शनिवार, 26 जून 2010

मानवाधिकार हनन है पोर्नोग्राफी

      सामान्य तौर पर पोर्नोग्राफी के बारे में हमारी समझ मीडिया प्रचार से बनती रही है। मीडिया प्रचार ने पोर्नोग्राफी को मनोरंजन की सामग्री के रूप में चित्रित किया है। भारतीय दण्ड संहिता के तहत अन्य अपराधों की तरह यह सामान्य अपराध है। लेकिन मामला इतना सरल नहीं है। पोर्नोग्राफी गंभीर अपराध है ,यह स्त्री के मानवाधिकारों का उल्लंघन है। इसे सामान्य अपराध के रूप में नहीं देखना चाहिए।
      पोर्नोग्राफी इस बात का भी प्रमाण है कि असीमित मुनाफों को हासिल करने के लिए पूंजीपतिवर्ग किसी भी हद तक जाकर मानवाधिकारों का हनन कर सकता है। पोर्नोग्राफी का धंधा कारपोरेट पूंजी का धंधा है। यह छोटी पूंजी का खेल नहीं है। पोर्नोग्राफी का दायरा पोर्न वीडियो से लेकर मुद्रित पोर्न किताबों,पत्रिकाओं और वीडियो गेम तक फैला हुआ है। संस्कृति उद्योग की आय का आज पोर्नोग्राफी प्रमुख क्षेत्र है। अमेरिका पोर्नोग्राफी का प्रमुख केन्द्र है।
     अमेरिका से बहने वाली पोर्न की अबाधित धाराओं ने आज अपनी पकड़ में सारी दुनिया को ले लिया है। पोर्न के मानवविरोधी,स्त्री विरोधी और उससे भी बढ़कर मानवाधिकार विरोधी स्वरूप का अमेरिका की प्रसिद्ध फेमिनिस्ट नेत्री आंद्रिया द्रोकिन ने गंभीरता से उद्घाटन किया था। यह बयान उन्होंने अमेरिका में पोर्न के बारे में बनाए गए एटोर्नी जनरल कमीशन के सामने दिया था।  
     इस कमीशन में गवाही के रूप में द्रोकिन ने जो बयान दिया उसे पोर्नोग्राफी के खिलाफ सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज माना जाता है। यहां हम उस बयान को हिन्दी में अविकल दे रहे हैं जिससे हम पोर्न के खिलाफ सही नजरिए के तहत एकजुट हो सकें। इस बयान का हिन्दी अनुवाद कलकत्ता विश्वविद्यालय की शोध छात्रा विजया सिंह ने किया है।
पोर्न के खिलाफ आंद्रिया द्रोकिन ने कहा -

