सोमवार, 25 जनवरी 2010

ज्योतिषियों की टेलीविजन मूर्खताएं - 3-

ज्योतिषी जब खतरों की बात करता है तो यह भाव पैदा करता है कि व्यक्ति विपत्ति या खतरे से स्वयं लड़ नहीं सकता बल्कि उसे किसी अन्य की मदद की जरूरत है।इस तरह वह आत्मनिर्भरता खत्म करके 'परनिर्भरता' पैदा करता है।इसके लिए व्यक्ति किसी भगवान की मदद की ओर जाता है।फलत: निजी तौर पर कुछ करने की बजाय उसमें किनाराकशी का भाव पैदा हो जाता है।वह अपनी विपत्ति के समाधान का दायित्व किसी और के ऊपर ड़ाल देता है।इस तरह वह अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाता है।


इस प्रक्रिया में यह बात साफ तौर पर उभरकर सामने आती है कि उसका अहं भाव कमजोर है,हीनताबोध से ग्रस्त है।इससे मुक्ति पाने के लिए वह तंत्र,मंत्र और रत्नधारण पर जोर देता है।उल्लेखनीय है कि विपत्ति और मदद की पध्दति का आधुनिक मासकल्चर भी इस्तेमाल करती है।यदि दोपहर में महिलाओं के लिए प्रसारित धारावाहिकों का गौर से अध्ययन करें तो पाएंगे कि वहां पर ''मुश्किल में फंसो और निकलो'' के फार्मूले का बड़े कौशल के साथ इस्तेमाल किया जाता है।


ज्योतिष की भविष्यवाणियों में लगातार मुश्किलों और नाखुशी की बातें रहती हैं।इसका अर्थ यह भी है कि जो इनसे गुजरते हैं वे यह भी जानते हैं कि इनसे कैसे मुक्ति पाएं।अंत में ''सब कुछ ठीक हो जाएगा।''के फार्मूले के तहत जादुई प्रभाव छोड़ा जाता है।यानी ज्योतिषी सुखांत पर जोर देता है।यह सारा पैटर्न मासकल्चर के पैटर्न से मिलता-जुलता है।


यहां पर हमें मासकम्युनिकेशन और ज्योतिष के बीच के फ़र्क को समझना होगा। सीरियल, टेलीविजन शो अथवा फिल्मों में अभिनेता और अभिनेत्रियों के माध्यम से सकारात्मक या नकारात्मक ढ़ंग से अपनी समस्याओं का समाधान करते हैं।इसी क्रम में दर्शक उनके साथ अपने को रखकर देखने लगता है।यानी दर्शक अपनी समस्याओं को हीरो या हीरोइन के साथ जोड़कर देखता है।अपने वास्तव जीवन में जिस शक्ति का अभाव महसूस करता है अथवा जिन चीजों से वंचित होता है उन्हें वह हीरो वगैरह के माध्यम से कल्पना जगत में प्राप्त करता है।


ज्योतिषी का फलादेश इसी पध्दति का अनुकरण करता है।किन्तु इस काम को भिन्न रूप में करता है।फलादेश में कोई हीरो वगैरह नहीं होता।बड़े कौशल के साथ किसी अदृश्य ग्रह या देवता या मंत्र या ताबीज आदि के जरिए किसी शक्तिशाली ताकत की स्थापना कर दी जाती है जिसके माध्यम से व्यक्ति की समस्या के समाधान का आश्वासन दिया जाता है।साधारण लोग इस ताकत को जैसा बताया जाता है वैसा ही स्वीकार कर लेते हैं।ज्योतिषी इस कार्य को मासमीडिया की तुलना में ज्यादा यथार्थपरक ढ़ंग से करता है।


ज्योतिषी के फलादेश में हीरो की जगह कोई प्रतीक होता है या स्वयं ज्योतिषी होता है।फलादेश में घटनाक्रम पहले से ही तय होता है यानी क्या घटेगा।अत: उसको लेकर किसी भी किस्म के बोध से व्यक्ति वंचित होता है और हीरो की पूजा में उसकी आस्था बरकरार होती है।ज्योतिषी को उसे भुनाने में खास परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता।ज्योतिषी की बतायी समस्या या तो स्वत: हल हो जाती है या अन्य की मदद से सुलझा ली जाती है।खासकर किसी ग्रह के उपाय के द्वारा या किसी ताबीज या मंत्र के द्वारा।निरपेक्ष सत्ता तब ही मदद करती है जब ग्रहों पर विश्वास हो।ज्योतिषी अपने फलादेश के द्वारा व्यक्ति के जीवन में पैदा हुए मनोवैज्ञानिक दबाव को कम करने की कोशिश करता है और इसके लिए अवास्तव तत्वों की मदद लेता है।




