(माइकल जैक्सन)
आज माइकल की मौत को एक साल हो गया है और इस एक साल में मीडिया में उसकी मौत के बारे में जितनी भी अफवाहें उड़ायी थीं वे गायब हैं और मीडिया के महासमुद्र में उसका संगीत बचा रह गया है। आओ याद करें कि एक साल पहले क्या हुआ था।
माइकल जैक्सन को जिस समय लॉस एंजिल्स के स्टेपल्स सेंटर के फॉरेस्ट लॉन के कब्रिस्तान में कल दफनाया गया तो उसके करोड़ों चाहने वाले टीवी चैनलों के जरिए लाइव प्रसारण देख रहे थे। लॉस एंजिल्स के सामयिक इतिहास की ही नहीं टेलीविजन इतिहास का यह ऐतिहासिक प्रसारण था। अंतिम संस्कार के समय समूचा जैक्सन परिवार मौजूद था। माइकल जैक्सन की अचानक मौत को अभी तक उनके परिवारीजन और अनुयायी स्वीकार नहीं कर पाए हैं।
माइकल जैक्सन जैसे महान प्रतिभाशाली कलाकार कम पैदा होते हैं। बीथोबिन के बाद का माकइल को सबसे बडा संगीतकार कहा जा सकता है। बीथोबिन ने अपने संगीत के जरिए देश की सीमाओं का अतिक्रमण करके प्रभाव पैदा किया था उससे कई गुना ज्यादा माइकल ने प्रभावित किया।
माइकल जैक्सन साधारण मजदूर परिवार में पैदा हुआ और एक काले इस्पात मजदूर के घर जिस तरह के अभाव ,कष्ट और दुख हो सकते हैं उनमें ही बड़ा हुआ। माइकल जैक्सन का मानसिक गठन मजदूर जैसा था,जिस तरह मजदूर सारी जिंदगी सृजन करता है और रचते हुए मर जाता है वैसे ही माइकल भी सारी जिंदगी रचते रचते मर गया। जैसे मजदूर दूसरों के लिए पैदा करता है, वैसे ही माइकल ने दूसरों के लिए पैदा किया। एक आदर्श मजदूर के समस्त गुणों और मूल्यों का माइकल के व्यक्तित्व में सहज प्रतिबिम्बन मिलता है। माइकल ने अपने संगीत और नृत्य के जरिए सारी दुनिया को आनंद और प्रेम का संदेश दिया। साधारण मनुष्य से असाधारण व्यक्तित्व का दर्जा प्राप्त किया। माइकल के योगदान के बारे में सिर्फ पॉप संगीत के संदर्भ में ही विचार नहीं किया जाना चाहिए।
माइकल जैक्सन ने आनंद और सिर्फ आनंद की संस्कृति का ऐसा मायाजाल बुना जिसमें जाने के बाद बाहर आना संभव नहीं था। संगीत के ऐन्द्रजालिक की तरह माइकल जैक्सन सबको लुभाता और आनंदित करता था। उसे गाते और नाचते देखना स्वयं को नाचते और गाते हुए देखना था। वह जब भी मंच पर लाइव शो करता था तो दर्शक कभी अपने को उससे अलग करके नहीं देखते थे। यह कैसे संभव हुआ कि एक कलाकार,गायक, संगीतकार और नर्तक अपने दर्शकों के साथ एकाकार हो गया। साधारणीकरण का वह आदर्श प्रिफार्मर था।
माइकल ने गोरों ,अमीरों और घृणा के संसार में मनुष्य के प्रेम को सर्वोपरि दर्जा दिलाया, मुनाफे में डूबे संसार को प्रेम के संदेश से सराबोर किया ,प्रेम का इतना बड़ा गायक अभी तक पृथ्वी पर अन्य कोई नहीं हुआ है। प्रेम ही महान है और प्रेम ही मनुष्य की सबसे बड़ी शक्ति और संपदा है,प्रेम के आगे सबकुछ नश्वर है। प्रेम के महाख्यान को उसने परवर्ती पूंजीवाद के महाख्यान के विकल्प के रूप में सारी दुनिया के सामने पेश किया और सारी दुनिया का कंठहार बन गया। जिस तरह सारी दुनिया में कार्ल मार्क्स ने जाति,धर्म,नस्ल, राष्ट्र ,वर्ग आदि की सीमाओं का अतिक्रमण करके प्रभावित किया था वैसे ही माइकल जैक्सन ने भी अपने संगीत और नृत्य की विलक्षण प्रतिभा से सारी दुनिया को प्रभावित किया।
यह सही है कि माइकल पॉप गायकी का सम्राट था, किंतु किसी और पॉप गायक को वह सफलता नहीं मिली जो माइकल को मिली, माइकल ने अपने को पॉप का महानायक बनाया साथ ही सारी दुनिया में जीवनशैली, स्टाइल, आनंद,प्रेम और संगीत का पर्याय बना डाला। माइकल ने गीत और नृत्य के जरिए मनुष्य के अस्तित्व और सामाजिक अस्तित्व की रक्षा के भावों और अजस्र शक्ति को कलात्मक अभिव्यक्ति दी।
जिस समय अमेरिकी समाज अलगाव में डूबा हुआ था,आदमी का एक दूसरे पर भरोसा उठ गया था,सारी दुनिया में युद्धपंथी ताकतों ने अपने पंख फैला दिए थे,खासकर अमरीका के सैन्य उद्योग ने सारी दुनिया को बर्बरता के सागर में डुबो देने के लिए कोई कसर नहीं छोडी और परिवार जैसी संस्था खतरे में पड़ गयी ऐसे में माइकल के संगीत ने मनुष्य की सत्ता और महत्ता के साथ युद्ध और शोषण के विकल्प के रूप में प्रेम के संदेश का प्रचार किया। प्रेम का इतना बडा सर्जक मानव सभ्यता के इतिहास में अब तक पैदा नहीं हुआ। कोई देश और कोई भाषा नहीं है जिसे माइकल जैक्सन ने प्रभावित न किया हो।
संगीत ,गीत ,नृत्य और जीवनशैली का वह महानायक था, वह जैसा था लोग वैसा ही दिखना चाहते थे, वह जैसे नाचता था उसके चाहने वाले वैसे ही नाचते हैं,वह जैसा गाता था वैसा ही गाते हैं,वह जैसे कपड़े पहनता था वैसे ही कपड़े पहनते हैं,वह जिस आनंद और प्रेम के भाव में रहता था उसके अनुयायी भी उसी भाव में जीते हैं । प्रेम और अनुगामी भाव का वह महान जादूगर था।
प्रेम में सारी दुनिया को जीतने,लुभाने और अपने बस में करने की शक्ति है यही मूल संदेश है जो माइकल जैक्सन हमें देता है। माइकल जैक्सन सामान्य मनुष्य था उसके अंदर मानवीयता कूट कूटकर भरी हुई थी उसमें गरीबों के प्रति प्रेम और पीडा दोनों थी इस पीडा को कम करने के लिए माइकेल ने जितने चैरिटी शो किए उतने आज तक किसी भी कलाकार ने नहीं किए हैं। उसके शो का लक्ष्य हमेशा कोई न कोई मानवीय विपदा ही होती थी।
कारपोरेट मीडिया जिस तरह विगत चालीस सालों में घृणा बांटता रहा है इसके विपरीत माइकल जैक्सन को रखकर देखें तों पता चलेगा कि कारपोरेट मीडिया ने प्रेम के संदेश के महान गायक को भी निर्मित किया है। कारपोरेट मीडिया घरानों के बिना माइकल के अस्तित्व की कल्पना नहीं की जा सकती। संस्कृति उद्योग का महानायक उसे कारपोरेट जगत ने ही बनाया। कारपोरेट घरानों के लिए वह अपार मुनाफे की खान था तो गरीबों और शोषितों के लिए प्रतिवाद और प्रेम का स्वर था।
