सोमवार, 25 जनवरी 2010

फिलीस्तीन मुक्ति सप्ताह- फिलिस्तीनी कवि और उनकी कविताएँ


         


               फिलिस्तीनी कवि और उनकी कविताएँ

अब्दुल-अज़ीज़ का जन्म सन् 1957 में रूसलम के करीब बेत इनान में हुआ था। स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के पश्चात् उन्होंने जोर्डन के स्कूलों में शिक्षण कार्य किया। उनकी कविताओं के कई संकलन प्रकाशित हुए। अब्दुल-अज़ीज की सबसे बड़ी विशेषता है प्रयोगधर्मिता । उन्हें 'जोर्डनियन राइटर्स सोसाइटी' सम्मान से सम्मानित किया गया। प्रस्तुत है उनकी कविता

     घर
                       अब्दुल-अज़ीज़
संयोग से मैं उससे मिला
वह एक स्त्री थी जिसके होठों और जूड़े से
प्रका झर रहा था.
झट उसने मेरी पसलियों से एक फूल तोड़ लिया
और गिरते झरने के ऊपरी सिरे की ओर दौड़ गई
जहाँ इसके चमकते रेशों से उसने अपना घर बनाया.
जब मैंने उसे चूमा
वह हिरनी की त्वरित गति से
श्वर के उन्मुक्त दे में झिलमिलाने लगी.
मैंने कहा,'तुम कौन हो, जल-अश्व ?'
और उसने कहा,'मैं रानी हूँ'.
मेरे आलिंगनबध्द करते ही
उसने उद्दाम लहरों में मुझे समो लिया
और मेरी चेतना के तारे जगमगा उठे.
मैंने कहा,'तुम हो कौन, मखमली पुष्प ?'
उसने कहा,'मैं बुलबुल का मृदु पंख,
तुम्हारे चुम्बनों का सार...'.
उसे सुगंधित आलिंगन में भरकर मैंने
आत्मिक प्रार्थना पूरी की,
उसने विप्लव उत्पन्न कर दिया है मेरे भीतर,
प्रत्येक शिरा में और
कोशिका में
मेरी मृत देह पर स्पंदित घर
के समान वह खड़ी है.
(अंग्रेजी से अनुवाद- विजया सिंह)

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