शनिवार, 2 अक्टूबर 2010

इंटरनेट पर संघ परिवार के अ-हिन्दू बेवसेवक

       इन दिनों संघ परिवार के चंद रणबांकुरे सड़कों की बजाय इंटरनेट पर अंटशंट टिप्पणियां कर रहे हैं। उन्मादी हरकतें कर रहे हैं। ये लोग अपने व्यवहार और बेव टिप्पणियों से अटलबिहारी बाजपेयी जी को तकलीफ दे रहे हैं। अटल बिहारी बाजपेयी से शालीनता और सभ्यता सीखने की बजाय संघ के बेव रणबांकुरे प्रवीण तोगड़िया और अशोक सिंघल के मार्ग पर चले गए हैं। एक जमाने में ये दोनों नेता जिस तरह की अशालीन भाषा बोलते थे ,ठीक वैसी ही अशालीन भाषा संघ के नए बेव रणबांकुरे बोल रहे हैं। इस भाषा को आप उनकी मेरे लेखों पर लिखी टिप्पणियों में साफ देख सकते हैं। संघ परिवार और उसके बेव रणबांकुरे खुश हैं कि लखनऊ बैंच ने कह दिया है कि राम का जन्म स्थान वही है जहां पर अभी रामलला की मूर्ति रखी हुई है और राम वहीं पर पैदा हुए थे।
     मेरे ख्याल से जिन जजों ने इस तरह का अ-कानूनी फैसला दिया है उन जजों से कम हिन्दू अटलबिहारी बाजपेयी नहीं हैं। बाजपेयी जी भारत के प्रधानमंत्री रहे हैं और आज भी सारा देश उनका सम्मान करता है। राम का जन्म कहां हुआ था इस प्रसंग में उनका क्या मानना है इसे देखें और फिर सोचें कि राम कहां पैदा हुए थे। जो अंश में यहां उद्धृत करने जा रहा हूँ यह अटलबिहारी बाजपेयी द्वारा तत्कालीन कम्युनिस्ट नेता हीरेन मुखर्जी के पत्र के जबाब में उन्होंने लिखा था और यह पत्र  ‘ ऑर्गनाइजर’ (24 सितम्बर 1989) में  छपा है। इस पत्र में अटलबिहारी बाजपेयी ने अन्य बातों के अलावा राम के सटीक जन्मस्थान  के बारे में लिखा है - सटीक रूप में यह बताना संभव नहीं है कि राम का जन्म कहां हुआ था। लेकिन जैसाकि लोग जानते हैं कि राम अयोध्या के राजा थे। इन्हें व्यापक हिन्दू जनता भगवान के रूप में पूजती है। उनका जन्म उसी ऐतिहासिक शहर में हुआ था।  

आशा है भगवान राम के सटीक जन्मस्थान के बारे में अटलबिहारी बाजपेयी की बातों पर संघ परिवार गौर करेगा।  







19 टिप्‍पणियां:

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