बुधवार, 16 जून 2010

मजदूरों का असम्मानजनक जीवन

( प्रोफेसर यू जियान आंग)
        चीन में इन दिनों मजदूरवर्ग हडताल पर है। देश के विभिन्न इलाकों की विभिन्न फैक्ट्रियों से हड़ताल की खबरें आ रही हैं। मजदूरों के हड़ताल पर जाने से सारा देश डरा हुआ है। लोगों का मानना है मजदूरों का इस तरह सड़कों पर आंदोलन करते हुए निकलना सामाजिक अशांति पैदा कर सकता है।
      हाल ही में आल चाईना फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियन ने एक बयान में कहा है कि वह मजदूरों के कानूनी अधिकारों के संरक्षण और सदभावपूर्ण संबंधों के निर्माण के लिए प्रयास जारी रखेगा। यूनियन का मानना है कि चीन के मजदूर ज्यादा सम्मानजनक अवस्था में जीते रहे हैं। सामाजिक स्थिरता के लिए मजदूरों के सम्मान की रक्षा करना जरूरी है। यूनियन के इस बयान में पहली बात गलत है कि चीन में मजदूरवर्ग सम्मानजनक ढ़ंग से जीवनयापन करता रहा है। हकीकत यह है कि मजदूरों के पास न्यूनतम सामाजिक-राजनीतिक सुरक्षा नहीं है। जीवनशैली बेहद कष्टमय है। काम के क्षेत्र और रहने के क्षेत्र में अनेक विषमताएं हैं।
     इस बयान में पहलीबार मजदूरों के सम्मान के साथ सामाजिक अस्थिरता को जोड़कर देखा गया है। पहलीबार यह बात चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में चलने वाले संगठन ने मानी है कि मजदूरवर्ग के सम्मान को बढ़ाने का एकमात्र उपाय है उसके राजनीतिक अधिकारों में बढ़ोतरी। मजदूर के सम्मानजनक जीवन के अभाव में सामाजिक शांति बनाए रखना संभव नहीं होगा। चीन की यूनियन के इस बयान को चीन की समाजविज्ञान अकादमी के रूरल डवलपमेंट इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रोफेसर यू जियान आंग ने अपने लेख में उद्धृत किया है।
   यूनियन के बयान में कहा गया है कि चीन में ऐतिहासिक ,सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन घट रहे हैं। सरकारी कारखानों में रिस्ट्रक्चरिंग हो रही है। निजी क्षेत्र विकसित हो रहा है। अनेक स्थानीय सरकारें स्थानीय नीतियां बना रही हैं। इनमें मजदूरों के अधिकारों को पूंजी निवेश के नाम पर तिलांजलि दे दी गयी है। फलतः मजदूरों के अधिकार हाशिए पर चले गए हैं।
     यूनियन के बयान के आधार पर प्रोफेसर साहब ने भी यह माना है कि अनेक कारखाने भाड़े पर चल रहे हैं। ठेके पर ताजिंदगी मजदूरों को बेहद कम मजदूरी पर रख लिया गया है। यह काम सामूहिक हितों की रक्षा के नाम पर किया जा रहा है। अनेक कारखाने सरकारी कारखानों की री-स्ट्रक्चरिंग से निकले हैं।  इन कारखानों को मजदूरों की लूट दुकान भी कह सकते हैं। इन कारखानों में मजदूरों के पास न्यूनतम अधिकार हैं।
    प्रोफेसर यू जियान आंग ने लिखा है कुछ कारखानों में मजदूर भयानक खराब अवस्था में रह रहे हैं। कमरतोड़ मेहनत के बाद भी उन्हें सही पगार नहीं मिलती। वे इतनी कम मजदूरी में काम करते हैं कि ठीक से गुजारा तक नहीं कर पाते। उत्पादन की जगह मजदूर रोबोट बना दिए गए हैं। इन मजदूरों को किसी भी किस्म का सम्मान प्राप्त नहीं है। यू जियान आंग ने लिखा है मजदूरों को अपने राजनीतिक अधिकारों, आर्थिक हितों और सम्मान की रक्षा के लिए हर स्तर पर संघर्ष करना चाहिए और सभी किस्म के तरीके अपनाने चाहिए।  अनेक सरकारी अधिकारी यह मानते हैं कि मजदूरों के अधिकारों के नाम पर हो रही घटनाओं से सामाजिक अस्थिरता पैदा हो रही है।
     विश्व विख्यात राजनीतिविज्ञानी सेमुअल पी. हंटिंगटन ने ‘पोलिटिकल आर्डर इन चेंजिंग सोसायटी’  में लिखा है कि आरंभिक औद्योगिक समाजों में मजदूरों की हड़ताल और सामाजिक अन्तर्विरोधों का प्रधान कारण था कि जो लोग शक्तिशाली थे,सत्ता में थे,वे मजदूरों के अधिकारों को नहीं मानते थे अथवा कानूनी तौर पर मजदूर यूनियन के अस्तित्व को नहीं मानते थे। ये अधिकार तब ही माने गए जब 19वीं सदी के सामाजिक संघर्षों ने इन्हें स्थापित कर दिया। उस समय अनेक सरकारें मजदूर संघों की वैधता पर ही सवालिया निशान लगाती थीं।  जितना मजदूरों की यूनियनों को अस्वीकार किया गया उतना ही मजदूर संगठन रेडीकल होते चले गए।
    जो लोग सत्ता में थे वे मजदूर संघों को अपने लिए चुनौती मानते थे। यह वह मनोदशा थी जिसके कारण मजदूरों ने मौजूदा व्यवस्था को चुनौती दी। बीसवीं शताब्दी में आकर औद्योगिक समाजों के अन्तर्ग्रथित हिस्से के रूप में मजदूर संघों को इज्जत की नजर से देखा गया। विकसित पूंजीवादी मुल्कों में संगठित मजदूर आन्दोलन है। जबकि अविकसित देशों में मजदूर संघ सीमित संख्या में हैं। आज मजदूरों के राष्ट्रीय फेडरेशन होना सम्मान का बात मानी जाती है। चीन में अशांति को खत्म करना है तो मजदूरों को हक देना होगा।          








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