सोमवार, 28 दिसंबर 2009

रश्मि खेरिया की ताजा कविता 'स्वाद'


स्वाद
बादलों के साथ -साथ
दौड़ रहा
मन मेरा भी

खेत खलिहान नदी -नाले
रिश्तों के जंगल ---
सब पीछे छूटते रहे

बस लिया
स्वाद
मैंने
भीगने का


                      



















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