रविवार, 20 जून 2010

अफगानिस्तान में खनिजों का विशाल खजाना मिला

(कंधहार का विमान से लिया फोटो)
     अफगानिस्तान में एक ओर नाटो की सेनाएं हिंसाचार में मशगूल हैं और अफगान फंडामेंटलिस्ट संघर्ष के लिए नए किस्म की गोलबंदियां बना रहे हैं.नाटो सेनाओं पर हमले की तैयारियां कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर ‘रायटर’ ने खबर दी है कि अफगानिस्तान में खनिज संपदा और विभिन्न किस्म की धातुओं के अक्षय भंडार मिले हैं। पेंटागन के सैन्य अधिकारी खनिज और धातु संपदा मिलने से जबर्दस्त उत्साहित हैं। पेंटागन के हवाले से ‘रायटर’ ने लिखा है Afghanistan has significant deposits of copper, iron ore, niobium, cobalt, gold, molybdenum, silver and aluminum as well as sources of fluorspar, beryllium and lithium, among others, a task force studying the country's resources found.
   अफगानिस्तान का खान मंत्रालय,पेंटागन,गृहमंत्रालय और अमेरिका का जिओलॉजिकल सर्वे इस मामले में खोजबीन का काम कर रहा है। जबसे अफगानिस्तान में खानों के मिलने क खबर आई है तब से अमेरिकी सैन्यविभाग के अधिकारियों के तेवर बदल गए हैं और अब वे अफगानिस्तान में दीर्घकाल तक यहां बने रहने का सपना देख रहे हैं। जिससे इन संसाधनों की लूट की जा सके।
     एक अनुमान के अनुसार लोहा-इस्पात के नए संसाधनों की कीमत 421 बिलियन डॉलर है जबकि कोपर की कीमत 273 बिलियन डॉलर है।  उल्लेखनीय है इराक और अफगानिस्तान में खनिज संपदा का सर्वे अमेरिका और मित्र राष्ट्रों की सेनाओं के एजेण्डे पर आरंभ से ही था। वे इराक और अफगानिस्तान में युद्ध करने इसीलिए आए थे कि इन देशों की खनिज संपदा पर कब्जा जमा सकें।
    अमेरिकी सैन्य अधिकारियों का मानना है कि अफगानिस्तान की यह खनिज संपदा एक ट्रिलियन डॉलर के आसपास होगी।खनिज संपदा के मिलने से अफगान प्रशासन भी खुश है और उम्मीद लगाए बैठा है कि इससे अफगानिस्तान का भविष्य संवारने में मदद मिलेगी। अभी तक इन इलाकों में गैस और तेल के भंडारों के बारे में आंकड़े नहीं आए हैं उम्मीद की जा रही है कि गैस और तेल के भंडारों का भी पता चला है।
    खनिज संपदाओं के मिलने से क्षेत्रीय देशों रूस,चीन,भारत आदि के बीच में खनिज भंडारों के उत्खनन और उत्पादन के काम में प्रतिस्पर्धा बढ़ गयी है। चीन की दो गैर सैन्य फर्मों ने अफगानिस्तान के काबुल में आयनक कोपर की खानों में 4 बिलियन डॉलर निवेश का फैसला लिया है। यह अब तक का सबसे बड़ा विदेशी पूंजी निवेश है। एक अन्य चीनी फर्म ने 1.8 बिलियन डॉलर पूंजी निवेश का फैसला लिया है। यह निवेश उच्च कोटि के इस्पात उत्खनन में हुआ है। ये खानें सुदूर हाजीगक पर्वतीय इलाके में हैं। इसी क्षेत्र की अन्य खानों के ठेके अगले साल उठाए जाएंगे।          
                       



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