माइकल की समस्त सहानुभूति कारपोरेट घरानों के खिलाफ थी उसका मन,वचन और कर्म गरीबों और वंचितों के भाग्य से बंधा था, जिस तरह मजदूर सारी जिंदगी पैदा करते हुए,सर्जन करते हुए अंत में अभाव और कर्ज में मरता है ठीक वैसा ही हादसा माइकल के साथ भी हुआ। माइकल जब मरा तो वह कर्ज में आकंठ डूबा हुआ था। उसके पास संपत्ति के नाम पर सिर्फ संगीत था और कुछ नहीं था,अपने प्रत्येक शो के लिए सबसे ज्यादा भुगतान लेने वाला कलाकार अंत में कर्ज में मरेगा यह कोई सोच नहीं सकता है। माइकल की मौत वर्गीय मौत है। वह अभाव में पैदा हुआ था और अभाव और कर्ज में ही मरा। उसके द्वारा पैदा किया गया सारा वैभव कहां चला गया यह फिर कभी।
जिस तरह प्रत्येक रचनाकार,साहित्यकार,संगीतकार,शिल्पी के जीवन में अनेक उतार चढ़ाव आते हैं वैसे ही माइकल के जीवन में अनेक उतार चढ़ाव आए और उनमें उसे लांछित और अपमानित तक करने की कोशिश की गयी यहां तक कि उस पर बच्चों के साथ कामुक शोषण तक का आरोप लगा किंतु कोई भी आरोप सिद्ध नहीं हो पाया। माइकल के जीवन से बहुत कुछ सीखने और बहुत कुछ त्यागने की भी जरूरत है। सीखने और त्यागने का मंत्र प्रत्येक रचनाकार और संस्कृतिकर्मी पर लागू होता है।
माइकल जैक्सन परवर्ती पूंजीवाद के जीवन मूल्यों का आदर्श नायक था,परवर्ती पूंजीवाद हमारे जीवन में क्या चाहता है और किस तरह की संस्कृति और सभ्यता पैदा करना चाहता है उस सबकी आदर्श प्रयोगशाली थी माइकल जैक्सन की जिंदगी। माइकल जैक्सन के जिन तीन बच्चों को लेकर इतनी चर्चा हो रही है उनमें से दो बच्चे ऐसे भी हैं जिनकी कोई मॉ नहीं है,जैक्सन ने बाकायदा कोख किराए पर लेकर दो बच्चों को जन्म दिया और जिस महिला ने उन बच्चों को पैदा किया था उसे उसने बदले में 9 मिलियन डालर का भुगतान किया और लिखवा लिया कि उसका इन बच्चों से कोई संबंध नहीं है। यही वजह है कि इन बच्चों के मॉ के कॉलम में किसी मॉ का नाम नहीं लिखा है। मॉ की जगह लिखा है कोई नहीं।
माइकल की जिंदगी और शरीर उसका अपना नहीं था बल्कि दूसरों का था उसके शरीर पर उसका नहीं कारपोरेट मुनाफाखोरों का कब्जा था, उसने कितनी बार अपनी प्लास्टिक सर्जरी करायी और अपने रंग को तब्दील किया यह कोई नहीं जानता। माइकल ने प्लास्टिक सर्जरी उद्योग और किराए की कोख लेकर बच्चे पैदा करने वाली सभ्यता की आधारशिला को मजबूती प्रदान की।
माइकल का शरीर और मन त्रासदी और दुखों की खान था, कारपोरेट घरानों का आदर्श नायक बनने के चक्कर में उसके शरीर के प्रत्येक हिस्से का रंग रूप और हुलिया बदल गया। जैक्सन में अपनी त्वचा और पहचान के कायिक स्वरूप को बदलने और निरंतर बदलते रहने की जो आदत थी वह कास्मेटिक उद्योग की अपनी निजी विशेषता है जिसे उसने अपने जीवन का सामान्य छंद बना लिया था।
टेलीविजन संगीत के नए प्रतीक के रूप में माइकल ने एमटीवी को इमेज प्रदान की। नस्ल,सेक्स और लिंग की सीमाओं का अपने व्यवहार से अतिक्रमण किया। संगीत चैनलों का पॉप संगीत आज पर्याय बन चुका है। माइकल जैक्सन को 'ट्रांस' यानी रूपान्तरण की संस्कृति का नायक कहना ज्यादा सही होगा। जो लोग रूपान्तरण में विश्वास करते हैं उनके लिए वह आदर्श है। बार बार यह बात मीडिया में आ रही है कि आखिरकार माइकल को गंभीर नशीली दवाओं की आदत किसने डाली वह डाक्टर कौन है जिसने यह आदत डाली, असल में माइकल की यह आदत डाक्टर की नहीं नशीले पदार्थ बनाकर बेचने वाले ड्रग उद्योग की देन है। माइकल ने अवसाद से मुक्ति के नायक के रूप में नशीले पदार्थों के सेवन को चरमोत्कर्ष पर ले जाकर छोडा है।