मेरा नाम आंद्रिया द्रोकिन है। मैं अमेरिका (युनाइटेड स्टेट्स) की नागरिक हूँ। इस देश में, जहाँ मैं रहती हूँ, हर वर्ष लाखों फिल्में हम स्त्रियों के पैरों के बीच के कामुक, यौन दृश्यों पर बनाई जाती हैं। हमें बीवर (उद्बिलाव), योनि कहा जाता है। हमारे जननांगों को बाँध कर चिपका दिया जाता है, जननांगों को सजाकर इस प्रकार पेश किया जाता है कि वे पुरुष दर्शकों के सामने अधिक उभर कर आएँ। लाखों-लाख तस्वीरों में हमें अत्यंत विनीत मुद्रा में समर्पण करते हुए मैथुन क्रिया में लिप्त दिखाया जाता है, जहाँ हमारे जननांग भेदन के लिए खुले होते हैं, हमारे मलद्वारों को भी भेद्य बना दिया जाता है, हमारे गले का उपयोग इस तरह किया जाता है मानो वे हमारे जननांग हों। इस देश में, जहाँ कि मैं नागरिक हूँ, वास्तविक बलात्कार फिल्मों में होते हैं जो बाज़ार में बेचे जाते हैं। इस पोर्नोग्राफी का मुख्य उद्देश्य बलात्कार की शिकार, अवमानित, अपमानित स्त्री द्वारा मनोरंजन प्रदान करना है। यह तब तक चलता रहता है जब तक हम यह न समझ लें कि हमें यह पसंद हैं और हमें इसकी ज्यादा जरूरत है।
     इस देश में, जहाँ मेरी रहनवारी है, औरतों के जननांगों में पशुओं के जननांग व वस्तुओं को घुसेड़ कर जन-मनोरंजन का उपक्रम किया जाता है, स्त्रियों पर मूत्र-त्याग किया जाता है, उन्हें विकारग्रस्त बनाया जाता है। इस क्रम में हेर-फेर के लिए महिलाओं एवं युवा लड़कियों दोनों का उपयोग किया जाता हैं ताकि जवान होती लड़कियों को पाँच-छ: वर्ष के बच्चे की तरह दिखाया जा सके जो खिलौनों से घिरी होती हैं। मुख्यधारा के पोर्नोग्राफी से जुड़े प्रकाशनों में मलद्वार-भेदन को प्रमुख रूप से प्रस्तुत किया जाता है। कई पत्रिकाएँ ऐसी भी है जिनमें युवा औरतों के जननांगों को रोमरहित दिखाया जाता है जिससे कि वे बिल्कुल बच्चों के जननांगों के समान दिखें।
      जिस देश की मैं नागरिक हूँ, वहाँ पोर्नोग्राफी एक व्यापार है जो शारीरिक तथा मानसिक रूप से अपाहिज औरतों के शोषण पर आधारित है। जो स्त्रियाँ पंगु हैं उन्हें भी कामुक उत्तेजना के इस कारोबार में शामिल किया गया है। पुरुषों की असामान्य लैंगिक इच्छाओं को तृप्त करने के लिए विकलांग स्त्रियों का इस्तेमाल इस विशाल धंधे (नेटवर्क) में किया जाता है। इस देश में जातिवाद भी एक व्यापार है जिसका उपयोग यौन आनंद के लिए किया जाता है। काली स्त्रियों के प्रति दास भाव व औपनिवेशिक मानसिकता का मुख्य आधार वस्तुत: लैंगिक परितुष्टि से जुड़ा हुआ है। मात्र काला होना ही उनके दुरुपयोग, बलात्कार और अन्यान्य तकलीफों का कारण बनता है। यहाँ काली त्वचा ही स्त्री का जननांग-रूप है। अत: सामान्यतया जिस हिंसा, दुर्व्यवहार एवं दमन का केन्द्र स्त्री का जननांग होता है वही उस काली चमड़ी की औरत को पोर्नोग्राफी में झेलना पड़ता है।
       एशिया की औरतें इस देश में पेड़ों से बाँध दी जाती हैं, छतों से टाँग दी जाती हैं, द्वार पर लटका दी जाती है और यह भी सार्वजनिक मनोरंजन का एक रूप है। यहाँ के इतिहास में, यातनाशिविर के रुप में पोर्नोग्राफी है। जहाँ खेमो में एकाग्रता के नाम पर जारी क्रूरता को पीड़ित स्त्री के सेक्सुअल आनंद, तीव्र उत्तेजना और कामुक संतुष्टि का नाम दे दिया गया है।
        यहाँ पोर्नोग्राफी की प्रत्येक विधि का इस्तेमाल स्त्री का शोषण व अपमान करने के लिए किया जाता है। दूसरी ओर इसे दर्शक तथा भोक्ता के कामुक आनंद के रूप में प्रस्तुत भी किया जाता है। औरतों को, उनके चेहरे को गंदगी, कीचड़, रंग, खून, वीर्य से ढ़ँक दिया जाता है ताकि दर्शक एवं पीड़क दोनों को सेक्सुअल आनंद मिल सके, यही नहीं स्त्री की हत्या से मिलनेवाले काम सुख के लिए उनकी हत्या भी कर दी जाती है। और यह सब कुछ होता रहता है क्योंकि इसमें मस्ती है, मज़ा है, मनोरंजन है, आनंद है, और कईयों के अनुसार स्वतंत्रता भी है।
        सचमुच यह उन लोगों के लिए स्वाधीनता है जो इसे करते है, मनोरंजन का साधन बनाते हैं। लेकिन हमारे विश्वास में यह लाने की कोशिश भी की जा रही है कि पोर्नोग्राफी में पीड़ित भी स्वतंत्र है।
        इस मनोरंजन के साधन को किसी अन्य स्त्री पर आजमाया जाता है, जो पोर्नोग्राफी के धंधे में लिप्त नहीं है। पोर्नोग्राफी के क्रियाकलापों की नकल उतारने के लिए उसे वेश्यावृत्ति में जबरन लाया जाता है। जो स्त्रियाँ पोर्नोग्राफी से जुड़ी है उनमें 65-70 प्रतिशत पारिवारिक कामुक हिंसाचार या बचपन में यौन दुर्व्यवहार की शिकार होती है। वे मूलत: गरीब महिलाएँ है जिनके लिए विकास का कोई अवसर नहीं होता। वे अक्सर त्रासद परिस्थितियों में घर से बाहर निकलती हैं और दलालों का षिकार बनती हैं। लगातार बलात्कार कर इन पर फिल्में बनाई जाती हैं तथा ब्लैकमेल करके इन्हें वेश्यावृत्ति में फँसाकर रखा जाता है। कामुक उत्तेजना का वेश्याओं पर इस्तेमाल उन व्यक्तियों (जॉन नामक टिपिकल अंग्रेज पुरुष चरित्र) द्वारा किया जाता है जो इन क्रियाकलापों का प्रतिरूप पोर्नोग्राफी के माध्यम से प्रस्तुत करते है। फिर चाहे यह कितना भी हानिकारक क्यों न हो।
