जगदीश्वर चतुर्वेदी। कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रोफेसर। पता- jcramram@gmail.com
शुक्रवार, 25 जून 2010
अमेरिका का बलात्कार रिवोल्यूशन
इन दिनों औरतों को पोर्न के बहाने बलात्कार का शिकार बनाने या सामूहिक सेक्स करने या जबरिया अप्राकृतिक मैथुन करने के लिए दबाब ड़ालने की खबरें भारत में भी आने लगी हैं। अमेरिका में बनाए गए ‘एटोर्नी जनरल कमीशन ऑन पोर्नोग्राफी’ (1986) की कार्रवाई को पढ़कर पोर्न समर्थकों को गहरी निराशा हाथ लगेगी। इस कमीशन की रिपोर्ट पोर्न के खिलाफ शानदार ऐतिहासिक कानूनी -सामाजिक-सांस्कृतिक दस्तावेज है।
कमीशन के सामने अनेक औरतों ने आकर गवाही दी कि किस तरह उन्हें पोर्नोग्राफी तैयार करने के लिए कामक्रीडा करने के लिए मजबूर किया गया। जो लोग अमेरिका की पोर्न क्रांति में कोई नुकसानदेह बातें नहीं देखते उन्हें यह जानकर आश्चर्य होगा कि पोर्न के निर्माता छोटे-छोटे प्री-स्कूली बच्चों को अपने पोर्न उद्योग के लिए इस्तेमाल करते रहे हैं और इस काम में प्री-स्कूल के शिक्षकों की पोर्न उद्योग के दलाल की भूमिका रही है।
एक औरत ने कमीशन के सामने दिए बयान में बताया कि उसकी 3 साल का बेटी एक प्री-स्कूल में पढ़ती थी उस स्कूल के शिक्षक ने कई मर्तबा उसे सेक्सुअली उत्पीडि़त किया। स्कूल टीचर ने कई बार उसे स्कूल की चीजों की चोरी के इल्जाम के आधार पर सेक्सुअली उत्पीडि़त किया। उसके फोटो खींचे। उसे चुप रहने को कहा और बोलने पर जान से मारने की धमकी दी। उसे बंदूक और छुरा दिखाकर डराया-धमकाया और उसे जानवरों की कैसे हत्या की जाती है, इसकी फिल्में देखने को मजबूर किया।
इसी कमीशन के सामने एक ऐसे व्यक्ति ने भी गवाही दी जो स्वयं सैंकड़ों पोर्न फिल्मों के निर्माण में ढ़ाई साल तक हिस्सा ले चुका था। उसने कहा -मैंने अपनी आंखों के सामने अनेकों की जिन्दगी बर्बाद होते हुए देखी है। इनमें ज्यादातर लड़कियां थीं। मैंने अनेक प्रोड्यूसर,निर्देशक और फोटोग्राफरों को देखा है जो येन-केन प्रकारेण अपना काम निकालने के चक्कर में लड़कियों के साथ जबर्दस्ती करते थे,उन्हें वह सब करने के लिए बाध्य करते हैं जो वह करना नहीं चाहतीं। उनके दिमाग में सिर्फ एक ही चीज होती है कि किसी भी तरह अपना माल तैयार किया जाए,चाहे इसके विए लड़की के साथ जबर्दस्ती करनी पड़े।
मैंने सेट पर ऐसे भी युगलों को देखा है जिनमें औरत गुदामैथुन नहीं करना चाहती लेकिन उसे मजबूर किया गया कि वह करे। इससे उसे बेइंतहा कष्ट हुआ और इससे उसका समूचा व्यक्तित्व ही नष्ट कर हो गया।
एक अन्य किस्म का बलात्कार यह भी हुआ जिसमें एक महिला अपने किसी काम से बाहर गयी और दो घंटे के लिए पड़ोस में अपनी 10 साल की बेटी छोड़ गयी। उस लड़की को पड़ोसी ने प्लेबॉय चैनल देखने के लिए कहा और मुखमैथुन में शामिल कर लिया।
एक अन्य महिला ने कमीशन के सामने कहा कि उसके पडोस में एक महिला रहती थी ,उसके पति ने 18 सालों तक उसके साथ बलात्कार किया। वह 18 साल से लगातार बाजार से कामुक सामग्री,पोर्न फिल्म,कामुक पत्रिकाएं,किताबें आदि लाता था और उनमें जितनी गंदी क्रियाएं बतायी रहती थीं इन्हें करने के लिए मजबूर करता था। ऐसा न करने पर बुरी तरह मारता पीटता था। उसके मारने,कराहने की आवाजें मैं 18 सालों से सुनती रही हूँ।
मैं उस घर में सफाई का काम करती थी और जब भी जाती थी तो पोर्न पत्रिकाएं और किताबें घर में बिखरी हुई मिलती थीं, मैं समझ जाती थी कि इस घर में क्या चल रहा है। इन पत्रिकाओं में पोर्न तस्वीरें हुआ करती थीं जिनमें औरत,बच्चे और मर्द की तस्वीर हुआ करती थी। एक दिन उस औरत ने स्वीकार किया कि उसका भू.पू.पति पोर्नोग्राफिक सामग्री का इस्तेमाल करके उसे आतंकित रखता था और बलात्कार करता था।
कमीशन के सामने यह भी तथ्य सामने आया कि अमेरिकी की प्लेबॉय नामक मैगजीन का पोर्न के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान है। अनेक औरतों को मैथुन के नाम पर जिस तरह की अप्राकृतिक क्रियाओं और कामुक हरकतों को करना पड़ता था उसका मूल स्रोत यही पत्रिका रही है और इसके अंदर छिपे चित्रों के आधार पर औरतों को चित्रों में दरशायी बर्बर और आत्मघाती सेक्स क्रियाओं को करने के लिए मजबूर किया जाता था। अनेक औरतों ने कमीशन को बताया कि उन्हें पहले जमकर शराब पिलायी जाती थी, अन्य नशे की चीजें खिलायी जाती थीं और उसके बाद आक्रामक और हिंसक सेक्स करने के लिए बाध्य किया जाता था।
कहने का तात्पर्य यह कि औरत को पोर्न सामग्री दिखाकर तदनुरूप सेक्स करने के लिए बाध्य करना जुर्म है,बलात्कार है। इसे कामुक सुख नहीं कह सकते यह पाशविक वृत्ति है। अपराध है।
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