रश्मि खेरिया का यह पहला संकलन है। विगत दो दशकों से काव्य साधना में लगी इस लेखिका ने रुपकों और बिम्बों में जीवनानुभवों को व्यक्त करने की जो कला विकसित की है वह हिन्दी की स्त्री कविता की बड़ी उपलब्धि है। इनकी कविता में जीवन का उल्लास और आवेग व्यक्त हुआ है। इनके काव्य संकलन का नाम है 'अपने होने का सच'।
छूटना
चाहा
बाँधना
कुछ क्षणों को
मुट्ठी में
न जाने कब
चुपके से
फिसल गए
रेत बन
नहीं खुली मुट्ठी
खाली मुट्ठी ही लिए
भरी-भरी दिखती रही.
बहुत अच्छी लगी यह कविता..एक झलक से किताब पढ़ने की इच्छा जाग उठी.
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