         पोर्नोग्राफी में बलात्कार पूरी योजना के तहत होता है। इसमें प्रत्येक चरण, भाव-भंगिमा, आसन यानि कि क्रियान्वयन के सभी रूप तय होते हैं जो क्रमवार ढ़ंग से पूर्ण उत्तेजना उत्पन्न करने में सक्षम होते हैं। स्त्री के सामूहिक बलात्कार में पोर्नोग्राफी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। 'डीप थ्रोट' कार्यक्रम आने के बाद थ्रोट रेप जैसी घटनाएँ और भी बढ़ी हैं। ऐसे उपक्रमों द्वारा पुरुष के इस विश्वास की पुष्टि होती है कि वह स्त्री को गहरे भेद सकता है, उसके बिल्कुल अंदर प्रवेश कर सकता है। पोर्नोग्राफी से उपजे असामान्य व्यवहारों ने औरतों के खिलाफ हिंसक अपराधों को जन्म दिया है। ऐसे कुकृत्य स्त्री के प्रति गुलाम मानसिकता व उन्हें प्रताड़ित करने की प्रवृत्ति से प्रेरित होते हैं।
       हमने विगत आठ वर्षों में देखा है कि बलात्कार के दौरान कैमरे के इस्तेमाल में वृद्धि हुई है। कैमरे द्वारा उतारे गए बलात्कार के दृश्य त्वरित वेग से बाज़ार में उपलब्ध होते हैं। यह ही असली रेप है जो छुपे, नितांत एकायामी आनंद के रूप में सामने आता है। औरतों का उत्पीड़न हर जगह हो रहा है, गैर पारंपरिक रोजगार के क्षेत्र में, शिक्षा में, घर में। घर के भयप्रद, असुरक्षित, आज्ञाकारी परिवेश में महिलाएँ सबसे ज्यादा हिंसा की शिकार होती हैं। पोर्नोग्राफी का इस्तेमाल बच्चों पर भी किया जाता है ताकि उनका तीव्र अनुकूलन किया जा सके। ऐसा उन स्थानों पर अधिक होता है जहाँ दूसरी जगहों से आकर बस गए लोग अपनी इच्छा पूर्ति के लिए पास-पड़ोस के बच्चों व स्त्रियों पर वाचिक, शारीरिक हमले करते हैं।
       पोर्नोग्राफी ने बलात्कार में लाभ का नया आयाम भी जोड़ दिया है। कैमरे में कैद रेप के दृश्य 'प्रोटेक्टेड स्पीच' के रुप में होते है, पीड़िता हमेशा मूक होती है। वहां केवल आनंद प्रधान होता है। यही कारण है पोर्नोग्राफी से संलग्न क्रमिक हत्याओं व पोर्नोग्राफी के प्रति बढ़ती बाल अभिरुचि का।
       गौरतलब है कि बलात्कारी की औसत आयु घट रही है। अब प्राथमिक स्कूलों में भी छात्रों द्वारा नकल उतारने के क्रम में सामूहिक बलात्कार की घटनाएँ घट रही हैं। मृत्यु के बाद शव से बलात्कार करने की बीमारी में इजाफा हुआ है। इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति हत्या करने के उपरांत मृत स्त्री से सेक्स करता है।
       आज पोर्नोग्राफी एक बड़ा व्यापार है, महिला उत्पीड़न, वस्तुकरण मन बहलाव के साधन भर हैं- इस अर्थ में हम कहीं ज्यादा अमानवीय हो गए हैं। स्त्रियों को मनुष्य ही नहीं मानना उनके विरूद्ध हिंसा के औचित्य को समर्थन देना है।
       मैं उस देश की नागरिक हूँ जहाँ आप यदि किसी प्रताड़ित स्त्री पर फिल्म बनाते हैं तो उसका दुगुना मूल्य पाते हैं।पहला, मनोरंजन दूसरा, प्रोटेक्टेड स्पीच (पुंस सत्ता के समर्थन में)। इन्हीं बातों से मुझे पता चलता है कि इस देश में स्त्री नागरिक होने का क्या अर्थ है, दोयम दर्जे के मनुष्य होने का क्या मतलब है?
       जब आपका बलात्कार किसी का मन बहलाव भर हो, आप असीमित मूल्यहीनता के शिकार हो जाते हैं। आप सामाजिक मूल्यहीनता के निम्नतम पायदान पर खड़े होते हैं। स्त्री के नागरिक जीवन पर पोर्नोग्राफी का असर अचम्भे में डालने वाला है। यह हमें गूँगा, आज्ञाकारी बनाता है, अपने आसपास के प्रति भयभीत रखता है, व्यापक अवसाद, निराशा और असंतुष्टि का सृजन करता है। स्त्री का पूरा जीवन सेक्सुअल आतंक के दु:स्वप्न में बीतता है। यही उसका यथार्थ और उसकी शक्ति है। आप यह जानकर कितने खुश होंगे कि आपके दु:स्वप्न किसी के लिए स्वतंत्र तानाशाही का माध्यम हैं तो किसी के लिए महज़ वक्ती मस्ती के लिए समय बीताने का जरिया।
       सबसे पहले मैं चाहती हूँ कि आप उन औरतों को सुनें जो अपनी आपबीती कहना चाहती हैं। कृपया उन्हें सुने। वे जानती हैं, वे जानती हैं कि यह कैसे कार्य करता है...उनके साथ यह सब घटित हुआ है।
      मैं माँग करती हूँ कि आप इस अंतर्राष्ट्रीय सचाई को स्वीकार करें-यह मानवाधिकार का मुद्दा है-इसका नितांत व्यक्तिगत कारण भी है, जिसके लिए मेरे दादा-दादी, नाना-नानी यहाँ आए हुए हैं, यहूदी रूस और हंगरी से भाग खड़े हुए हैं। जो इस देश में नहीं पहुँच पाए उन्हें या तो जनसंहार में मार गिराया गया या नाज़ियों ने उन्हें मार दिया। वे यहाँ मेरे लिए आए थे। मैं यहाँ रहती हूँ, इस देश में जहाँ मनोरंजन व लाभ के लिए महिलाएँ लगातार उत्पीड़न झेल रहीं हैं। इसमें राज्य की स्वायत्त व्यवस्था भी अधिकारिक रूप में शामिल है। अब यह असहनीय है।
       मैं चाहती हूँ कि आप शोषितों की मदद करें न कि शोषकों की। आपके पास विपुल अवसर हैं। कामना करती हूँ कि आप साहसी बनें, अपनी इच्छा और प्रयास से स्त्री को बंधन मुक्त करें। उसे जबरिया ठूसी गई वर्जनाओं से आजाद करें। जो हो सके करें ताकि वह सचमुच स्वाधीन हो सके।







