रविवार, 27 जून 2010

पोर्नोग्राफी सिद्धांत है बलात्कार उसका अभ्यास है

     सन् 1970 के कमीशन के निष्कर्ष और उसके बाद के 1990 के पोर्नोग्राफी अनुसंधान के बीच में बहुत कुछ नया घटा है। खासकर पोर्नोग्राफी के सामाजिक प्रभाव के विभिन्न आयामों के बारे में बारीकी से शोध कार्य हुए हैं ,उनसे पोर्न के प्रभाव के बारे में नयी जानकारियां सामने आयी हैं।
      इस दौरान प्रतिदिन धड़ाधड़ पोर्न साइट सामने आई हैं और पोर्न साइट पर जाने वालों की संख्या बेतहाशा बढ़ी है। अकेले प्लेबॉय डॉट कॉम पर प्रतिदिन 50 लाख यूजर जाते हैं और प्रतिदिन 278 बेवसाइट खोली जा रही हैं।
     संचार क्रांति के कारण विकास के मामले मे तरक्की कम हुई है लेकिन पोर्न के क्षेत्र में जबर्दस्त तरक्की हुई है। सभी लोग एक ही सवाल करते हैं कि पोर्न देखने से क्या नुकसान होता है। एक ही वाक्य में कहें कि पोर्न देखने से मानसिक क्षति होती है और सेक्सुअल हिंसाचार बढ़ता है।
     यह कहावत है ‘पोर्नोग्राफी सिद्धांत है बलात्कार उसका अभ्यास है।’’अमेरिका में शारीरिक छेड़खानी करने वाले दण्डित लोगों में 77 प्रतिशत लड़के और 87 प्रतिशत लड़कियां हैं ,इन लोगों ने स्वीकार किया कि वे आमतौर पर पोर्नोग्राफी देखते रहे हैं। अमूमन अपने अपराध में पोर्न का इस्तेमाल भी करते रहे हैं। यह भी तथ्य सामने आया है कि कुछ लोग पोर्न देखते हुए सोचते हैं कि औरत को आसानी से कैसे पटाया जाए ? प्रत्येक औरत के अनुरोध को कैसे स्वीकार किया जाए ?  
      पोर्नोग्राफी आज इंटरनेट पर आसानी से उपलब्ध है। इसका बच्चों में दुरूपयोग बढ़ रहा है। बच्चे इंटरनेट पर प्रति सप्ताह चैट और ईमेल करते हैं। इसकी तुलना में वे स्कूली काम पर 1.8 घंटा प्रति सप्ताह खर्च करते हैं। एक अनुमान के अनुसार 18 साल से कम उम्र के 18.8 मिलियन बच्चे घर में कम्प्यूटर और इंटरनेट का इस्तेमाल करते थे। ये आंकड़े 1997 के हैं। तब से यह संख्या कई गुना बढ़ गयी है। उस समय 72 हजार नग्न पोर्न साइट थीं। यह भी पाया गया कि पोर्नोग्राफी का अति उपयोग विभिन्न किस्म के मानसिक कष्टों को जन्म देता है। अमेरिका में आमतौर पर जनता सहमत है कि पोर्न पर पाबंदी लगी रहनी चाहिए,इसके बाबजूद आम जनता में पोर्न की सबसे ज्यादा खपत अमेरिका में ही हो रही है।
   समाज में पोर्न का कितना व्यापक असर पड़ा है इसे देखने का एक और आधार है कामुक या सेक्स संदेश। आज समाज में व्यापक पैमाने पर सेक्स संदेश प्रसारित किए जा रहे हैं। सेक्स संदेशों और कामुक भाषा की बाढ़ आयी हुई है। इससे यह भी पता चल रहा है कि पोर्नोग्राफी से समाज के एटीट्यूट या व्यवहार का निर्माण किया जा रहा है। इससे यूजर और उसके परिवारीजनों की क्षति हो सकती है।
      पोर्नोग्राफी को आमतौर पर छिपाकर देखते हैं। इससे यूजर में छिपाने की आदत बढ़ती है। वह अपनी पत्नी से छिपाता है,प्रियजनों से छिपाने लगता है। इससे वैवाहिक जीवन खतरे में पड़ जाता है। इससे अवैध संबंध बनाने और वेश्यावृत्ति की आदत पड़ने के चांस हैं। इसके अलावा अवास्तविक सेक्स की मांग पैदा होती है जिससे खतरनाक कामुक अनैतिक व्यवहार पैदा होता है। 
     































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