(जॉन स्टुअर्ट मिल की सहलेखिका और पत्नी हेरियट टेलर)
जॉन स्टुअर्ट मिल की कई किताबें हिन्दी के बाजार में अनुदित होकर आयी हैं। मजेदार बात यह है कि मिल के बारे में जितनी जानकारी हमें उनकी किताबों से मिलती है उससे भी कम जानकारी हिन्दी के अनुवाद और विद्वान संपादक लोग देते हैं। ऐसा ही एक प्रसंग अचानक अभी मेरी आंखों के सामने से गुजरा है।
हिन्दी में मिल की किताब ‘स्त्रियों की पराधीनता’ का प्रगति सक्सेना द्वारा किया गया अनुवाद 2002 में आया था। यह अनुवाद बहुत अच्छा है और किताब भी महत्वपूर्ण है। इस किताब श्रृंखला के संपादक द्वय इसके लिए बधाई के हकदार हैं। लेकिन इस किताब की भूमिका में कई तथ्यपरक भूलें हैं। जिन्हें दुरूस्त करना बेहद जरूरी हैं। खासकर संपादक द्वय ने हेरियट टेलर और जॉन स्टुअर्ट मिल के बारे में सटीक जानकारी नहीं दी है, इस जानकारी न देने के पीछे वस्तुगत कारण हो सकते हैं,लेकिन इंटरनेट के युग में सटीक जानकारी का अभाव नहीं है।
भूमिका में कात्यायनी और सत्यम ने लिखा है कि मिल ने ‘‘ स्वयं स्वीकार किया है कि राजनीतिक अर्थशास्त्र के क्षेत्र में अपनी धारणाओं और अवधारणाओं के निर्माण में उन्हें हेरियट से काफी मदद मिली।’’ मामला सिर्फ मदद का नहीं है।
तथ्य बताते हैं कि सन् 1848 में जॉन स्टुअर्ट मिल की किताब ‘प्रिंसिपल्स ऑफ पॉलिटिकल इकोनोमी’ प्रकाशित हुई थी। मिल की योजना थी कि इस किताब में हेरियट टेलर की जो भूमिका रही है उसका विवरण और ब्यौरा दिया जाए। क्योंकि इस पुस्तक के निर्माण में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। लेकिन ज्यों ही श्रीमती टेलर को इसके बारे में बताया गया उन्होंने विरोध किया,फलतः उनकी पत्नी का संदर्भ किताब से हटा दिया गया। मिल अपनी आत्मकथा में लिखा है यह किताब ‘‘मेरी पत्नी के साथ संयुक्त लेखन है। उन्हीं के शव्दों में “a joint production with my wife.”।
मिल ने जो आत्मकथा लिखी थी उसे हेरियट टेलर ने पढ़ा था और उस पर व्यापक टिप्पणियां भी लिखी थीं। यानी मिल की आत्मकथा में जो कुछ लिखा गया वह टेलर की जानकारी और व्यापक सहमति के साथ लिखा गया था।
मिल ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि मेरे नाम से छपी अधिकांश किताबों और लेखों की सहलेखिका हेरियट टेलर हैं। मिल ने लिखा है ‘‘ जब दो व्यक्तियों के विचार और अनुमान पूरी तरह मिलते हों,साझा हों,तो इसका मौलिकता के साथ बहुत संबंध नहीं रह जाता है। किसने पेन से लिखा यह बात गौण हो जाती है।’’
हेरियट टेलर और उनके लिखे के बारे में अभी हम बहुत कम जानते हैं लेकिन जितना जानते हैं उससे पता चलता है कि हेरियट टेलर की 18 साल की उम्र में सम्पन्न व्यापारी जॉन टेलर के साथ शादी हुई थी। कुछ ही सालों में हेरियट के 3 बच्चे हुए। दोनों सक्रिय सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता थे।
सन् 1830 के आसपास जॉन स्टुअर्ट मिल से हेरियट टेलर की मुलाकात होती है। यहीं से मिल के प्रति उनमें आकर्षण पैदा होता है जो धीरे धीरे प्रगाढ़ होता चला गया। मिल ने उनसे समानता के आधार पर व्यवहार किया जिसने उन्हें प्रभावित किया।
दूसरी ओर हेरियट के अपने पति के साथ संबंध खराब होते चले गए और सन् 1833 में दोनों ने सहमति से अलग रहने का फैसला ले लिया। हेरियट अलग रहने लगीं। वे जब अलग रहती थीं उनसे प्रति सप्ताहान्त में जॉन स्टुअर्ट मिल मिलने जाते थे।
हेरियट के पति जॉन टेलर की 3 मई 1849 में कैंसर से मृत्यु हुई। मिल ने लिखा है कि टेलर के मन में झिझक थी कि उसका नाम मेरी किताबों पर संयुक्त लेखक के रूप में दिया जाए,जबकि अनेक रचनाएं ऐसी थीं जो टेलर ने लिखी थीं लेकिन प्रकाशित मिल के नाम से हुईं।
हेरियट टेलर और मिल दोनों जब टीवी से पीडित थे तो इलाज के लिए फ्रांस गए थे और उस समय वे दोनों ‘स्त्रियों की पराधीनता’ पर साझा काम कर रहे थे। लेकिन बाच में ही टेलर की मृत्यु हो गयी। टेलर की मृत्यु के बाद उनकी बेटी हेलन ने जॉन स्टुअर्ट मिल की इस किताब को लिखने में मदद की थी। वे दोनों 15 सालों तक इस किताब पर काम करते रहे। इसके बाद यह किताब बाजार में आई।
‘स्त्रियों की पराधीनता’ के बारे में मिल ने लिखा है कि ‘‘आज के बाद कभी भी कोई मेरे काम के बारे में विचार करे तो उसे यह बात कभी नहीं भूलनी चाहिए कि यह एक व्यक्ति की बुद्धि और चेतना की देन नहीं है बल्कि तीन की देन है। इसमें किसकी कितनी भूमिका है और कितना मौलिक है, और किसका नाम लेखक के रूप में छप रहा है, यह ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है।’’ हेरियट टेलर की बेटी हेलन टेलर बाद में ब्रिटेन की विख्यात महिला अधिकारों की हितैषी बनी।
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