पॉप संस्कृति और नशीले पदार्थों का निर्माण करने वाली कंपनियों के बीच में गहरा संबंध है, नशीला उद्योग आज अमरीका की सबसे बडी वास्तविकता है स्थिति यहां तक बदतर हो चुकी है कि राष्ट्रपति ओबामा तक को नशीले पदार्थों के पक्ष में बयानबाजी करनी पड रही है। परवर्ती पूंजीवाद में यह संभव नहीं है कि राजनीति और संस्कृति उद्योग के क्षेत्र में आप शिखर पर जाना चाहें और नशीले पदार्थों के सेवन की हिमायत न करें।
नशीले पदार्थों का निर्माण करने वाली बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियां चाहती हैं कि पॉप नायक उनके नशीले मालों का सेवन करें और प्रचार करें। उल्लेखनीय है अधिकांश पॉप गायक नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं। खासकर सैलेबरेटी लोगों में नशीले पदार्थों का सेवन ही है जो इन पदार्थों के विज्ञापन का काम करता है। नशीले पदार्थ कभी विज्ञापित नहीं किए जाते इसके बावजूद उनकी खपत लगातार बढती जा रही है।
सवाल उठता है कि पॉप संगीत और नशीले पदार्थों की खपत के बीच में क्या संबंध है। संगीत और नशे का रिश्ता पॉप ने बनाया और इसे ड्रग इण्डस्ट्री ने फाईनेंस किया। यही कंपनियां है जिनका सैन्य उद्योग और मीडिया उद्योग से गहरा रिश्ता है। अमरीकी सैन्य उद्योग और मीडिया उद्योग ने माइकल और पॉप संगीत को इतना बढावा क्यों दिया, क्या उन्हें अपने लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिली।
माइकल जैक्सन ने अपने जीवन में सबसे सुंदर काम किया गरीबों और वंचितों के लिए संगीत सृजन करके। यह संगीत आज पहचान के रूपान्तरण का सबसे प्रभावशाली औजार है। संगीत के इसी रूपान्तरणकारी औजार ने आज समूचे अमेरिकी अफ्रीकी समुदाय को मुख्यधारा का स्वीकृत हिस्सा बना दिया है।
माइकल की रूपान्तरणकारी शक्ति ने अमरीकी समाज में मिश्रित संस्कृति और मिश्रित नस्ल के व्यापक समाज को जन्म दिया है इस वातावरण ने ओबामा जैसे व्यक्ति को राष्ट्रपति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।
संगीत की रूपान्तरणकारी शक्ति को माइकल पहचानता था, उसकी स्पासंरशिप पर नजर नहीं थी ,उसकी संगीत की रूपान्तरणकारी शक्ति पर नजर थी और उसने इस शक्ति को पहचानकर अफ्रीकी,लैटिनी, और एशियाई बाशिंदों को एक ही धागे में बांधकर संगीत का इतना व्यापक रूपान्तरणकारी रूप तैयार किया जिसकी किसी ने कल्पना तक नहीं की थी। माइकल की शक्ति उसके दुर्गुण अथवा कारपोरेट मुनाफा नहीं है उसकी शक्ति है संगीत।
यह ऐसा संगीत है जो मनुष्य के भेदों को नष्ट करता है। दुर्गुण दुष्टों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं गुण मनुष्य के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। माइकल का बार बार प्लास्टिक सर्जरी कराना स्वयं में त्वचा की अर्थहीनता और त्वचा के आधार पर बनी हुई अस्मिता के खोखलेपन के साथ अस्मिता के भी खोखलेपन को भी उजागर करता है। यह भी संदेश निकलता है कि अस्मिता कोई जड़ चीज नहीं है। उसे भी बदला जा सकता है।
