रविवार, 13 जून 2010

विज्ञान से भागे हुए ज्योतिषी

(शनि ग्रह पर खोज करता कासिनी अंतरिक्ष यान जिसने शनि के तथ्य बताए )                       
         हमारे ब्लॉग की एक सुंदर विदुषी और हठी यूजर हैं,वे ज्योतिषी भी हैं और तरह-तरह से ब्लॉगिंग में ज्योतिष का प्रचार करती रहती हैं उनका नाम है संगीता पुरी। उन्होंने कुछ बातें   स्टार न्यूज और दीपक चौरसिया की शनि सेवा’ नामक पोस्ट पर टिप्पणी के रूप में कही हैं। संगीता जी ने ज्योतिष के पक्ष में एक लिंक भेजा है उसमें जो बातें लिखी हैं वे सभी फलादेश की कोटि में आती हैं। यह सब प्राचीन फलित ज्योतिष की किताबों में उपलब्ध है।
 ( क्या शनि का यह नजारा पहले किसी ज्योतिषी की कल्पना में था ? )   
       आपको जानकर आश्चर्य होगा कि भारत के किसी भी संस्कृत विश्वविद्यालय में आधुनिक वेधशाला नहीं है और नहीं आधुनिक अनुसंधान की किसी भी तरह की व्यवस्था है। आप ज्योतिषी हैं यह अच्छी बात है लेकिन किसी भी ज्योतिषी ने अभी तक कोई आधिकारिक रिसर्च ग्रहों पर नहीं की है। पुराने ज्योतिषी ग्रहों के बारे में अनुमान से जानते थे उनके सारे अनुमान गलत साबित हुए हैं। सिर्फ पृथ्वी से विभिन्न ग्रहों की दूरी को ही लें तो पता चल जाएगा कि पुराने ज्योतिषी सही हैं या आधुनिक विज्ञान सही है। आशा है इंटरनेट पर उपलब्ध ग्रहों के बारे में वैज्ञानिक जानकारी को कृपया पढ़ने की कृपा करेंगी। सिर्फ अंग्रेजी में नाम मात्र लिख दें हजारों पन्नों की जानकारी घर बैठे मुफ्त में मिल जाएगी,आज जितनी जानकारी ग्रहों के बारे में विज्ञान की कृपा सें उपलब्ध है उसकी तुलना में एक प्रतिशत जानकारी भी प्राचीन और आधुनिक ज्योतिषी उपलब्ध नहीं करा पाए हैं।
 (शनि की आधुनिक इमेज)    
      आज विज्ञान से हमें पता चला है कि किस ग्रह पर किस रास्ते से जाएं,जाने में कितना समय लगेगा,कितनी दूरी पर ग्रह स्थित है, जाने-आने में कितना खर्चा आएगा, वैज्ञानिक खोज रहे हैं कि ग्रहों पर जीवन है या नहीं,इस संदर्भ में क्या संभावनाएं हैं, ये बातें हम पहले नहीं जानते थे। विज्ञान यह भी बताता है कि ग्रहों को खोज निकालने का तरीका क्या है,ग्रहों का अनुसंधान क्यों किया जा रहा है। इन सारी चीजों को पारदर्शी ढ़ंग से विज्ञान के जानकारों से कोई भी व्यक्ति सहज ही जान सकता है।  
           
(गैलीलियो के द्वारा निर्मित शनि की इमेज, क्या ज्योतिषी बताएंगे कि वे जिस शनि की इमेज का फलादेश में धंधा करते हैं वह इमेज सबसे पहले किसने बनायी और क्यों बनायी )
भारत में ज्योतिषी ग्रहों के प्रभाव के जितने दावे करते रहते हैं वे सब गलत हैं। सवाल उठता है अंतरिक्ष अनुसंधान के यंत्रों के बिना ग्रहों को कैसे जान पाएंगे ? संगीता जी ने जो भी जानकारी दी है वह फलादेश है, फलादेश विज्ञान नही होता। विज्ञान को दृश्य से वैधता प्राप्त करनी होती है। जो चीज दिखती नहीं है वह प्रामाणिक नहीं है।विज्ञान नहीं है।
     असल में ज्योतिषी लोग आधुनिक रिसर्च का अर्थ ही नहीं समझते। ऐसे में ज्योतिष और विज्ञान के बीच संवाद में व्यापक अंतराल बना हुआ है। ज्योतिषी लोग सैंकड़ों साल पहले रिसर्च करना बंद कर चुके थे। वे वैज्ञानिक सत्य को वराहमिहिर के जमाने में ही अस्वीकार करने की परंपरा बना दी गयी थी।  तब से वैज्ञानिक ढ़ंग से ग्रहों को देखने का काम ज्योतिषी छोड़ चुके हैं। ज्योतिष के अधिकांश विद्वान बुनियादी वैज्ञानिक तथ्यों को भी नहीं मानते। मसलन सूर्य पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है या पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा कर रही है,इस समस्या पर ज्योतिष और विज्ञान दो भिन्न धरातल पर हैं। ज्योतिषी जबाब दें वे किसके साथ हैं विज्ञान के या परंपरागत पोंगापंथ के। ज्योतिषी यह भी बताएं कि ग्रहों का प्रभाव होता है तो यह बात उन्होंने कैसे खोजी ? इस खोज पर कितना खर्चा आया ? पद्धति क्या थी ?  ग्रहों का प्रभाव होता है तो सभी ग्रहों का प्रभाव होता होगा ? ऐसी अवस्था में सिर्फ नौ ग्रहों के प्रभाव की ही चर्चा क्यों ? बाकी ग्रहों को फलादेश से बाहर क्यों रखा गया ?   


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