की सफलता के बाद यूजीसी अब सारे देश में इसे लागू करने के लिए कह चुकी है। राज्य के सभी वि.वि. और कालेज शिक्षकों को प्रतिदिन पांच घंटे रहना होता है। जो शिक्षक तय समय पर नहीं आता -जाता उसे कारण बताना होता है ,अवकाश लेना होता है।
इस नियम को लागू कराने में देश के विश्वविद्यालय-कालेज शिक्षकों के एकमात्र संगठन आइफुकटो , वाममोर्चा,कांग्रेस,भाजपा आदि सभी दलों के साथ सभी विचारधारा के शिक्षक संगठनों की सक्रिय भूमिका रही है। शिक्षकों पर समय की पाबंदी लगाने का सुपरिणाम निकला है। इस नियम को लागू करने के पहले 60 प्रतिशत से ज्यादा शिक्षक कक्षाओं से गायब रहते थे। हराम की खाते थे। माकपा और आइफुकटो ने खासतौर पर इसे लागू करने में केन्द्रीय भूमिका अदा की और आज 95 प्रतिशत से ज्यादा शिक्षक नियमित आते हैं। यह नियम सख्ती से इसलिए लागू हो पाए क्योंकि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी चाहती थी।
आज प. बंगाल में सभी विश्वविद्यालयों में स्नातकोत्तर कक्षाओं में सेमिस्टर प्रणाली लागू हो चुकी है। स्नातक कक्षाओं यानी बीए बगैरह में सेमिस्टर प्रणाली लागू करने की प्रक्रिया चल रही है और इसमें सभी सहयोग कर रहे हैं। कहीं से भी प्रतिवाद की खबर नहीं है।
उल्लेखनीय है 11वीं पंचवर्षीय योजना को राष्ट्रीय स्तर लागू करते समय शिक्षा में सेमीस्टर प्रणाली को 2011 तक राष्ट्रीय स्तर पर लागू करना अनिवार्य है। जो इसे लागू नहीं करेंगे उनकी यूजीसी ग्राण्ट बंद हो जाएगी। 11वीं पंचवर्षीय .योजना के इस फैसले का सभी राजनीतिक दलों ने समर्थन किया है। राष्ट्रीय विकास परिषद में सभी मुख्य राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त है। ऐसी अवस्था में DUTA का प्रतिवाद गले नहीं उतरता, क्योंकि जिन राजनीतिक दलों के शिक्षक नेता ( इनमें कम्युनिस्ट ,कांग्रेस,भाजपा और नक्सल आदि सभी शामिल हैं ) विरोध कर रहे हैं उनके बिरादराना संगठनों ने पश्चिम बंगाल में सेमिस्टर प्रणाली लागू की है। शिक्षकों में एक ही दल के सदस्यों में इस तरह का दुरंगापन विरल घटना है।
मजेदार बात यह है कि संसाधनों की कमी प.बंगाल में भी है लेकिन वहां पर इसे समस्या ही नहीं माना गया ,जबकि तुलनात्मक तौर पर प.बंगाल की तुलना में दिल्ली वि.वि. की स्थिति हजार गुना बेहतर है।
प.बंगाल में न्यूनतम सुविधाओं के अभाव में सेमिस्टर प्रणाली और प्रतिदिन पांच घंटे की अनिवार्य उपस्थिति को DUTA के वैचारिक बिरादराना दोस्त संगठनों ने लागू किया है। एक शिक्षक और नागरिक के नाते हम अपने दायित्व को पूरा नहीं करते तो भारत के शिक्षा तंत्र को हम अधिनायकवादी ,व्यापारी और अपराधी तत्वों के हाथों सौंप देंगे।
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