स्वाद
बादलों के साथ -साथ
दौड़ रहा
मन मेरा भी
खेत खलिहान नदी -नाले
रिश्तों के जंगल ---
सब पीछे छूटते रहे
बस लिया
स्वाद
मैंने
भीगने का
जगदीश्वर चतुर्वेदी। कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रोफेसर। पता- jcramram@gmail.com
माँ के सुख से ज्यादा मूल्यवान हैं माँ के दुख।मैंने अपनी आँखों से उन दुखों को देखा है,दुखों में उसे तिल-तिलकर गलते हुए देखा है।वे क...
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