माओ के जमाने में 'किसान सैनिक' आदर्श हुआ करता था। माओ का उस जमाने में कहना था कि सीखना है तो कामरेड ली फेंग से सीखो। वही 'किसान सैनिक' का आदर्श था। इसी 'किसान सैनिक' को आधार बनाकर चीनी नैतिकता का सारा तामझाम खड़ा किया गया। वही शिक्षा से लेकर राजनीति तक सभी क्षेत्रों में नैतिकता को परिभाषित करने वाला प्रधान तत्व था। अचानक माओ के बाद इसी 'किसान सैनिक' का रूपान्तरण नयी बाजार अर्थव्यवस्था की संरचनाओं के अनुरूप किया जा रहा है जिससे यह मध्यवर्ग को अपील कर सके। माओ ने ली फेंग को मुक्ति दी थी, ली फेंग पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का सैनिक था। उसे कोई नहीं जानता था। किंतु अचानक सन् 1962 में उसकी एक ट्रैफिक दुर्घटना में मौत हो गयी। यह चीन में लम्बी छलांग का दौर था। उसके प्रेरक प्रतीक के रूप में ली फेंग को प्रचारित किया गया।ली फेंग इस बात का प्रतीक था कि वह कभी आराम नहीं करता था। क्रांतिकारी भावों से भरा था। वह चीन जनमुक्तिसेना,कम्युनिस्ट पार्टी और माओ के प्रति वफादार था।
ली फेंग के मरने के बाद उसकी एक डायरी भी मिली जिसके बारे में कहा जाता है कि वह नकली है। इसी ली फेंग को आदर्श सैनिक और आदर्श चीनी नागरिक के रूप में प्रतिष्ठित किया गया। लंबे समय तक ली फेंग को चीन ने अपने प्रौपेगैण्डा मॉडल के प्रतीक रूप में इस्तेमाल किया। ली फेंग का गुण था कठिन परिश्रम, कभी सवाल न पूछने वाला किसान,यही चीनी प्रशासन की आधारशिला भी यही विचार था। फेंग की इमेज के साथ सैनिक की पोशाक का भी महिमामंडन हुआ।
ली अच्छे काम करने वालों का प्रतीक था,इसकी बीजिंग के शासकों के प्रति वफादारी थी। उस पर अनेक गाने लिखे गए, किताबें लिखी गयी, फिल्में बनीं। ली फेंग को खासकर चीनी बच्चों के सामने आदर्श मॉडल के रूप में पेश किया जाता था। अब ली फेंग का पूरी तरह रूपान्तरण हो चुका है। इस प्रसंग में एक नयी किताब आयी है '' ली फेंग 1940-1962', इस किताब में बताया गया है कि नया ली फेंग ज्यादा नरमदिल इंसान है। ली फेंग पहले की तुलना में ज्यादा सहिष्णु और आज्ञाकारी है।
किताब में बताया गया है कि ली हमेशा कपड़े नहीं पहनता था, जैसाकि उसकी सेना की पोशाक में हमेशा दिखाया गया। बल्कि बताया जा रहा है कि ली लेदर जैकेट और शानदार घड़ी पहनता था। (ये सारी चीजें 50 और 60 के दशक में लग्जरी में गिनी जाती थीं ) ,किताब में यह भी कहा गया है कि ली फेंग की गर्ल फ्रेंड भी थी। ली की ट्रक ड्राईविग की तुलना बीएमडब्ल्यू कार ड्राईविंग के साथ की गई है। अभी हाल ही में एक फोटो नजर आया है जिसमें ली फेंग बीजिंग के तेएनमैन स्क्वायर में मोटर साईकिल चलाता दिखता है। चूंकि मौजूदा दौर फैशन के लिहाज से ज्यादा महत्वपूर्ण है और इसमें रिबेलियस या बागी तेवरों का व्यापक प्रचार किया जा रहा है। अत: ली फेंग को भी रिबेल के रूप में पेश किया जा रहा है। रिबेल या बागी होने के कारण उसके हेयरस्टाइल फैशनेबुल हो गए हैं। उल्लेखनीय है ली फेंग जब सेना में था उस समय फैशनेबुल बाल रखने पर पाबंदी थी। इस किताब के संपादक का कहना है कि दुख की बात है कि आज के युवा ली फेंग को नहीं जानते। वे नहीं जानते कि ली फेंग कैसे चीन का प्रतीक बन गया था। आज के युवा ली फेंग को जानें इसके लिए उसके बारे में अनेक फोटोग्राफ भी किताब में दिए गए हैं जिनमें बताया गया है कि ली फेंग साधारण किसान परिवार से आया था। उसने सेना में ड्राइवर की नौकरी ली। ली फेंग की नयी निर्मित इमेज को चीन प्रशासन ने बगैर किसी स्पष्टीकरण के जारी किया है।
चीन प्रशासन का मानना है कि ली फेंग के नए रूप के जरिए मध्यवर्ग के दिलों पर राज किया जा सकता है। ली फेंग की पहले जो इमेज माओ के जमाने में प्रौपेगैण्डा के लिए इस्तेमाल की गयी थी और आज जिस नयी इमेज का प्रचार किया जा रहा है ये दोनों ही नकली इमेज हैं, निर्मित इमेज हैं। इनका यथार्थ से कोई लेना-देना नहीं है।
प्रौपेगैण्डा के क्रम में ऑन लाइन कम्प्यूटर गेम के रूप में '' लर्न फ्रॉम ली फेंग'' नामक कम्प्यूटर गेम जारी किया गया है। इसे नस्दाक ने तैयार किया है। यह एक चीनी साफटवेयर कंपनी है। इस गेम के जरिए बच्चों में राष्ट्रभक्ति,आज्ञाकारिता पैदा करने की कोशिश की जा रही है। उल्लेखनीय है कि ऑनलाइन गेम कम्युनिटी में डेढ़ करोड़ युवा शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि यह गेम चीनी बच्चों को ज्यादा अपील नहीं कर पा रहा है। इसका प्रधान कारण है कि चीनी युवावर्ग में प्रतिक्रियावादी राष्ट्रवाद की अपील सबसे ज्यादा है जब कभी मौका मिलता है तो यह प्रतिक्रियावादी राष्ट्रवाद सड़कों पर निकल आता है। कभी जापान के खिलाफ, कभी फ्रांस के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों में तब्दील हो जाता है। चीनी युवा प्रतिक्रियावादी राष्ट्रवाद के कारण चीनी युवा हमेशा गुस्से से भरे होते हैं वैसे ही जिस तरह विश्वहिन्दू परिषद या संघ परिवार के संगठनों में साम्प्रदायिक राष्ट्रवाद कूट-कूटकर भरा है। प्रतिक्रियावादी राष्ट्रवाद चीनी युवाओं में भरा पड़ा है और मौका पाते ही अपने नस्लवादी चरित्र को व्यक्त कर बैठता है। असल में चीन का समूचा माहौल बौध्दिक अज्ञानता और पिछड़ेपन सेभरा हुआ है जिसके कारण प्रतिक्रियावादी राष्ट्रवाद अभी भी फलफूल रहा है।
जगदीश्वर चतुर्वेदी। कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्रोफेसर। पता- jcramram@gmail.com
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