ज्योतिषी फलादेश के जरिए यह संदेश देता है कि अपने को कमजोर महसूस मत समझो।अंतत: सब कुछ ठीक हो जाएगा।सिर्फ़ जो उपाय बताया जाए उसे अच्छे बालक की तरह मान लो।अच्छा बालक/ बालिका वह है जो तयशुदा मानकों का पालन करे,उपाय माने।उपाय मानने से वास्तव समस्याओं के सामने टूटने का खतरा टल जाता है।इस तरह के रवैयये के पीछे मूल धारणा यह होती है कि परिस्थितियां व्यक्ति को पूरी तरह टूटने नहीं देतीं।उसके पास कुछ न कुछ बच जाता है।ज्योतिषी इस सबको यथास्थिति बनाए रखने की दिशा में मोड़ देता है।वह वायदा करता है कि वह सबका ख्याल रखता है।सबके भले के लिए काम करता है।इस वायदे के जरिए वह यथास्थिति बनाए रखने के विचार को गंभीरता से मन में उतार देता है।         


पत्र-पत्रिकाओं में छपने वाले राशिफल में समस्याओं के लिए वस्तुगत स्थितियों को जिम्मेदार माना जाता है।खासकर आर्थिक मुश्किलों को व्यक्तिगत प्रयासों के द्वारा ठीक किया जा सकता है।जनप्रिय मनोविज्ञान की विशेषता है कि स्वयं की आलोचना करो,स्वयं को दोषी मानो । इस दृष्टिकोण का महिमामंडन किया जाता है।यहां मूल फार्मूला है ''सब कुछ आदमी पर निर्भर करता है।''इस फार्मूले के तहत व्यक्ति के जीवन की वस्तुगत तस्वीर बनाने की कोशिश की जाती है।साथ ही यह भी आभास दिया जाता है कि व्यक्ति यदि अपने को ठीक कर ले तो मुश्किलों से निजात संभव है।इस प्रक्रिया में एक ओर व्यक्ति को यह बताया जाता है कि वस्तुगत शक्तियां उसके दायरे से बाहर हैं।यदि व्यक्ति ज्योतिषी द्वारा बताए रास्ते का अनुकरण करे तो कुछ भी असंभव नहीं है,किसी भी खतरे से घबड़ाने की जरूरत नहीं है।यह भी संप्रेषित करने की कोशिश की जाती है कि शक्तिहीन व्यक्ति के पास खतरे से मुक्त होने की शक्ति है।इससे व्यक्ति के पराअहं को संतुष्ट करने की कोशिश की जाती है।


भविष्यवाणियों में गलती के लिए परिस्थितियों की बजाय व्यक्ति को जिम्मेदार ठहराया जाता है।इस क्रम में बार-बार व्यक्ति को परिस्थितियों के साथ सामंजस्य बिठाने के लिए दबाव डाला जाता है।क्योंकि व्यक्ति पर ग्रहों का प्रभाव चल रहा है।राशिफल में किसी न किसी समस्या का जिक्र होता है और इसके समाधान के रूप में पहले से स्थापित व्यवस्था को ही पुन:स्थापित करने की कोशिश की जाती है।साथ ही पूर्वआस्थाओं के प्रति आस्था बनाए रखने के सुझाव दिए जाते हैं।ज्योतिषी फलादेश के माध्यम से भाग्य रूपी अविवेकवाद पर जोर देता है,उसके जरिए समस्त निर्देश देता है साथ ही अविवेकपूर्ण स्रोतों का समस्याओं के समाधान के लिए इस्तेमाल करता है।इस समाधान में यथास्थिति बनाए रखने पर जोर होता है।
    


फ्रायड का मानना था कि मनोवैज्ञानिक रक्षाकवच हमेशा पराधीन प्रकृति का निर्माण करता है।यदि सहजजात वृत्तियों को समाधान से संतुष्टि नहीं मिलती या देर से मिलती है तब उसे शायद ही नियंत्रण में रख पाएं।किन्तु अधिकांश समय मौका मिलने पर इसमें संतुष्टि भी मिल जाती है।चांस के चक्कर में व्यक्ति अपने सुखमय वर्तमान को भी भविष्य के सुख के लिए त्याग देता है।विवेक हमेशा विवेकपूर्ण नहीं होता।इसी तरह जब आम जनता के मन पर उन बातों को बार-बार प्रक्षेपित किया जाता है जो अविवेकपूर्ण हैं या जिन पर उसका विश्वास नहीं है। तो वह भी उन पर विश्वास करने लगता है।उसका अपने विवेक और विवेक की समूची व्यवस्था पर से भरोसा उठ जाता है।ज्योतिष यही कार्य करता है।   







   

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