माइकल का संदेश है वंचितों में से आया व्यक्ति चाहे और अपनी पर आमादा हो तो सारी हदें तोड सकता है। मनुष्य की कोई हद नहीं होती। मनुष्य और मनुष्यता का दायरा सीमाहीन होता है,वह कुछ भी कर सकता है कुछ भी बन सकता है। मनुष्य के लिए कुछ भी असंभव नहीं है और मनुष्य के लिए कुछ भी अछूत नहीं है और मनुष्य की सबसे बड़ी शक्ति प्रेम है।
माइकल के जीवन का संदेश है संकट में परिवार को साथ रहना चाहिए। माइकल के प्रत्येक संकट के समय उसका परिवार साथ था। माइकल का प्रिय गाना था जिसे चार्ली चैपलिन ने लिखा जिसका मुखडा था 'जब हृदय टूटे तब भी हंसो' ,यही हंसना और सिर्फ हंसना ही उसकी शक्ति का स्रोत था,वह सबसे ज्यादा कष्ट की अवस्था में भी हंसता था। मौत के सामने भी हंसता था।
माइकल इस बात का प्रतीक है कि परिवार टूटा नहीं है,परिवार के बंधन टूटे नहीं हैं, परिवार निरर्थक नहीं है। माइकल के अंतिम विदाई श्रद्धांजलि समारोह में प्रसिद्ध मॉडल ब्रुक शील्ड ने कहा उसे हंसना और खूब हंसना बेहद पसंद था,वह उन हरकतों को ज्यादा करता था जो हंसाएं। वह मंच पर जीनियस संगीतकार था किंतु व्यक्तिगत जीवन में शर्मीला बच्चा था, फनी,केयरिंग और मानवीय संवेदनाओं से सराबोर था। माइकल के पास विशिष्ट संवेदनशीलता थी। माइकल जैक्सन की मौत पर अमरीकी प्रतिनिधिसभा ने भी शोक प्रस्ताव पास किया और अंतिम विदाई के मौके पर उसके एक सदस्य ने आकर जिस तरह से आख्यान रखा वह देखने और आनंदित करने वाला था। माइकल की लॉस एंजिल्स की श्रद्धांजलि सभा का इस अर्थ में महत्व है कि उसने माइकल जैक्सन के पेशन,कम्पेशन, लव, मनोविनोद और स्टाइल इन सबको एक ही साथ पेश किया ,ये सारी चीजें माइकल के व्यक्तित्व का अभिन्न हिस्सा थीं। एक वक्ता ने अपनी श्रद्धांजलि में कहा माइकल ने सारी दुनिया को प्रेम का संदेश दिया और बदले में सारी दुनिया ने उसे प्रेम किया।
अंत में हमें यह भी सोचना चाहिए कि काले गुलामों में इतनी शक्ति कहां से आयी कि उनके घरों में इतने महान नायक पैदा हुए। बीसवीं सदी काले महानायकों की शताब्दी है।
माइकल जैक्सन के श्रद्धांजलि समारोह की विशेषता थी कि इसके आयोजक बार बार एक ही बात कह रहे थे यह कार्यक्रम किसी पॉप नायक,राजा और महानायक का कार्यक्रम नहीं है यह कार्यक्रम एक भाई,एक पिता,एक मित्र,एक बेटे और एक परिवारीजन का कार्यक्रम है और यही माइकल जैक्सन की सबसे बड़ी पहचान भी थी वह भाई था,पिता था,बेटा था,परिवारीजन था इसके अलावा कुछ भी नहीं था। उसके नृत्य ,दुख और गान सिर्फ उसके थे आनंद दूसरों का था। वह साधारण मजदूर परिवार की जमीन से देखते देखते आकाश तक उठा और फिर उठता चला गया तो फिर नीचे कभी नहीं आया वह सचमुच में नक्षत्र है जिसका कभी क्षय नहीं होगा।
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