3 टिप्‍पणियां:

  1. AAP ITNI JANKARIYAN DE GAYE
    LAGTA HAI KI AAPNE APNE JEEVAN MEIN BAHUT BAR DEKHA HAI XXX VIDEOS GANG RAPE VIDEOS
    PURUS KAMAVEG KA DAMAN KAR HI NAHEEN SAKTA
    JO DEKHA ACHCHHA DEKHA

    DEKHNE KI CHEEZ THI NA???????
    HA HA HA

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  2. AAP ITNI JANKARIYAN DE GAYE
    LAGTA HAI KI AAPNE APNE JEEVAN MEIN BAHUT BAR DEKHA HAI XXX VIDEOS GANG RAPE VIDEOS
    PURUS KAMAVEG KA DAMAN KAR HI NAHEEN SAKTA
    JO DEKHA ACHCHHA DEKHA

    DEKHNE KI CHEEZ THI NA???????
    HA HA HA

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  3. AAP ITNI JANKARIYAN DE GAYE
    LAGTA HAI KI AAPNE APNE JEEVAN MEIN BAHUT BAR DEKHA HAI XXX VIDEOS GANG RAPE VIDEOS
    PURUS KAMAVEG KA DAMAN KAR HI NAHEEN SAKTA
    JO DEKHA ACHCHHA DEKHA

    DEKHNE KI CHEEZ THI NA???????
    HA HA HA

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