बुधवार, 28 अक्टूबर 2009

इंटरनेट में लैटि‍न की वि‍दाई और देशज भाषाओं का आगमन




         इंटरनेट पर देशज भाषाओं का दखल बढ़ रहा है। इंटरनेट पर आने वाले समय में डोमेन नाम, वेबसाइट, ईमेल पता, ट्वि‍टर पोस्‍ट आदि‍ में अब गैर अंग्रेजी भाषाएं भी नजर आएंगी। खासकर चीनी, अरबी,कोरि‍यन और जापानी भाषाओं का प्रयोग होने लगेगा। अभी तक डोमेन पते पर अंग्रेजी का ही इस्‍तेमाल होता है। इसके अलावा ग्रीक,हि‍न्‍दी,रूसी आदि‍ भाषाओं  के प्रयोग का रास्‍ता भी खुल जाएगा। '' Internet Corporation for Assigned Names and Numbers '' (आईसीएएनएन) के प्रवक्‍ता ने 26 अक्‍टूबर 2009 को बताया कि वेब पते पर लैटि‍न भाषा के उपयोग का फैसला इस सप्‍ताह उठा लि‍या है। इंटरनेट के भाषि‍क और संरचनात्‍मक इति‍हास का यह अब तक का सबसे बड़ा बदलाव है। इंटरनेट के जन्‍म के साथ वि‍गत चालीस सालों में वेब पते‍ के लि‍ए लैटि‍न का प्रयोग होता रहा है। दक्षि‍ण कोरि‍या की राजधानी सि‍ओल में सारी दुनि‍या के इंटरनेट कंपनि‍यों, सूचना सम्राटों , वि‍भि‍न्‍न सर्वर के मालि‍कों,सुरक्षा वि‍शेषज्ञों आदि‍ छह दि‍नों तक चलने वाली कॉंफ्रेंस में मि‍ले । इसी कॉंफ्रेस में यह महत्‍वपूर्ण फैसला लि‍या गया है। इस परि‍वर्तन की घोषणा इंटरनेट के 40 साल पूरे होने के एक दि‍न बाद ही की गई है। इंटरनेट में इस भाषि‍क परि‍वर्तन का प्रधान कारण है गैर अंग्रेजी यूजरों की तादाद में तेजी से इजाफा। इस इजाफे ने इंटरनेट कर्त्‍ताओं को लैटि‍न की जगह देशज भाषाओं के डोमेन,पते बगैरह के लि‍ए इस्‍तेमाल की अनुमति‍ देने के लि‍ए वि‍वश कि‍या है।  सन् 2010 तक  इस फैसले के लागू कि‍ए जाने की संभावना है।
         सारी दुनि‍या में इंटरनेट के 1.6 वि‍लि‍यन यूजर हैं जो लैटि‍न भाषा आधारि‍त स्‍क्रि‍प्‍ट का इस्‍तेमाल नहीं करते। यह संख्‍या इंटरनेट यूजरों की आधी संख्‍या के बराबर है, भवि‍ष्‍य में इनकी संख्‍या और भी बढ़ सकती है। इंटरनेट के वि‍कास के लि‍ए देशज भाषाओं के पक्ष में यह परि‍वर्तन करना अनि‍वार्य हो उठा था। अभी इंटरनेट में पते के तौर पर 'कॉम' ,' ओआरजी'  का इस्‍तेमाल कि‍या जाता है। इसकी जगह ज्‍यादा लचीली व्‍यवस्‍था लागू की जाएगी1 जैसे 'पोस्‍ट' और ''बैंक' आदि‍। उल्‍लेखनीय है इंटरनेट में ये परि‍वर्तन तब आए हैं जब वाशिंगटन प्रशासन ने इंटरनेट पर अपनी पकड़ कुछ कम करने का फैसला लि‍या है । नये पते की व्‍यवस्‍था के अनुसार सभी पते 'bank ' के साथ खत्‍म होंगे। ये सभी प्रामाणि‍क पते होंगे। उल्‍लेखनीय है इंटरनेट के कर्त्‍ता अब जि‍स नए पते की व्‍यवस्‍था को लागू करने जा रहे हैं वह पहले से ही प्रचलन में है। उसे उन्‍होंने कभी मान्‍यता नहीं दी। जो लोग इसका इस्‍तेमाल करते हैं उनका नाम है Jerusalem Style Web Design Studio                                  



1 टिप्पणी:

  1. यह प्रशंशनीय कदम है. दुःख इस बात का है की हिंदी अब भी पूर्णतः unicode आधारित नहीं बनी है.फोंट्स का बड़ा चक्कर रहता है.कईं बार फॉण्ट न होने से पढ़ नहीं पाते. आभार.

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