शासक दल से साँठ-गाँठ है,बूढ़े हैं बीमार हैं
इनसे क्या उम्मीद,यहाँ तो सभी साठ के पार हैं
अजी आपने बुला लिया है,यों ते हम बेकार हैं
बकने की लत छूट चुकी है,बूढ़े हैं बीमार हैं
आपस में कुछ कह-सुन लेंगे,सभी साठ के पार हैं
हाकिम ही तो गुणी जनों के दिलवर हैं,आधार हैं।
-नागार्जुन
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें